Last Updated on July 18, 2025 12:36, PM by
अप्रैल के लो लेवल के बाद इंडियन मार्केट्स में अच्छी रिकवरी दिखी थी। लेकिन, पिछले कुछ सत्रों से मार्केट फिर से गिर रहा है। इस गिरावट से इनवेस्टर्स निराश हैं। कई इनवेस्टर्स का मानना है कि इंडियन मार्केट्स की वैल्यूएशन ज्यादा है, जिससे फॉरेन इनवेस्टर्स बिकवाली कर रहे हैं। इससे बाजार गिर रहा है। अगर आपको भी लगता है कि इंडिया में स्टॉक्स की वैल्यूएशन ज्यादा लगती है तो आपको दिग्गज फंड मैनेजर प्रशांत जैन की एनालिसिस पर गौर करना चाहिए। जैन 3पी इनवेस्टमें मैनेजर्स की चीफ इनवेस्टमेंट अफसर हैं।
प्रशांत जैन का कहना है कि इनवेस्टर्स को हाई वैल्यूएशन की चिंता नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि निफ्टी 50 अपने 15 साल के औसत से ज्यादा है, इसके बावजूद लंबी अवधि के निवेशकों को चिंता नहीं करनी चाहिए। अभी निफ्टी 50 में FY26 की अनुमानित अर्निंग्स के 22 गुना पर ट्रेडिंग हो रही है। यह निफ्टी 50 की 15 साल की औसत वैल्यूएशन से 29 फीसदी ज्यादा है। जैन ने यह भी बताया कि इनवेस्टर्स को वैल्यूएशन की चिंता क्यों नहीं करना चाहिए। उन्होंने इनवेस्टर्स के लिए जारी न्यूजलेटर में इस बारे में बताया है।
दिग्गज फंड मैनेजर ने कहा कि इंडिया में इनफ्लेशन काफी कम हो गया है। करेंट अकाउंट डेफिसिट काफी घटा है। 10 साल के इंडियन बॉन्ड्स और अमेरिकी बॉन्ड्स की यील्ड के बीच फर्क घटा है। इससे कैपिटल की कॉस्ट घटी है। इन वजहों से इंडियन मार्केट्स के लिए आगे अच्छी संभावनाएं दिखती हैं। उन्होंने कहा कि इंडियन मार्केट को लेकर हमारी उम्मीद की सबसे बड़ी वजह कैपिटल कॉस्ट में आई कमी है। यह ज्यादा वैल्यूएशन के बावजूद मीडियन और लॉन्ग टर्म के लिए इंडियन मार्केट्स के लिए उम्मीद जगाता है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा वैल्यूएशन पर भी बॉन्ड यील्ड और अर्निंग्स यील्ड (BY-EY) के बीच फर्क कम बना हुआ है। इससे पता चलता है कि इंटरेस्ट रेट्स को एडजस्ट करने के बाद भी शेयरों की वैल्यूएशन सही है। हालांकि, उन्होंने कहा कि इंडियन मार्केट की रीरेटिंग के लिए गुंजाइश ज्यादा नहीं दिख रही। उन्होंने कहा कि इनवेस्टर्स को बाजार से रिटर्न की उम्मीद सही लेवल पर रखनी चाहिए। लॉन्ग टर्म में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ के मुताबिक शुरुआती डबल डिजिट में रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है।
जैन ने कहा कि हो सकता है कि वैल्यूएशन यहां से ज्यादा आगे नहीं बढ़े। लेकिन, साथ ही उन्होंने इंडियन मार्केट्स में पिछले बुल रन की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि इंडिया में किसी बुल मार्केट का अंत 25 गुना से कम के लेवल पर नहीं हुआ है तो फिर इस बार क्यों होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कैपिटल मार्केट्स विरोधाभास पर चलता है। उन्होंने कहा कि अभी बाजार का जो हाल है, उसमें निवेशकों को गिरावट पर खरीदारी की स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करना चाहिए। एकमुश्त निवेश की जगह उन्हें धीरे-धीरे मार्केट में निवेश करना चाहिए।