Last Updated on July 30, 2025 16:11, PM by Pawan
दिग्गज निवेशक सौरभ मुखर्जी (Saurabh Mukherjea) ने मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में हाल ही में लगातार आ रहे भारी निवेश पर चिंता जताई है। उनका मानना है कि यह सिर्फ निवेशकों के लिए ही नहीं बल्कि व्यापक इकोनॉमी के लिए भी जोखिम हो सकता है। मार्सेलस इनवेस्टमेंट मैनेजर्स के फाउंडर ने CNBC-TV18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “जिस चीज ने मुझे सबसे ज्यादा परेशान किया है, वह है स्मॉल और मिडकैप स्कीमों या एयूएम (AUM) में लगातार और बड़ी मात्रा में आ रहा पैसा। जितना पैसा आ रहा है, उतनी अर्निंग ग्रोथ नहीं दिख रही है। वैल्यूएशन डंवाडोल स्थिति में है।”
उन्होंने यह भी बताया कि स्मॉलकैप इंडेक्स सिर्फ पिछले तीन साल में दोगुना से ज्यादा बढ़ चुका है, लेकिन यह उछाल बुनियादी बातों यानी फंडामेंटल्स से मेल नहीं खाता।
लार्जकैप क्वालिटी शेयरों पर भरोसा
स्मॉल- और मिडकैप से पूरी तरह दूरी नहीं
हालांकि मुखर्जी पूरी तरह स्मॉल और मिडकैप शेयरों से दूरी नहीं बना रहे। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी मार्सेलस इनवेस्टमेंट मैनेजर्स ने इस सेगमेंट के चुनिंदा शेयरों में अपना निवेश बढ़ाया है। खासतौर से स्पेशियलिटी केमिकल्स और फार्मा सप्लाई चेन से जुड़ी कंपनियों में। उन्होंने एक्यूटास केमिकल्स (Acutaas Chemicals) का उदाहरण दिया, जो भारतीय API कंपनियों को कच्चा माल सप्लाई करती है। मुखर्जी का मानना है कि यह कंपनी आउटसोर्स मैन्युफैक्चरिंग में आने वाली तेजी और भारत-अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते का लाभ उठाने की अच्छी स्थिति में है।
लॉन्ग-टर्म कंपाउंडर्स पर फोकस
मार्सेलस में सौरभ मुखर्जी का मुख्य पोर्टफोलियो पिछले कुछ सालों ms ज्यादा नहीं बदला है। मुखर्जी अब भी लंबे समय तक अच्छे रिटर्न देने वाली कंपनियों पर भरोसा कर रहे हैं। इनमें वह HDFC बैंक, एशियन पेंट्स, डिवीज लैबोरेटरीज, ट्रेंट और पिडिलाइट इंडस्ट्रीज आदि शामिल हैं।
इसके अलावा वे प्राइवेट कैपेक्स से जुड़ी कंपनियों पर नजर बनाए हुए हैं। मुखर्जी का मानना है कि आने वाले सालों में यह सेगमेंट एक बड़ा रिवाइवल देख सकता है।
अपने कोर पोर्टफोलियो के अलावा मुखर्जी फिलहाल कंज्मप्शन से जुड़े शेयरों पर नजर रख रहे हैं लेकिन वे इसमें निवेश को लेकर किसी जल्दबाजी में नहीं है। उनका मानना है कि कंज्मप्शन सेक्टर में फिलहाल मंदी चल रही है। उन्होंने कहा, “घरेलू सेविंग्स पिछले 50 साल के निचले स्तर पर है और वैल्यूएशन भी ऊंचे हैं। यही कारण है कि कंज्म्पशन अभी दबाव में है।”
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