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ये है 7 का सत्य! स्टॉक खरीदने से पहले इसे नहीं समझा तो करा लेंगे भारी नुकसान…क्या आप भी करते हैं ये गलती? | Zee Business

ये है 7 का सत्य! स्टॉक खरीदने से पहले इसे नहीं समझा तो करा लेंगे भारी नुकसान…क्या आप भी करते हैं ये गलती? | Zee Business

Last Updated on August 15, 2025 13:25, PM by

 

स्टॉक मार्केट में कई लोग सिर्फ सुन-सुन कर या सोशल मीडिया के ट्रेंड देखकर निवेश करते हैं. लेकिन सफल निवेशक जानते हैं कि असली खेल रिसर्च और सही आंकड़ों को समझने में है. एक कंपनी का नाम बड़ा होना, या बार-बार न्यूज में आना, इसका मतलब यह नहीं कि वह हमेशा अच्छे रिटर्न देगी.

अगर आप लंबे समय तक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो आपको कंपनी के असली फंडामेंटल्स को समझना होगा. यहां हम आपको 7 ऐसे अहम फैक्टर बता रहे हैं, जिन्हें हर निवेशक को किसी भी स्टॉक को पोर्टफोलियो में शामिल करने से पहले देखना चाहिए.

1. बिजनेस मॉडल और इंडस्ट्री पोजीशन

किसी भी कंपनी का बिजनेस मॉडल उसके भविष्य का नक्शा होता है. आपको यह समझना जरूरी है कि कंपनी क्या प्रोडक्ट या सर्विस देती है, किस तरह से रेवेन्यू कमाती है और इंडस्ट्री में उसकी पोजीशन क्या है.

क्या कंपनी का बिजनेस मॉडल आने वाले सालों में भी प्रासंगिक रहेगा? क्या कंपनी के पास ऐसा कंपटीटिव एडवांटेज है जो उसे दूसरों से अलग करता है, जैसे यूनिक टेक्नोलॉजी, मजबूत ब्रांड वैल्यू, या सरकारी सुरक्षा? उदाहरण के लिए, कंज्यूमर स्टेपल्स (Consumer Staples) सेक्टर की कंपनियां आमतौर पर आर्थिक मंदी में भी टिकाऊ रहती हैं, जबकि ऑटोमोबाइल जैसे साइक्लिकल बिजनेस में ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है.

2. मैनेजमेंट क्वालिटी और कॉरपोरेट गवर्नेंस

कंपनी का भविष्य उसके मैनेजमेंट के हाथ में होता है. मजबूत और ईमानदार लीडरशिप न सिर्फ बिजनेस को बढ़ाती है, बल्कि मुश्किल हालात में भी सही दिशा में रखती है. आपको यह देखना चाहिए कि कंपनी का मैनेजमेंट शेयरहोल्डर्स के साथ पारदर्शिता से बात करता है या नहीं और क्या उनकी एथिकल प्रैक्टिस सही है.

बार-बार टॉप मैनेजमेंट में बदलाव, संदिग्ध डील्स या रेगुलेटरी जांच कंपनी के लिए खतरे का संकेत हो सकते हैं. वार्षिक रिपोर्ट में ऑडिटर की टिप्पणियां और प्रमोटर की शेयरहोल्डिंग पैटर्न भी मैनेजमेंट की नीयत का आईना होती हैं.

3. फाइनेंशियल परफॉर्मेंस की स्थिरता

पिछले 5 से 10 सालों के वित्तीय आंकड़े देखकर ही कंपनी की असली ताकत का पता चलता है. रेवेन्यू ग्रोथ, नेट प्रॉफिट मार्जिन, EBITDA और EPS (Earnings Per Share) जैसे मेट्रिक्स पर ध्यान दें. एक अच्छी कंपनी वही है जो कठिन आर्थिक समय में भी अपने मुनाफे और मार्जिन को बनाए रख सके. यह देखना जरूरी है कि क्या कंपनी का प्रॉफिट स्थिर है या बहुत उतार-चढ़ाव वाला.

