Last Updated on August 22, 2025 20:36, PM by Pawan
चीन का शेयर बाजार बहुत विशाल है। इसका मूल्य लगभग 11 ट्रिलियन डॉलर है। शी जिनपिंग और डोनाल्ड ट्रंप दोनों के लिए यह चिंता का विषय बना हुआ है। कमजोर रिटर्न के कारण चीनी नागरिक बचत करने पर मजबूर हैं। इससे घरेलू खपत में बाधा आ रही है। वहीं, अमेरिका चीन की वित्तीय प्राथमिकताओं को लेकर चिंतित है, जिससे व्यापार तनाव बढ़ रहा है।
कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाया है चीन का शेयर बाजार
पिछले 10 सालों में चीन के शेयर बाजार ने कुछ खास कमाल नहीं दिखाया है। अगर आपने CSI 300 इंडेक्स में 10,000 डॉलर लगाए होते तो वो सिर्फ 3,000 डॉलर ही बढ़ते। जबकि अमेरिका के S&P 500 में यही पैसे तीन गुना हो जाते। भारत में इतना ही पैसा लगाया गया होता तो उस पर 150% से ज्यादा का रिटर्न मिलता।
शेयर बाजार के कमजोर होने से चीन के लोग डरे हुए हैं। उन्हें लगता है कि शेयर बाजार में पैसा लगाना सुरक्षित नहीं है। ऐसे में वे ज्यादा से ज्यादा पैसा बचा रहे हैं। लोग अपनी कमाई का लगभग 35% हिस्सा बचा लेते हैं। इससे शी जिनपिंग की परेशानी बढ़ गई है। वह चाहते हैं कि लोग खूब खर्च करें ताकि देश की अर्थव्यवस्था आगे बढ़े। लेकिन, लोग हैं कि डर के मारे खर्च ही नहीं कर रहे।
इस समस्या की जड़ यह है कि चीन का शेयर बाजार बनाया ही इसलिए गया था कि लोगों का पैसा उद्योगों में लगाया जा सके। सरकार चाहती थी कि लोग शेयर बाजार में पैसा लगाएं और उस पैसे से देश के उद्योग आगे बढ़ें। इसलिए निवेशकों को ज्यादा फायदा हो, इस पर ध्यान नहीं दिया गया।
फाइनेंसरों के स्वर्ग, निवेशकों के लिए नर्क
लिउ जिपेंग नाम के एक एक्सपर्ट ने कहा, ‘चीन का कैपिटल मार्केट हमेशा से फाइनेंसरों के लिए स्वर्ग और निवेशकों के लिए नर्क रहा है।’ इसका मतलब है कि जो लोग कंपनियों को पैसा देते हैं, उन्हें तो फायदा होता है। लेकिन जो लोग शेयर खरीदते हैं, उन्हें अक्सर नुकसान होता है। उन्होंने यह भी कहा कि रेगुलेटर और एक्सचेंज हमेशा जानबूझकर या अनजाने में बिजनेस के फाइनेंसिंग साइड की ओर झुके रहते हैं।
जो लोग शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं, उन्हें कंपनियों पर भरोसा नहीं है। उन्हें लगता है कि कंपनियां ठीक से काम नहीं कर रही हैं। चेन लॉन्ग नाम के एक एसेट मैनेजर के अनुसार, ‘बहुत सारे आम लोग यह सोचकर आते हैं कि वे पैसा कमा सकते हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर गरीब हो जाते हैं।’ उनका कहना है कि सरकारी कंपनियां शेयरधारकों को फायदा पहुंचाने के बजाय सरकारी लक्ष्यों पर ज्यादा ध्यान देती हैं। वहीं, प्राइवेट कंपनियां छोटे निवेशकों को भूल जाती हैं।
हालांकि, कुछ सुधार हुए हैं। नई स्टॉक लिस्टिंग की संख्या पिछले साल एक तिहाई कम हो गई। इसका मतलब है कि अब कंपनियों को शेयर बाजार में लिस्ट होना पहले से ज्यादा मुश्किल हो गया है। इसके अलावा, लिस्टेड कंपनियों ने 2024 में 2.4 ट्रिलियन युआन (334 अरब डॉलर) का कैश डिविडेंड दिया। इससे पता चलता है कि रेगुलेटर कंपनियों को शेयरधारकों को फायदा पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
हालांकि, अभी भी कई बड़ी समस्याएं हैं। चीनी कंपनियां शेयर बायबैक के मामले में अमेरिकी कंपनियों से बहुत पीछे हैं। CSI 300 इंडेक्स की कंपनियों ने 2024 में अपनी मार्केट वैल्यू का सिर्फ 0.2% ही बायबैक पर खर्च किया। जबकि S&P 500 की कंपनियों ने लगभग 2% खर्च किया।
शी जिनपिंग इस समस्या को समझ रहे हैं। उन्होंने हाल ही में स्टॉक मार्केट की स्थिरता की बात की है। लेकिन, लोगों को अभी भी लगता है कि चीन का शेयर बाजार निवेशकों को फायदा पहुंचाने के बजाय सिर्फ कंपनियों के लिए पैसा जुटाने का जरिया है।
