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SEBI के अहम फैसले, रद्द पड़े पुराने शेयर को बदलने का आखिरी मौका, रोज ट्रेडिंग करने वालों का भी सिरदर्द खत्म

SEBI के अहम फैसले, रद्द पड़े पुराने शेयर को बदलने का आखिरी मौका, रोज ट्रेडिंग करने वालों का भी सिरदर्द खत्म

 

मार्केट रेगुलेटर सिक्युरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने निवेशकों और ट्रेडर्स को बड़ी राहत दी है. सेबी ने बुधवार को दो बड़े फैसले लिए हैं. सेबी ने जहां एक तरफ पुराने फिजिकल शेयर रखने वालों को एक और मौका दिया है. दूसरी तरफ शेयर बाजार में रोजाना खरीद और बिक्री करने वालों के लिए नियमों को आसान बना दिया है. दरअसल फिजिकल शेयरों के लिए एक स्पेशल विंडो को खोला गया है. इसके अलावा 27 जून 2025 से सभी शेयर बाजारों पर होने वाले ट्रेड के लिए एक ही ‘कॉमन कॉन्ट्रैक्ट नोट’ के नियम लागू कर दिया है.

6 महीनों के लिए स्पेशल विंडो

सेबी के फैसले से उन निवेशकों को राहत मिली है, जिसके फिजिकल शेयर ट्रांसफर की अर्ज 1 अप्रैल 2019 स पहले किसी कारण से रिजेक्ट हो गई थी. ऐसे निवेशकों के लिए 6 महीने की एक स्पेशल विंडो को खोला गया है. यह विंडो 7 जुलाई 2025 से शुरू होकर 6 जनवरी 2026 तक खुली रहेगी. इस दौरान, निवेशक अपनी पुरानी रिजेक्ट हो चुकी ट्रांसफर डीड्स को एक बार फिर जमा कर सकते हैं. हालांकि, ये शेयर अब फिजिकल नहीं, बल्कि निवेशकों के सीधे डीमैट खाते में ही ट्रांसफर किए जाएंगे.

हर महीने सेबी को देनी होगी रिपोर्ट

सेबी ने लिस्टेड कंपनियों, रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट्स और स्टॉक एक्सचेंजों को निर्देश दिए हैं कि इस सुविधा का प्रचार किया जाना चाहिए. इससे अधिकतम लोग इसका फायदा उठा सके. इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए हर महीने सेबी को रिपोर्ट देना भी जरूरी किया है. यह कदम तत्काल प्रभाव से लागू होगा. दूसरे बड़े फैसले में, सेबी ने 27 जून 2025 से सभी स्टॉक एक्सचेंज पर एक ही कॉमन कॉन्ट्रैक्ट नोट का नियम लागू किया था.

VWAP के आधार पर जारी किया जाएगा कॉन्ट्रैक्ट नोट

आपको बता दें कि पहले अलग-अलग एक्सचेंजों पर ट्रेड करने पर निवेशकों को अलग-अलग रिपोर्ट मिला करती थी. इससे हिसाब-किताब को रखना मुश्किल होता था. अब वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइज (VWAP) के आधार पर एक ही कॉन्ट्रैक्ट नोट जारी किया जाएगा. इस बदलाव के साथ ट्रेडिंग के बाद की प्रोसेस को काफी आसान बना दिया गया है. इससे खासकर संस्थागत भागीदारों के लिए लागत में कमी आएगी. वहीं, निवेशकों के लिए नियमों के पालन का भी बोझ कम होगी.

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