4. डेट लेवल और बैलेंस शीट स्ट्रेंथ

कर्ज (Debt) किसी कंपनी के लिए अच्छा भी हो सकता है और खतरनाक भी. एक हद तक कर्ज से कंपनी का विस्तार तेज हो सकता है, लेकिन ज्यादा कर्ज लेने पर ब्याज का बोझ बढ़ जाता है और कंपनी की वित्तीय स्थिति कमजोर हो सकती है.

Debt-to-Equity Ratio, Interest Coverage Ratio और Current Ratio जैसे आंकड़े यह दिखाते हैं कि कंपनी कितना कर्ज संभाल सकती है और उसकी लिक्विडिटी कैसी है. कम कर्ज और मजबूत बैलेंस शीट वाली कंपनी आर्थिक मंदी या ब्याज दर बढ़ने जैसे झटकों को आसानी से झेल सकती है.

5. रिटर्न रेशियो- ROE और ROCE

Return on Equity (ROE) और Return on Capital Employed (ROCE) से पता चलता है कि कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स के पैसे और कुल पूंजी का कितना अच्छा इस्तेमाल कर रही है. अगर ROE और ROCE लगातार 15% से ज्यादा है, तो यह मैनेजमेंट की कुशलता का संकेत है. इन रेशियो की तुलना हमेशा सेक्टर के औसत से करनी चाहिए ताकि असली परफॉर्मर पहचाना जा सके.

6. वैल्यूएशन मेट्रिक्स

भले ही कंपनी मजबूत हो, अगर आप उसके शेयर को बहुत ऊंची कीमत पर खरीदेंगे तो रिटर्न मिलने में मुश्किल होगी. Price-to-Earnings (P/E), Price-to-Book (P/B), और EV/EBITDA जैसे रेशियो से पता चलता है कि स्टॉक ओवरवैल्यूड है या अंडरवैल्यूड. एक निवेशक के तौर पर आपको यह देखना चाहिए कि मौजूदा कीमत में भविष्य की अनिश्चितताओं के लिए “Margin of Safety” है या नहीं.

7. फ्री कैश फ्लो और डिविडेंड ट्रैक रिकॉर्ड

Free Cash Flow (FCF) यह बताता है कि कैपिटल एक्सपेंडिचर घटाने के बाद कंपनी के पास कितना पैसा बचता है. यह पैसा कंपनी कर्ज चुकाने, नए प्रोजेक्ट में लगाने या निवेशकों को डिविडेंड देने में इस्तेमाल कर सकती है. एक अच्छा डिविडेंड ट्रैक रिकॉर्ड यह दिखाता है कि कंपनी निवेशकों को रिवॉर्ड करने के लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि, अगर डिविडेंड बहुत ज्यादा है और कंपनी के पास उतना फ्री कैश फ्लो नहीं है, तो यह टिकाऊ नहीं रहेगा.

खबर से जुड़े 5 FAQs

Q1: स्टॉक खरीदने से पहले सबसे जरूरी फैक्टर क्या है?

A1: कंपनी का बिजनेस मॉडल और इंडस्ट्री पोजीशन.

Q2: अच्छा ROE और ROCE कितना होना चाहिए?

A2: लगातार 15% से ज्यादा.

Q3: डेट लेवल का एनालिसिस कैसे करें?

A3: Debt-to-Equity Ratio और Interest Coverage Ratio देखें.

Q4: फ्री कैश फ्लो क्यों मायने रखता है?

A4: यह कंपनी की विकास और डिविडेंड देने की क्षमता दिखाता है.

Q5: ओवरवैल्यूएशन का पता कैसे चलेगा?

A5: P/E और P/B रेशियो की तुलना सेक्टर और हिस्टोरिकल एवरेज से करें.

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