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75 बार मिला रिजेक्शन फ‍िर भी नहीं मानी हार, खड़ी कर दी 6,700 करोड़ रुपये की कंपनी, कमाल की है ये कहानी

75 बार मिला रिजेक्शन फ‍िर भी नहीं मानी हार, खड़ी कर दी 6,700 करोड़ रुपये की कंपनी, कमाल की है ये कहानी

Last Updated on July 13, 2025 16:56, PM by

आईआईटी से पढ़ाई करके बाहर निकले युवाओं की सफलता की कहानियां अक्सर चर्चा में रहती हैं। वहीं आईआईटी से पढ़ाई करने वाले पवन गुंटुपल्ली की कहानी भी काफी खास है। पवन गुंटुपल्ली ने कहानी इसलिए भी खास है कि क्योंकि उन्होंने एक दो बार नहीं बल्कि 75 बार रिजेक्शन का सामना किया, लेकिन कभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी और खुद पर भरोसा बनाए रखा। दस साल से भी कम समय में उन्होंने 6,700 करोड़ रुपये की ब्रांड वैल्यू वाला बिज़नेस खड़ा कर दिया।

पवन गुंटुपल्ली, रैपिडो बाइक टैक्सी सेवा के सह-संस्थापक हैं। एक नए और उपयोगी आइडिया पर काम करने के बाद उन्हें अच्छी फंडिंग मिली और आज रैपिडो देश के 100 से ज़्यादा शहरों में सेवा दे रहा है। अब तक इस ऐप को 5 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है।

75 बार मिला रिजेक्शन फिर भी नहीं मानी हार

बता दें कि पवन गुंटुपल्ली तेलंगाना के रहने वाले हैं और उन्होंने कड़ी मेहनत के बाद आईआईटी-जेईई पास कर आईआईटी खड़गपुर से बीटेक की पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सैमसंग में नौकरी शुरू की, लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिलकर “दकैरियर” नाम से एक लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप शुरू किया। हालांकि यह स्टार्टअप सफल नहीं हो पाया और बंद हो गया। इस असफलता से उन्होंने हार नहीं मानी। इसके बाद उन्होंने रैपिडो नाम की एक बाइक-टैक्सी सेवा शुरू की, ताकि लोगों को सस्ती और तेज़ यात्रा का विकल्प मिल सके। लेकिन शुरुआत आसान नहीं थी निवेशकों को उनका आइडिया समझाना मुश्किल था। करीब 75 निवेशकों ने यह सोचकर मना कर दिया कि रैपिडो कैसे ओला और उबर जैसी बड़ी कंपनियों का मुकाबला करेगी। फिर भी पवन ने हार नहीं मानी और आज रैपिडो देशभर में कामयाबी के साथ चल रही है।

गुंटुपल्ली की किस्मत तब बदली जब हीरो मोटोकॉर्प के चेयरमैन पवन मुंजाल ने उनके आइडिया में संभावनाएँ देखीं और रैपिडो को आर्थिक मदद दी। इसके बाद दूसरे निवेशकों का भरोसा भी बढ़ा और 2016 में रैपिडो को आधिकारिक रूप से लॉन्च किया गया। ओला और उबर जैसी बड़ी कंपनियाँ जहाँ सिर्फ बड़े शहरों पर ध्यान दे रही थीं, वहीं पवन और उनकी टीम ने छोटे और मध्यम शहरों को चुना, जहाँ रोज़मर्रा की यात्रा एक बड़ी चुनौती थी। रैपिडो ने शुरुआत में बेहद किफायती मॉडल अपनाया—15 रुपये का बेस किराया और 3 रुपये प्रति किलोमीटर। यह आम लोगों के लिए सुविधाजनक था, लेकिन इससे कंपनी को मुनाफा कमाना मुश्किल हो गया। फिर भी, यह कदम रैपिडो की पहचान बनाने में मददगार साबित हुआ।

खड़ी कर दी 6,700 करोड़ की कंपनी

कई मुश्किलों के बावजूद रैपिडो ने कभी हार नहीं मानी और आज यह देशभर के 100 से ज़्यादा शहरों में अपनी सेवाएँ दे रहा है। इस ऐप के करीब 7 लाख सक्रिय यूज़र्स हैं और 50,000 से अधिक राइडर्स की एक टीम इसके साथ जुड़ी है, जिन्हें कंपनी “कैप्टन” कहती है। रैपिडो का मौजूदा ब्रांड वैल्यू करीब 6,700 करोड़ रुपये है। फ़ूड डिलीवरी कंपनी स्विगी इसके बड़े निवेशकों में शामिल है। आज रैपिडो हर साल 1,370 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार कर रहा है।

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