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जुलाई में विदेशी निवेशकों ने बेचे ₹47,500 करोड़ के शेयर, टूटा 4 महीनों का रिकॉर्ड, जानें बड़ी वजह

जुलाई में विदेशी निवेशकों ने बेचे ₹47,500 करोड़ के शेयर, टूटा 4 महीनों का रिकॉर्ड, जानें बड़ी वजह

Last Updated on August 2, 2025 16:59, PM by

FIIs Selling: शेयर बाजारों के निवेशकों के लिए जुलाई का यह महीना काफी निराशाजनक रहा। पूरी दुनिया के टॉप-10 शेयर बाजारों में सबसे अधिक गिरावट भारतीय शेयर बाजार में देखने को मिली। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर लिस्टेड सभी कंपनियों का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन में जुलाई में करीब 3.6 फीसदी घटकर 5.2 ट्रिलियन डॉलर पर आ गया। पिछले पांच महीने यानी फरवरी के बाद से यह किसी एक महीने में आई सबसे बड़ी गिरावट रही। इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह रही, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की बिकवाली।

विदेशी निवेशकों ने जुलाई महीने में 47,600 करोड़ रुपये से भी अधिक की भारी बिकवाली की है। खास बात यह है कि इससे पहले लगातार चार महीनों से विदेशी निवेशक भारत में खरीदारी कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कुल करीब 38,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया था। हालांकि अब जुलाई महीने में उन्होंने इससे भी ज्यादा एक बार में निकाल ली ।

विदेशी निवेशकों की इस बिकवाली ने शेयर बाजार पर भी भारी दबाव बनाया। सेंसेक्स और निफ्टी में जुलाई महीने के दौरान 3.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इसके चलते भारतीय शेयर बाजार, दुनिया के टॉप-10 बाजारों में सबसे खराव प्रदर्शन वाला मार्केट बन गया।

 

क्यों आई गिरावट?

मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि इस गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं। सबसे पहले जून तिमाही का अर्निंग सीजन उम्मीद से कमजोर रहा, जिससे निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ। टैरिफ को लेकर अनिश्चितता भी पूरे महीने छाई रही। इसके साथ ही, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की भारी बिकवाली ने बाजार को नीचे खींचा। इससे मार्केट का सेंटीमेंट बुरी तरह प्रभावित किया।

इसके अलावा, IPO और QIP में पूंजी के शिफ्ट होने, महंगे वैल्यूएशन वाले भारतीय शेयरों में सतर्कता और डेरिवेटिव मार्केट से आए संकेतों ने गिरावट को और तेज कर दिया। India VIX में तेजी, इंडेक्स फ्यूचर्स में शॉर्ट पोजिशन और घटते पुट-काल रेशियो ने ट्रेडर्स की चिंता को और बढ़ा दिया।

ग्लोबल बाजारों में तेजी

जहां भारतीय बाजारों में गिरावट देखी हुई, वहीं अधिकतर बड़े ग्लोबल बाजारों ने जुलाई में मजबूती दिखाई दी। सबसे अधिक तेजी चीन में दिखी, जो मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। चाइनीज मार्केट में जुलाई में 6.7% बढ़ा। इसके अलावा हांगकांग में 6%, अमेरिका में 3.5% और कनाडा में 2.4% की तेजी देखी गई। ताइवान, ब्रिटेन और फ्रांस में भी मामूली बढ़त रही।

इन बाजारों में भारत से भी अधिक गिरावट

भारतीय बाजारों का प्रदर्शन जुलाई में दुनिया का पांचवां सबसे खराब रहा। इसके अधिक गिरावट सिर्फ ब्राजील (-8.4% गिरावट), बोत्सवाना (-5.6%), लेबनान (-4.2%) और चिली (-4.1%) में देखने को मिली।

मिडकैप और स्मॉलकैप भी गिरे

जुलाई में सेंसेक्स और निफ्टी करीब 3.5% तक गिरे। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी करीब इतनी ही गिरावट देखने को मिली। यह गिरावट मुख्य रूप से आईटी और बैंकिंग शेयरों में मुनाफावसूली के चलते आई। तकनीकी रूप से देखा जाए तो इंडेक्स महीने की शुरुआत में ओवरबॉट जोन में था, जिससे एक स्वाभाविक पुलबैक आया।

घरेलू अनिश्चितता भी बनी वजह

चॉइस ब्रोकिंग के सीनियर इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट मंदार भोजने ने बताया कि मैक्रो स्तर पर बजट में देरी, चुनाव के बाद की अनिश्चितता और डिफेंसिव सेक्टर में रोटेशन ने भी बाजार पर दबाव बढ़ाया। उन्होंने कहा, “अधिकतर ग्लोबल मार्केट जहां महंगाई दर के नीचे आने और मजबूत अर्निंग्स के दम पर ऊपर जा रहे थे, वहीं भारतीय निवेशक सतर्कता बरत रहे थे।”

हालांकि भोजने ने यह भी कहा कि लंबी अवधि का रुझान अब भी पॉजिटिव बना हुआ है। उन्होंने कहा, “बाजार में गिरावट को निवेशकों को क्वालिटी शेयरों में खरीदारी का मौका मानना चाहिए।”

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