Last Updated on August 2, 2025 7:25, AM by
शेयर बाजार में आज फिर गिरावट आई है। पिछले नौ दिन में विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से 27,000 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए हैं। विदेशी निवेशकों के भारतीय बाजार से पैसा निकालने की कई वजहें हैं।
क्यों भाग रहे निवेशक?
ट्रंप ने बुधवार को भारत पर 25 फीसदी टैरिफ की घोषणा की और गुरुवार को शेयर मार्केट ने इस पर रिएक्ट किया। गुरुवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजार से 5,600 करोड़ रुपये निकाल लिए। ट्रंप के टैक्स वाले ऐलान से निवेशक घबरा गए। उन्हें लग रहा था कि भारत अब सुरक्षित जगह नहीं रहा। पहले से ही कंपनियों के खराब रिजल्ट ने निवेशकों को और परेशान कर रखा था। इस वजह से उन्होंने बहुत ज्यादा शेयर बेचने के सौदे कर लिए हैं। यह आंकड़ा 90% तक पहुंच गया है। पिछली बार जनवरी में ऐसा हुआ था, तब यह आंकड़ा 89% था। जुलाई में निफ्टी रोलओवर भी गिरकर 75.71% रह गया जो पिछले महीने 79.53% था।
पहली तिमाही में भारत की कंपनियों का रिजल्ट अच्छा नहीं रहा। बहुत शेयरों के दाम गिर गए हैं। पिछले एक महीने में IT सेक्टर 10% गिर गया है जबकि निफ्टी बैंक फ्लैट है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के टॉप 9 प्राइवेट बैंकों की ग्रोथ सिर्फ 2.7% रही है। इससे पता चलता है कि देश की अर्थव्यवस्था धीमी चल रही है और लोग ज्यादा लोन नहीं ले रहे हैं। एक और वजह है डॉलर का मजबूत होना है। डॉलर इंडेक्स 100 तक पहुंच गया है। इस हफ्ते डॉलर 2.5% मजबूत हुआ है। ये पिछले तीन साल में सबसे अच्छा प्रदर्शन है।
कब सुधरेंगे रिश्ते
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म CLSA के विकास जैन ने कहा कि ट्रंप के बयानों से लगता है कि भारत अब अमेरिका और रूस दोनों के साथ आसानी से व्यापार नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि भारत और अमेरिका के रिश्ते जल्दी ही सुधर जाएंगे। लेकिन इस अनिश्चितता से भारतीय शेयर बाजार पर और बुरा असर पड़ सकता है, जो पहले से ही कमजोर है।”
हालांकि मार्केट के जानकार सुनील सुब्रमण्यम की अलग राय है। उन्होंने कहा कि एफआईआई पूरे महीने से बेच रहे थे। शायद उन्हें पहले से ही पता था कि भारत को BTA (बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट) का फायदा नहीं मिलेगा। एफआईआई के बेचने की और भी वजहें थीं, जैसे कि चीन के शेयर सस्ते हो गए थे और वहां की अर्थव्यवस्था भी अच्छी चल रही थी। मुझे लगता है कि चीन की ग्रोथ अब 4.8% तक बढ़ जाएगी। अमेरिका में ब्याज दरें अब भी ऊंची हैं क्योंकि फेडरल रिजर्व ब्याज दरें कम करने की बात नहीं कर रहा है।
आगे कैसी रहेगी चाल
सुब्रमण्यम को इस मुश्किल में भी मौका दिख रहा है। उन्होंने कहा, “घरेलू निवेशकों के पास बहुत ज्यादा पैसा है। ऐसी घबराहट वाली गिरावट उनके लिए शेयर खरीदने का अच्छा मौका है।” उन्होंने कहा कि एफआईआई के बेचने के बाद भी भारत के शेयर अभी भी दूसरे देशों के मुकाबले महंगे हैं। मार्केट के आंकड़ों से पता चलता है कि शायद अब कुछ अच्छा हो सकता है। मार्च 2020 के बाद चार बार ऐसा हुआ है जब एफआईआई का लॉन्ग-टू-शॉर्ट रेशियो 0.15 या उससे कम था। चारों बार निफ्टी में 7% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई। इससे लगता है कि एफआईआई जल्दी ही शेयर खरीदना शुरू कर सकते हैं।
Carnelian Asset Management के विकास खेमानी को भारत के भविष्य पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि जैसे ही फेडरल रिजर्व ब्याज दरें कम करेगा, एफआईआई वापस आ जाएंगे। बाजार में अभी उतार-चढ़ाव रहेगा। यह देखना होगा कि विदेशी निवेशक और कितना बेचते हैं और घरेलू निवेशक कितना खरीदते हैं? इससे पता चलेगा कि 27,000 करोड़ रुपये की बिकवाली सिर्फ एक छोटा सा तूफान है या सच में दुनिया भर के निवेशक अब भारत से दूर जा रहे हैं