Last Updated on July 20, 2025 9:02, AM by
SIP closure: सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) को लंबी अवधि में बड़ा फंड का सबसे अच्छा जरिया माना जाता है। लेकिन, 2025 में SIP बंद होने की संख्या में भारी उछाल आया है। इससे म्यूचुअल फंड निवेशक भी परेशान हो रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अब तक 1 करोड़ से ज्यादा SIP बंद हो चुकी हैं।
जून में SIP स्टॉपेज रेशियो 77.7% पहुंचा
सिर्फ जून 2025 में ही करीब 48 लाख SIP या तो बंद हुईं या मैच्योर हो गईं। इससे SIP स्टॉपेज रेशियो 77.7% के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। वैल्यू रिसर्च के मुताबिक यह आंकड़ा काफी अहम है, क्योंकि यह दिखाता है कि जितनी नई SIP शुरू हो रही हैं, उसके मुकाबले कहीं ज्यादा बंद हो रही हैं।
एक्टिव SIP अकाउंट्स अब भी मजबूत
हालांकि, इंडस्ट्री के जानकार इसे लेकर बहुत चिंतित नहीं हैं। जून में मंथली SIP इनफ्लो ₹27,269 करोड़ के ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गया, जो मई के ₹26,688 करोड़ से ज्यादा है। SIP अकाउंट्स की संख्या भी जून में बढ़कर 9.19 करोड़ (91.9 मिलियन) हो गई, जो मई में 9.06 करोड़ थी। इनमें से जून में करीब 8.64 करोड़ SIP अकाउंट्स से निवेश हुआ, जबकि मई में यह आंकड़ा 8.56 करोड़ था।
SIP बंद होने की वजह केवल डर नहीं
SIP स्टॉपेज रेशियो बताता है कि कितनी SIP बंद हुई हैं बनाम कितनी नई शुरू हुई हैं। लेकिन, एक्सपर्ट मानते हैं कि इसका मतलब यह नहीं कि निवेशक बाजार से बाहर निकल रहे हैं। कई SIPs अपनी तय अवधि पर मैच्योर हो रही हैं या फिर तकनीकी कारणों से फोलियो की सफाई की जा रही है।
हाई वैल्यूएशन से डर रहे हैं कुछ निवेशक
Lemonn Markets के गौरव गर्ग का कहना है कि बाजार में ऊंचे वैल्यूएशन से कुछ निवेशक असहज हैं। उनके मुताबिक, “हाई वैल्यूएशन और डर के चलते कई SIP बंद हो रही हैं। लेकिन डेटा साफ दिखाता है कि लंबे समय तक निवेश करना ज्यादा फायदेमंद होता है।”
‘मार्केट पीक पर SIP रोकना गलत’
FinEdge के को-फाउंडर और CEO हर्ष गहलौत SIP रोकने को लेकर आगाह करते हैं। वह कहते हैं, “जब मार्केट पीक पर होता है, तब SIP रोकना सही लग सकता है, लेकिन यह लंबी अवधि में बड़ा नुकसान कर सकता है।” उनके मुताबिक, SIP का मकसद लगातार निवेश करना है, न कि टाइमिंग करना।
SIP बंद करना उल्टा कदम है: Centricity WealthTech
Centricity WealthTech के इश्करन छाबड़ा SIP रोकने को “काउंटरइंट्यूटिव” यानी उल्टा सोचने जैसा बताते हैं। उनका कहना है, “इतिहास बताता है कि गिरते बाजारों में भी निवेश जारी रखने से ज्यादा वेल्थ बनती है, बजाय इसके कि आप टाइमिंग करने की कोशिश करें।” वह SIP रोकने की बजाय पोर्टफोलियो को रिबैलेंस करने की सलाह देते हैं।
लंबे समय तक निवेश से ही मिलेगा फायदा
सभी एक्सपर्ट का मानना है कि शेयर बाजार पहले भी कई बार ऑल-टाइम हाई पर पहुंचा है और उसके कुछ समय बाद उसने फिर से नया हाई बनाया है। SIP के जरिए मिलने वाले रूपी कॉस्ट एवरेजिंग और कंपाउंडिंग जैसे फायदे तभी काम करते हैं, जब निवेशक हर साइकल में बने रहते हैं।
SIP करते समय किन बातों का ध्यान रखें?
लंबी अवधि का नजरिया रखें: SIP का असली फायदा कंपाउंडिंग और रूपी कॉस्ट एवरेजिंग से मिलता है, जो समय के साथ बढ़ता है। कम से कम 5-10 साल का निवेश लक्ष्य रखें।
मार्केट टाइमिंग से बचें: SIP का मकसद यह नहीं कि आप सही समय पर निवेश करें, बल्कि हर मार्केट साइकल में बने रहें। उतार-चढ़ाव में निवेश जारी रखना फायदेमंद होता है।
सही फंड का चुनाव करें: अपनी जोखिम क्षमता, लक्ष्य और समय-सीमा के आधार पर इक्विटी, हाइब्रिड या डेट फंड चुनें। बिना रिसर्च के फंड न लें।
सिर्फ रिटर्न पर न जाएं: किसी फंड का पुराना प्रदर्शन जरूरी है, लेकिन यह भविष्य की गारंटी नहीं। फंड मैनेजर की स्थिरता, AUM और खर्च अनुपात (expense ratio) भी देखें।
हर साल रिव्यू करें: SIP शुरू करने के बाद उसे भूलना नहीं है। हर साल पोर्टफोलियो रिव्यू करें और जरूरत पड़े तो रिबैलेंस करें।
