Last Updated on August 24, 2025 21:28, PM by Pawan
शनिवार, 23 अगस्त. मुंबई का पॉश कफ परेड इलाका. देश के सबसे चर्चित और कभी सबसे अमीर रहे उद्योगपतियों में से एक, अनिल अंबानी के घर ‘सी विंड’ के बाहर अचानक हलचल तेज हो जाती है. सीबीआई की टीम अंदर दाखिल होती है. खबर फैलती है- ₹2000 करोड़ के बैंक फ्रॉड के मामले में CBI ने FIR दर्ज की है और छापेमारी चल रही है.
घंटों तक देश का मीडिया उस बंद दरवाजे के बाहर खड़ा रहता है. अंदर क्या हो रहा है, किसी को नहीं पता. शाम तक तलाशी खत्म होती है, लेकिन अंबानी परिवार की तरफ से खामोशी छाई रहती है.
अब, 24 घंटे के सन्नाटे के बाद, उस खामोशी को तोड़ा गया है. अनिल अंबानी के प्रवक्ता ने एक बयान जारी किया है, जो सिर्फ एक सफाई नहीं, बल्कि एक सीधा पलटवार है. यह कहानी है उस पलटवार की.
अनिल अंबानी की सफाई: 5 पॉइंट्स में समझें पूरा पक्ष
अनिल अंबानी के प्रवक्ता ने छापेमारी से लेकर FIR तक, हर सवाल का जवाब देने की कोशिश की है. उन्होंने 5 बड़े तर्क दिए हैं.
1. 10 साल पुराने मामले में अब ये एक्शन क्यों?
बयान में सबसे पहले इस बात पर जोर दिया गया कि यह मामला बहुत पुराना है. प्रवक्ता ने कहा, “स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की यह शिकायत 10 साल से भी ज्यादा पुराने मामलों से जुड़ी है.” इसका मतलब है कि यह कोई नया फ्रॉड नहीं है, बल्कि एक दशक पुराने लेन-देन का मामला है, जिसे अब उठाया जा रहा है.
2. मैं तो सिर्फ नाम का डायरेक्टर था, रोज के काम में कोई हाथ नहीं
अनिल अंबानी ने अपनी भूमिका को लेकर एक बड़ा दावा किया है. उनके प्रवक्ता के मुताबिक, “जिस समय की यह बात है, अंबानी कंपनी में एक नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे, जिनकी कंपनी के रोजमर्रा के मैनेजमेंट में कोई भूमिका नहीं थी.” यह कहकर उन्होंने खुद को कंपनी के हर दिन के फैसलों से अलग कर लिया है.
3. जब 5 डायरेक्टर बरी, तो सिर्फ मुझे ही क्यों फंसाया जा रहा है?
यह बयान का सबसे तीखा और भावनात्मक हिस्सा है. इसमें सीधे तौर पर SBI पर “भेदभाव” का आरोप लगाया गया है. प्रवक्ता ने कहा, “यह ध्यान रखना जरूरी है कि SBI ने अपने ही आदेश से 5 दूसरे नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स के खिलाफ कार्यवाही वापस ले ली है. इसके बावजूद, अंबानी को चुनकर निशाना बनाया जा रहा है.”
4. कंपनी तो पहले ही बैंकों के कब्जे में है?
बयान में यह भी याद दिलाया गया कि रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) अब अंबानी के कंट्रोल में नहीं है. “अभी, रिलायंस कम्युनिकेशंस को SBI के नेतृत्व वाली लेनदारों की समिति (Committee of Creditors) की देखरेख में चलाया जा रहा है. यह मामला पिछले 6 सालों से NCLT और सुप्रीम कोर्ट समेत कई अदालतों में चल रहा है.”
5. सारे आरोप झूठे, कानूनी लड़ाई लडूंगा
अंत में, अनिल अंबानी ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. प्रवक्ता ने कहा, “अंबानी सभी आरोपों को दृढ़ता से खारिज करते हैं और कानूनी तौर पर अपना बचाव करेंगे.”
Conclusion: SBI Vs अनिल अंबानी केस
एक तरफ देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी CBI और सबसे बड़ा बैंक SBI है, जिनके पास ₹2000 करोड़ के फ्रॉड के आरोप हैं. दूसरी तरफ, एक उद्योगपति की दलीलें हैं, जो कह रहे हैं कि यह एक दशक पुराने मामले में उन्हें जानबूझकर फंसाने की साजिश है. यह लड़ाई अब सिर्फ कंपनियों और पैसों की नहीं, बल्कि साख और वजूद की बन गई है, जिसका फैसला अब देश की अदालतें करेंगी.
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1. अनिल अंबानी पर क्या आरोप हैं?
A: उन पर और RCom के कुछ अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने SBI के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह के साथ कथित तौर पर ₹2000 करोड़ की धोखाधड़ी की है.
Q2. यह मामला किस कंपनी से जुड़ा है?
A: यह मामला अब दिवालिया हो चुकी अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) से जुड़ा है.
Q3. नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर का क्या मतलब होता है?
A: नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कंपनी के बोर्ड में तो होता है, लेकिन वह कंपनी के रोजमर्रा के कामकाज या फैसलों में शामिल नहीं होता. उसकी भूमिका सलाहकार जैसी होती है.
Q4. CBI की छापेमारी में क्या होता है?
A: CBI की टीम किसी मामले से जुड़े सबूत इकट्ठा करने के लिए संदिग्ध व्यक्ति के घर या दफ्तर की तलाशी लेती है, जिसमें दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस और अन्य चीजें जब्त की जा सकती हैं.
Q5. NCLT क्या है?
A: NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) एक विशेष अदालत है जो कंपनियों से जुड़े विवादों, खासकर दिवालियापन के मामलों की सुनवाई करती है.
