भले ही टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया अपने पर बकाया एजीआर यानि एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू को और इक्विटी में बदलने के विकल्प तलाश रही है लेकिन सरकार का इसे सरकारी कंपनी में बदलने का कोई इरादा नहीं है। यह बात कम्युनिकेशंस मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कही है। सिंधिया ने अपने बयान से उन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है कि सरकार वोडाफोन आइडिया में हिस्सेदारी को मौजूदा 49 प्रतिशत से ज्यादा करने पर विचार कर रही है।
सिंधिया ने CNBC-TV18 को बताया है कि वोडाफोन आइडिया में सरकार की ओर से 49 प्रतिशत से ज्यादा का इक्विटी कनवर्जन नहीं हो सकता है। इसका मतलब साफ है कि अब सरकार बकाया AGR के एवज में कंपनी में और हिस्सेदारी नहीं लेगी।
36,950 करोड़ के स्पेक्ट्रम बकाया के एवज में सरकार को दी 48.99% हिस्सेदारी
मुश्किलों में घिरी वोडाफोन आइडिया समेत अन्य टेलिकॉम कंपनियों की AGR बकाए में राहत के लिए गुहार को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है। कंपनी अब सरकार पर राहत के लिए नजरें टिकाए हुए है। इस साल की शुरुआत में Vodafone Idea ने 36,950 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम बकाया के एवज में सरकार को कंपनी में हिस्सेदारी दी थी। इससे सरकार 48.99% हिस्सेदारी के साथ कंपनी की सबसे बड़ी शेयरहोल्डर बन गई।
सिंधिया ने कहा, ‘हर टेलिकॉम कंपनी के पास बकाए को चुकाने के बदले कंपनी में हिस्सेदारी ऑफर करने का अधिकार है। लेकिन हर मामले में टेलिकम्युनिकेशंस विभाग और वित्त मंत्रालय दोनों, ड्यू डिलीजेंस की प्रोसेस पूरी करते हैं। उसके बाद फैसला लिया जाता है। भारती एयरटेल ने इस अधिकार का इस्तेमाल किया है। दूरसंचार विभाग जब अपना एनालिसिस पूरा कर लेगा तो मैं भारती के अनुरोध पर कोई फैसला लूंगा।”
सरकार से नहीं मिली मदद तो FY26 से आगे काम नहीं कर पाएगी
वोडाफोन आइडिया कह चुकी है कि AGR पर सरकार के सपोर्ट के बिना वह वित्त वर्ष 2025-26 से आगे काम नहीं कर पाएगी। उसे दिवालियापन यानि इनसॉल्वेंसी के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर AGR पर कोई राहत नहीं मिलती है तो कंपनी के लिए बैंकों से कर्ज मिलना मुश्किल रहेगा। वोडाफोन और आइडिया का 2018 में विलय हुआ था। उसके बाद यह कंपनी वोडाफोन आइडिया बन गई। विलय के बाद से यह कंपनी लगातार मुश्किलों में घिरी रही है।
टेलिकॉम सेक्टर में दो कंपनियों का कंट्रोल अच्छी बात नहीं
सिंधिया ने बातचीत में यह भी कहा कि टेलिकॉम सेक्टर में किन्हीं दो कंपनियों का एकाधिकार या कंट्रोल होना अच्छी बात नहीं है। ऐसे बहुत कम देश हैं, जहां मोबाइल टेलिकॉम इंडस्ट्री में 4 कंपनियां हैं। मंत्री ने माना कि पूंजीगत खर्च यानि कैपेक्स के मामले में भारतीय दूरसंचार कंपनियां, वैश्विक स्तर पर अलग हैं। सिंधिया के मुताबिक, केवल भारत में ही हम टेलिकॉम सेक्टर में पूंजी पर अच्छा रिटर्न देख रहे हैं।
