Last Updated on July 14, 2025 15:11, PM by
SEBI ने जानकारी दी है कि Jane Street ने उसके आदेश पर लगभग ₹4843 करोड़ की राशि एस्क्रो खाता में जमा की है. यह कदम उस अंतरिम आदेश के तहत उठाया गया, जिसमें Jane Street पर कुछ प्रतिबंध लगाए गए थे. Jane Street ने अब SEBI से उन प्रतिबंधों को हटाने की शर्तों के साथ मांग की है. कंपनी ने अंतरिम आदेश में लगाए गए प्रतिबंधों में छूट देने की गुज़ारिश की है, जिसे फिलहाल नियामक द्वारा समीक्षा के अधीन रखा गया है.
SEBI ने Jane Street से जुड़ी स्थिति पर आधिकारिक बयान भी जारी किया है. बयान में कहा गया है कि प्रतिबंध हटाने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है. SEBI का कहना है कि वह इस मामले में विचार कर रही है और कोई भी निर्णय अंतरिम आदेश की शर्तों के अनुसार ही लिया जाएगा.
सेबी का आरोप है कि शेयर बाजार में गलत प्रथाओं से जेन स्ट्रीट ग्रुप ने करोड़ों रुपए कमाए हैं, जिसके चलते नियामक ने अमेरिकी कंपनी को भारतीय शेयर बाजार में प्रवेश से प्रतिबंधित कर दिया था. इस महीने की शुरुआत में सेबी ने वॉल स्ट्रीट की इस कंपनी पर तब तक भारतीय शेयर बाजार में कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. जब तक कि वह 4,843.5 करोड़ रुपए एस्क्रो खाते में जमा नहीं कर देती.
सोमवार को कई रिपोर्टों में बताया गया है कि कंपनी ने अब यह राशि जमा कर दी है. इस महीने की शुरुआत में सेबी ने जेन स्ट्रीट पर आरोप लगाया गया था कि उसने नियमों के खिलाफ जाकर गलत रणनीतियों के इस्तेमाल से इंडेक्स ऑप्शंस में 43,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का मुनाफा कमाया है. बाजार नियामक के अनुसार, जेन स्ट्रीट और इसकी संबंधित संस्थाओं ने बैंक निफ्टी सूचकांक को आर्टिफिशियल तरीके से बढ़ाने और घटाने के लिए एक इंट्रा-डे ट्रेडिंग रणनीति तैयार की.
नियामक ने इसे ‘मार्किंग-द-क्लोज’ का एक क्लासिक मामला बताया, जहां एक ट्रेडर समाप्ति से ठीक पहले अपने स्वयं के डेरिवेटिव पोजीशन के पक्ष में अंतर्निहित इंडेक्स की कीमतों में हेरफेर करता है. सेबी ने जेन स्ट्रीट और इसकी तीन संबंधित संस्थाओं – जेएसआई 2 इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड, जेन स्ट्रीट सिंगापुर पीटीई लिमिटेड और जेन स्ट्रीट एशिया ट्रेडिंग लिमिटेड को अगले नोटिस तक भारतीय प्रतिभूति बाजार तक पहुंचने से रोक दिया ह
