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ITR filing 2025: बैंक FD से ज्यादा ब्याज के साथ टैक्स छूट भी चाहिए? इन 5 सरकारी स्कीम में करें निवेश

ITR filing 2025: बैंक FD से ज्यादा ब्याज के साथ टैक्स छूट भी चाहिए? इन 5 सरकारी स्कीम में करें निवेश

Last Updated on July 9, 2025 21:04, PM by Pawan

ITR filing 2025: सरकार ने जुलाई-सितंबर 2025 तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। ऐसे में पोस्ट ऑफिस फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) और सीनियर सिटिजन्स सेविंग्स स्कीम (SCSS) जैसी योजनाएं निवेशकों के लिए बैंकों की एफडी की तुलना में ज्यादा आकर्षक बनी हुई हैं। इनमें अधिक रिटर्न के साथ इनकम टैक्स छूट का भी लाभ मिलता है।

फाइनेंशियल एक्सपर्ट के मुताबिक, जहां एक ओर रेपो रेट कटौती के चलते बैंकों में जमा पर मिलने वाला ब्याज घट रहा है, वहीं छोटी बचत योजनाएं फिलहाल बेहतर और स्थिर रिटर्न दे रही हैं। इन स्कीमों में निवेश करने पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की कटौती का भी लाभ मिल सकता है, बशर्ते निवेशक पुरानी टैक्स व्यवस्था को अपनाते हों।

बैंक एफडी से ऊंचे रिटर्न

 

फाइनेंशियल एडवाइजरी फर्म मनी मंत्रा के फाउंडर विरल भट्ट के मुताबिक, ‘इन योजनाओं की लोकप्रियता इसलिए भी है क्योंकि इनमें सरकार गारंटी देती है और ब्याज दरें अचानक कम नहीं होतीं। छोटे निवेशक और वरिष्ठ नागरिक, जो पूंजी की सुरक्षा और निश्चित रिटर्न को प्राथमिकता देते हैं, उनके लिए ये स्कीमें आदर्श विकल्प हैं।’

  1. नेशनल सेविंग्स टाइम डिपॉजिट (5 साल)

इस योजना पर फिलहाल 7.5% सालाना ब्याज मिल रहा है, लेकिन यह ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल होता है। कम से कम ₹1,000 के निवेश के साथ शुरू की जा सकती है, जिसमें आगे ₹100 के गुणक में रकम जोड़ी जा सकती है। इसमें कोई अधिकतम सीमा नहीं है, लेकिन एक साल से पहले बंद करने की अनुमति नहीं होती। एक साल बाद प्रीमैच्योर क्लोजर करने पर, तय ब्याज दर से दो फीसदी कम ब्याज दिया जाता है।

2. सीनियर सिटिजंस सेविंग्स स्कीम (SCSS)

60 साल से ऊपर के लोगों (या 55 वर्ष के रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी) के लिए यह योजना 8.2% सालाना ब्याज देती है, जो हर तिमाही में खाते में जमा होता है। अगर किसी वित्त वर्ष में सभी SCSS खातों से कुल ब्याज ₹50,000 से अधिक हो जाए, तो उस पर टैक्स लगेगा। एक साल से पहले खाता बंद करने पर कोई ब्याज नहीं मिलता, और एक से दो साल के बीच बंद करने पर मूलधन में 1.5% की कटौती होती है। दो से पांच साल के बीच बंद करने पर 1% की कटौती लागू होती है।

3. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)

यह योजना उन निवेशकों के लिए आदर्श है जो लंबी अवधि की टैक्स-फ्री बचत चाहते हैं। फिलहाल इस पर 7.1% सालाना टैक्स-फ्री ब्याज मिल रहा है। न्यूनतम सालाना निवेश ₹500 और अधिकतम ₹1.5 लाख रखा गया है। खाता अगर किसी वर्ष न्यूनतम राशि से सक्रिय नहीं रहता, तो वह बंद हो जाता है। इसे बाद में ₹50 जुर्माने और उस वर्ष की रकम जमा कर फिर से शुरू किया जा सकता है। इसकी मेच्योरिटी 15 साल है। हालांकि, लोन और आंशिक निकासी की सुविधा मौजूद है।

4. सुकन्या समृद्धि योजना (SSA)

यह योजना बालिकाओं के लिए है। इसमें फिलहाल 8.2% टैक्स-फ्री ब्याज मिलता है। यह केवल 10 साल से कम उम्र की बेटियों के लिए माता-पिता या अभिभावक ही खोल सकते हैं। न्यूनतम निवेश ₹250 और अधिकतम ₹1.5 लाख प्रति वित्त वर्ष है। खाता 21 साल में या लड़की के 18 की उम्र में शादी के समय मेच्योर होता है। हालांकि शादी से 1 महीने पहले और 3 महीने बाद तक खाता बंद नहीं किया जा सकता। आंशिक निकासी 18 साल की उम्र या 10वीं कक्षा पास करने के बाद ही संभव है। गंभीर बीमारी या अभिभावक की मृत्यु की स्थिति में पांच साल बाद प्रीमैच्योर क्लोजर की अनुमति है।

5. नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC)

इस योजना में निवेश पर 7.7% ब्याज मिलता है, जो हर साल कंपाउंड होकर मेच्योरिटी पर एकमुश्त मिलता है। ब्याज टैक्सेबल होता है। न्यूनतम निवेश ₹1,000 है और ₹100 के गुणकों में किया जा सकता है। अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है, लेकिन खाता पांच साल से पहले बंद नहीं किया जा सकता।

निवेशकों को क्या करना चाहिए?

फुल सर्कल फाइनेंशियल प्लानर्स के फाउंडर कल्पेश अशर ने सलाह दी कि वरिष्ठ नागरिकों को डेट फंड, एफडी और सरकारी बॉन्ड्स जैसे विकल्पों के साथ विविधता लानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘लिक्विडिटी, सुरक्षा और नियमित आय जैसे हर पहलू को देखते हुए पोर्टफोलियो का संतुलन जरूरी है।’ यह काम छोटी बचत योजनाएं बखूबी कर सकती हैं।

जो निवेशक निश्चित रिटर्न, टैक्स छूट और पूंजी की सुरक्षा चाहते हैं, उनके लिए ये स्कीमें बैंक एफडी से बेहतर साबित हो सकती हैं। हालांकि, हर स्कीम की लॉक-इन अवधि और तरलता (liquidity) अलग-अलग है। इसलिए निवेश से पहले व्यक्तिगत जरूरतों और जोखिम क्षमता के आधार पर सही विकल्प चुनना जरूरी है।

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