Last Updated on August 22, 2025 7:30, AM by
केंद्र सरकार ने देश के GST सिस्टम को और सरल बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। नए प्रस्ताव के तहत अधिकांश वस्तुओं पर केवल दो स्लैब- 5% और 18% लागू होंगे। वहीं, लग्जरी और ‘सिन’ प्रोडक्ट्स के लिए विशेष दर 40% तय की गई है। यह नया फ्रेमवर्क दिवाली तक लागू किया जा सकता है।
अभी रियल एस्टेट सेक्टर में कंस्ट्रक्शन मटीरियल पर अलग-अलग GST रेट लागू हैं। जैसे कि सीमेंट पर 28%, स्टील पर 18%, पेंट पर 28%, और टाइल्स व सैनेटरीवेयर पर 18%। यह इनपुट कॉस्ट सीधे प्रोजेक्ट की कुल लागत और हाउसिंग प्राइस को प्रभावित करती है।
ऐसे में सवाल उठता है कि 12% और 18% वाला जीएसटी स्लैब खत्म होने का रियल एस्टेट सेक्टर पर क्या असर होगा। क्या नए घरों की लागत घटेगी और होमबायर्स को सस्ते मकान मिलेंगे। आइए एक्सपर्ट से इसका जवाब जानते हैं।
घर खरीदारों के लिए क्या मायने रखता है?
एक्सपर्ट का मानना है कि टैक्स स्ट्रक्चर में यह सरलता डेवलपर्स की लागत घटाएगी। ऐसे में इसका लाभ घर खरीदारों तक पहुंच सकता है। रॉयल ग्रीन रियल्टी के मैनेजिंग डायरेक्टर यशांक वासन का कहना है, ‘सरकार का जीएसटी को केवल 5% और 18% तक रखने का प्रस्ताव रियल एस्टेट सेक्टर के लिए काफी अच्छा है। इससे नियम आसान होंगे और डेवलपर्स को कम टैक्स का फायदा मिलेगा। इसके चलते घर खरीदारों को भी सस्ती दरों पर घर मिल पाएंगे।’
वहीं, प्राइम डेवलपमेंट्स के फाउंडर एंड प्रेसिडेंट का कहना है कि सरकार GST पर प्रगतिशील कदम डेवलपर की इनपुट टैक्स लागत को काफी करता है, जिससे हाउसिंग प्रोजेक्ट्स और अधिक किफायती हो जाएंगे। कम टैक्स स्लैब खरीदारों पर वित्तीय बोझ कम करेंगे, मांग को बढ़ावा देंगे। इससे इन्वेंट्री क्लीयरेंस में तेजी आएगी। इसका फायदा बिल्डर्स और होमबायर्स, दोनों को होगा।
GST बदलाव से पारदर्शिता भी बढे़गी
टैक्समैनेजर.इन के फाउंडर और सीईओ दीपक कुमार जैन के अनुसार, जब सरकार इनपुट टैक्स क्रेडिट के लाभ के साथ कम दर पर GST लागू करेगी, तो खरीदारों को सीधे फायदा होगा।
उनका कहना है कि अभी रियल एस्टेट GST सिस्टम में 5% GST वाले प्रोजेक्ट्स पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का फायदा खरीदार को मिलता है। वहीं, 18% GST वाले प्रोजेक्ट्स पर बिल्डर यह लाभ पास नहीं करते, जिससे खरीदार को ज्यादा टैक्स भरना पड़ता है। जैन के मुताबिक, नए बदलाव से खरीदारों की लागत कम होगी और हाउसिंग सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी।
दिल्ली-एनसीआर मार्केट में असर
दिल्ली-एनसीआर मार्केट में GST सुधारों का सकारात्मक असर पहले ही दिख चुका है। 2019 में अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टीज पर GST दर घटाकर 5% की गई थी, जिससे खरीदारों का भरोसा बढ़ा और नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद में बिक्री में सुधार हुआ। हालांकि, रियल एस्टेट इंडस्ट्री का कहना है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट को आंशिक रूप से वापस लाना आवश्यक है, ताकि डेवलपर्स को पर्याप्त मार्जिन मिले और खरीदारों को किफायती घर उपलब्ध हो सकें।
नया GST ढांचा कंस्ट्रक्शन कॉस्ट कम कर सकता है और 10–20% टैक्स राहत से मेट्रो और टियर-2 मार्केट्स में प्रॉपर्टी की कीमतों में सुधार हो सकता है। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट का यह भी कहना है कि लग्जरी सेगमेंट में महंगे मटीरियल और विदेशी फिनिशिंग के कारण 40% स्लैब लागू होने पर निर्माण लागत बढ़ सकती है। लेकिन, यह फैक्टर सिर्फ लग्जरी हाउस तक ही सीमित रहेगा। इसका अफोर्डेबल सेगमेंट पर असर नहीं होगा।
GST बदलाव सस्ते होंगे मकान?
साया ग्रुप के एमडी विकास भसीन के अनुसार, GST सुधार उपभोक्ताओं और उद्योगों दोनों के लिए सकारात्मक है। ये सुधार अधूरी निर्माण वाली संपत्तियों पर लगने वाले GST सहित कुल कर बोझ को कम करने की संभावना रखते हैं।
भसीन का कहना है कि अभी GST, स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क मिलाकर संपत्ति की लागत 13–14% तक बढ़ जाती है। इससे घर खरीदारों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ता है। GST में कटौती से हाउसिंग अधिक किफायती होगी, रियल एस्टेट सेक्टर में भरोसा बढ़ेगा और प्राइमरी मार्केट में बिक्री को प्रोत्साहन मिलेगा।
घरों की कीमतों में कमी आएगी
सिग्नेचर ग्लोबल के फाउंडर और चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल का भी यही मानना है। उनका कहना है कि GST सुधार आम आदमी के लिए राहत होगी और जरूरी वस्तुओं पर कर बोझ कम करेगी।
उनका कहना है कि रियल एस्टेट सेक्टर को भी दो-स्तरीय GST ढांचे से लाभ होगा। इससे इनपुट कॉस्ट कम होगी, कैश फ्लो सुधरेगा और घरों की कीमतों में कमी आएगी। लंबी अवधि के कर स्पष्टता से डेवलपर्स अधिक आत्मविश्वास के साथ प्रोजेक्ट योजना बना सकेंगे। ये सुधार उद्योग की भावना को मजबूत करेंगे और हाउसिंग मार्केट में सतत विकास का समर्थन करेंगे।
