Last Updated on July 31, 2025 17:03, PM by
Stock Market : भारतीय इक्विटी इंडेक्स 31 जुलाई को लगातार दूसरे कारोबारी सत्र में गिरावट के साथ बंद हुए और निफ्टी 24,800 से नीचे चला गया। कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स 296.28 अंक या 0.36 प्रतिशत की गिरावट के साथ 81,185.58 पर और निफ्टी 86.70 अंक या 0.35 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,768.35 पर बंद हुआ। लगभग 1490 शेयरों में तेजी रही। 2365 शेयरों में गिरावट देखने को मिली और 135 शेयरों में कोई बदलाव नहीं हुआ।
मंथली एक्सपायरी के दिन बाज़ार में उतार-चढ़ाव रहा। अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारत पर टैरिफ़ की अचानक घोषणा से शुरुआत में अचानक प्रतिक्रिया हुई। हालांकि, विभिन्न सेक्टरों के दिग्गज शेयरों में धीरे-धीरे आई रिकवरी से इंडेक्स कुछ समय के लिए हरे निशान में भी चले गए। लेकिन अंतिम घंटों में बिकवाली का दबाव फिर से हावी हो गया, जिससे एक बार फिर तेज़ड़ियों को पीछे हटना पड़ा। नतीजतन, निफ्टी लाल निशान में बंद हुआ।
एचयूएल, जियो फाइनेंशियल, इटरनल, जेएसडब्ल्यू स्टील और आईटीसी निफ्टी के टॉप गेनरों में रहे। जबकि, अदाणी एंटरप्राइजेज, डॉ रेड्डीज लैब्स, अदणी पोर्ट्स, टाटा स्टील, सन फार्मा निफ्टी के टॉप लूजर रहे। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्सों में 0.7 प्रतिशत की गिरावट आई।
सेक्टोरल इंडेक्सों की बात करें तो एफएमसीजी में 1.4 फीसदी की बढ़त हुई, जबकि आईटी, मेटल, तेल एवं गैस, पीएसयू बैंक, फार्मा, रियल्टी, और टेलीकॉम में 0.5-1.8 फीसदी की गिरावट आई।
यूएस टैरिफ के बाज़ारों पर असर के बारे में बात करते हुए एंजेल वन के CFA (सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट) वकारजावेद खान ने कहा, “निकट भविष्य में एक्सपोर्ट ओरिएंटेड शेयर कमज़ोर प्रदर्शन कर सकते हैं। व्यापार वार्ता के सकारात्मक परिणाम आने तक निवेशकों का रुझान सतर्क बने रहने की उम्मीद है। एफपीआई आगे की स्थिति साफ होने तक वेट एंड वॉच की नीति अपना सकते हैं या उनका रुख सेक्टर रोटेशन की ओर रह सकता है।”
उन्होंने कहा कि घरेलू और विदेशी दोनों निवेशकों से इस बात कि उम्मीद है कि वे अपना फोकस घरेलू इकोनॉमी पर आधारित शेयरों पर रखेंगे। इस समय खपत, इंफ्रा और ऐसी फाइनेंशियल कंपनियों पर ध्यान होना चाहिए जो निर्यात पर कम निर्भर हों।
पीएल कैपिटल के अमनीश अग्रवाल ने कहा, “हम अमेरिकी एक्सपोर्ट पर भारत द्वारा किसी जवाबी कदम की संभावना से इनकार नहीं कर सकते हैं। एग्री, डेयरी तथा डिफेंस जैसे पेचीदा मुद्दों को देखते हुए व्यापार समझौते की राह आसान नहीं है। हमें निकट भविष्य में अनिश्चितता बने रहने और बाजार में वोलैटिलिटी बढ़ने की उम्मीद है। हमारा मानना है कि जिन कंपनियों का अमेरिकी को होने वाला निर्यात ज़्यादा है, उनमें वोलैटीलटी बढ़ सकती है।”
उन्होंने आगे कहा, “हालांकि मौजूदा नतीजों के मौसम में घरेलू मांग में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ है, लेकिन त्योहारी सीज़न में मांग में सुधार की उम्मीद से फिलहाल घरेलू इकोनॉमी पर निर्भर शेयरों में खरीदारी आ सकती। घरेलू खपत, हॉस्पिटल, चुनिंदा कंज्यूमर, इंफ्रा, कैपिटल गुड्स, एएमसी और निजी बैंक शेयर इस उठापटक भरे समय में डिफेंसिव रोल निभाएंगे।”
