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Vedanta Shares: वेदांता के शेयरों पर ‘हिंडनबर्ग’ जैसा हमला, लगे बड़े आरोप, 5 Points में समझें पूरा मामला

Vedanta Shares: वेदांता के शेयरों पर ‘हिंडनबर्ग’ जैसा हमला, लगे बड़े आरोप, 5 Points में समझें पूरा मामला

Last Updated on July 10, 2025 12:45, PM by

Vedanta Shares: हिंडनबर्ग के बाद अब एक और अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म, वायसराय रिसर्च ने भारतीय शेयर बाजार में तूफान ला दिया है। वायसराय रिसर्च ने निशाना साधा है अरबपति उद्योगपति अनिल अग्रवाल की अगुआई वाली वेंदाता ग्रुप पर। वायसराय रिसर्च ने वेदांता पर बड़ा हमला करते दावा किया है कि वेदांता की पैरेंट कंपनी वेदांता रिसोर्सेज दिवालिया होने की कगार पर है और उसने खुद को वेदांता से जबरन पैसे खींचकर जिंदा रखे हुए है। वायसराय ने अपनी रिपोर्ट में वेदांता रिसोर्सेज को ‘परजीवी’ कंपनी और उसके बिजनेस मॉडल को ‘पोंजी स्कीम’ तक करार दे दिया है। ये पूरा मामला क्या है? वायसराय रिसर्च ने वेदांता पर क्या-क्या आरोप लगाए हैं और इन आरोपों पर वेदांता ग्रुप का क्या कहना है? आइए जानते हैं-

वेदांता लिमिटेड के शेयरों में आज 9 जुलाई को तेज गिरावट देखी गई। कंपनी के शेयर करीब 3.5 फीसदी गिरकर बंद हुए। कारोबार के दौरान यह शेयर एक समय 7 फीसदी तक लुढ़क गया था। वेदांता की सहयोगी कंपनी हिंदुस्तान जिंक के शेयरों में भी 2.5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। ये गिरावट आई वायसराय रिसर्च की एक रिपोर्ट के बाद। वायसराय ने बताया कि उसने वेदांता लिमिटेड की पैरेंट कंपनी वेदांता रिसोर्सेज के डेट को शॉर्ट किया है। वायसराय ने अपनी रिपोर्ट में वेदांता पर 5 बड़े और गंभीर आरोप लगाए हैं।

1. वायसराय का पहला आरोप है वेदांता रिसोर्सज का बिजनेस स्ट्रक्चर किसी पोंजी स्कीम जैसा दिखता है। वायसराय का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 तक के आंकड़ों के मुताबिक, वेदांता रिसोर्जेज पर 4.9 अरब डॉलर की स्टैंडअलोन देनदारी है। लेकिन कंपनी खुद कोई कारोबार नहीं करती है। उसका पूरा बिजनेस मॉडल Vedanta Ltd (VEDL) से पैसा खींचने पर टिका है। यहां तक कंपनी को अपनी देनदारियों को चुकाने के लिए भी वेदांता लिमिटेड से उधार या डिविडेंड चाहिए। इसलिए यह एक परजीवी होल्डिंग कंपनी है, जो खुद को जिंदा रखने के लिए अपने होस्ट यानी वेदांता लिमिटेड को खत्म कर रही है। वायसराय रिसर्च का कहना है कि वेदांता का पूरा ग्रुप स्ट्रक्चर “वित्तीय रूप से अस्थिर और ऑपरेशनल रूप से संकट में” है।

 

2. दूसरा आरोप है कि कंपनी डिविडेंड के नाम पर वेदांता लिमिटेड को लूट रही है। वायसराय ने दावा किया है कि वेदांता लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2021 के बाद से अब तक कुल करीब 85,503 करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया है, जो इसके फ्री कैश फ्लो से भी ज्यादा है। इतना डिविडेंड इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि वेदांता रिसोर्सेज को अपनी शॉर्ट-टर्म वितीय देनदारियों को पूरा करने के लिए इसकी जरूरत है। वायसराय ने कहा कि वेदांता ने ये पैसे फ्री कैश फ्लो से नहीं, बल्कि लोन लेकर दिए हैं, जिसकी इसकी बैंलेस-शीट भी खराब हो गई है।

