Last Updated on August 2, 2025 9:32, AM by
Axis Mutual Fund Front Running Scam: प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीमों ने शुक्रवार की सुबह-सुबह देश के 7 बड़े शहरों में एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की. यह कार्रवाई एक्सिस म्यूचुअल फंड में हुए ‘फ्रंट-रनिंग’ घोटाले के सिलसिले में की गई है. ED की यह छापेमारी दिल्ली, गुरुग्राम, कोलकाता, लुधियाना के साथ-साथ गुजरात के अहमदाबाद, भावनगर और भुज में कई दलालों और व्यापारियों के ठिकानों पर हुई.
कैसे हुआ एक्सिस म्यूचुअल फंड में यह घोटाला?
इस पूरे स्कैम का मुख्य आरोपी वीरेश जोशी है , जो एक्सिस म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर के पद पर काम करता था. फंड मैनेजर होने के नाते, वीरेश जोशी को यह पहले से पता होता था कि एक्सिस म्यूचुअल फंड आज कौन-कौन से शेयर खरीदने या बेचने वाला है. ED की जांच के मुताबिक, वीरेश जोशी ने 2018 से 2021 के बीच इस गोपनीय जानकारी का जमकर दुरुपयोग किया. वह फंड के बड़े सौदे होने से ठीक पहले, यह जानकारी दूसरे दलालों और व्यापारियों को लीक कर देता था.
दुबई से होता था पूरा खेल
यह पूरा नेटवर्क बहुत शातिर तरीके से काम कर रहा था. जांच में पता चला है कि फ्रंट-रनिंग के सौदे करने के लिए दुबई में बैठे-बैठे एक टर्मिनल का इस्तेमाल किया जाता था. यह धोखाधड़ी ‘म्यूल ट्रेडिंग अकाउंट्स’ यानी दूसरों के नाम पर खोले गए फर्जी खातों के जरिए की जाती थी, ताकि सीधे तौर पर किसी को पकड़ा न जा सके.
कितना बड़ा है यह घोटाला?
एक्सिस म्यूचुअल फंड भारत की सबसे बड़ी फंड मैनेजमेंट कंपनियों में से एक है, जो 2 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा की संपत्ति (AUM) को मैनेज करती है. ईडी के अनुसार, अब तक की जांच में 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की अवैध कमाई का पता चला है. एजेंसी का मानना है कि घोटाले की वास्तविक रकम इससे कहीं ज्यादा हो सकती है, जिसकी जांच अभी जारी है.
पैसे को कैसे ठिकाने लगाया गया? (मनी लॉन्ड्रिंग का एंगल)
धोखाधड़ी से कमाए गए इस पैसे को सफेद बनाने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का सहारा लिया गया. पैसों को दर्जनों फर्जी कंपनियों (Shell Entities) के जाल में घुमाया गया. यह रकम आरोपियों, उनके परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के बैंक खातों में डाली गई. ईडी अब इसी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच PMLA (मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम), 2002 के तहत कर रही है. एजेंसी का मकसद घोटाले से बनाई गई संपत्ति को जब्त करना और इस नेटवर्क में शामिल सभी लोगों को कानून के शिकंजे में लाना है. यह जांच मुंबई पुलिस द्वारा दिसंबर 2024 में दर्ज की गई एक FIR के आधार पर शुरू की गई थी.
‘फ्रंट-रनिंग’ का मतलब क्या है?
‘फ्रंट-रनिंग’ शेयर बाजार में धोखाधड़ी का एक तरीका है. इसे एक आसान उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए, आपको पक्की खबर मिलती है कि एक बहुत बड़ी कंपनी (जैसे एक्सिस म्यूचुअल फंड) कुछ ही मिनटों में किसी छोटी कंपनी ‘X’ के 10 लाख शेयर खरीदने वाली है. आपको पता है कि जैसे ही यह बड़ी खरीद होगी, ‘X’ कंपनी के शेयर का दाम आसमान छू जाएगा.
अब आप क्या करते हैं? आप उस बड़ी कंपनी के ऑर्डर डालने से ठीक पहले, चुपके से उसी ‘X’ कंपनी के कुछ हजार शेयर खुद खरीद लेते हैं. जैसे ही बड़ी कंपनी अपना 10 लाख शेयरों का ऑर्डर डालती है, शेयर का भाव तेजी से ऊपर चढ़ जाता है. अब आप अपने खरीदे हुए शेयर ऊंचे दाम पर बेचकर मोटा मुनाफा कमा लेते हैं. इसी खेल को ‘फ्रंट-रनिंग’ कहते हैं. यह पूरी तरह से गैरकानूनी है क्योंकि इसमें आप गोपनीय जानकारी का फायदा उठाकर दूसरे निवेशकों को धोखा देते हैं.