3. ब्रांड फीस के नाम पर लूट। वायसराय ने दावा किया कि वेंदाता रिसोर्सेज हर साल अपनी सहयोगी कंपनियों से 338 मिलियन डॉलर (करीब 2,800 करोड़ रुपये) की ब्रांड फीस लेती है, जिसका कहीं से भी कोई औचित्य नहीं है। वायसराय ने कहा कि कंपनी ने यह प्रक्रिया माइनारिटी शेयरधारकों के हाथों में पैसा जाने से रोकने के लिए बनाया है। चूंकि कंपनी जब डिविडेंड देती है, तो उसे माइनॉरिटी शेयरधारकों को भी पैसा देना पड़ता है। ऐसे में इसको रोकने के लिए इसने ब्रांड फीस का सहारा लिया है।

4. वायसराय ने वेदांता पर चौथा बड़ा आरोप, अकाउंटिंग में गड़बड़ी का लगाया है, जो फ्रॉड की कैटेगरी में आता है। वायसराय ने दावा किया कि वेदांता का इंटरेस्ट खर्च उसकी ओर से बताई गई नोट दरों से कहीं अधिक है क्योंकि कर्ज के भुगतान और रीस्ट्रक्चरिंग के बावजूद इसमें बढ़ोतरी हो रही है। वायसराय ने बताया कि वेदांता ने अपने ग्रॉस कर्ज में वित्त वर्ष 2021 से अबतक 3.6 अरब डॉलर (करीब 42%) की कमी की है। इसके बावजूद बावजूद कंपनी का इफेक्टिव ब्याज दर 6.4% से बढ़कर 15.8% हो गया है। यानी करीब 145% की बढ़ोतरी, जिसे किसी भी कैलकुलेशन से सही नहीं ठहराया जा सकता है। इसका मतलब है कि या तो वेदांता छिपे हुए कर्ज हैं, या लोन की शर्तें छुपाई गई हैं।

5. वायसराय ने वेदांता पर पांचवा आरोप लगाया है कि वेदांता की कई सब्सिडियरी कंपनियां अपने खर्चों को CAPEX यानी कैपिटल एक्सपेंडिचर में बदलकर कृत्रिम मुनाफा और एसेट वैल्यू दिखा रही हैं। जो कि एक गंभीर अकाउंटिग अनियमितता है।

कुल मिलाकर वायसराय रिसर्च पर “सिस्टमेटिक तरीके से” वेदांता लिमिटेड को खोखला करने का आरोप लगाया है। वायसराय रिसर्च की रिपोर्ट पर इसलिए भी हलचल बढ़ी है क्योंकि यह कंपनी इससे पहले वायरकार्ड (Wirecard) और स्टाइनहॉफ (Steinhoff) जैसी कंपनियों में धोखाधड़ी को उजागर कर चुकी है।

वेदांता ग्रुप ने सभी आरोपों को “मिथ्या और भ्रामक” बताया

हालांकि वेदांता ग्रुप ने अपने बयान में वायसराय रिसर्च की रिपोर्ट को पूरी तरह “मिथ्या और भ्रामक” करार दिया है। कंपनी ने कहा कि यह रिपोर्ट केवल पब्लिक डेटा को तोड़-मरोड़कर पेश करती है और इसका मकसद ग्रुप को बदनाम कर बाजार में घबराहट फैलाना है। वेदांता ने दावा किया कि रिपोर्ट जारी करने से पहले Viceroy ने कोई स्पष्टीकरण या फीडबैक के लिए Vedanta से संपर्क भी नहीं किया। अब देखना होगा कि आगे यह मामला कैसा मोड़ लेता है।

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