Last Updated on July 3, 2025 11:46, AM by
Editor’s Take: अमेरिका-चीन ट्रेड डील, ईरान-क्रूड टेंशन और FIIs की बिकवाली जैसे ग्लोबल और डोमेस्टिक संकेतों के बीच बाजार में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है. ऐसे में निवेशकों के लिए दिशा तय करना चुनौतीपूर्ण हो गया है. मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने मौजूदा बाजार स्थितियों, विदेशी निवेशकों की रणनीति, कच्चे तेल की चाल और वीकली एक्सपायरी से पहले बाजार के मूड पर गहराई से विश्लेषण किया है. आइए जानते हैं उनकी नज़र में क्या है बाजार की सही रणनीति और आगे का ट्रेंड.
1. अमेरिका से चीन को राहत
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड डील के तहत एक बड़ा फैसला लिया गया है, जिससे चीन को राहत मिल सकती है. अमेरिका ने चिप डिजाइन के एक्सपोर्ट पर लगाई गई रोक हटा ली है. इसका मतलब यह है कि अब चीन में कारोबार करने के लिए अमेरिकी कंपनियों को किसी विशेष लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी. यह फैसला मई में लगी रोक के उलट है, जब अमेरिका ने चिप डिजाइन एक्सपोर्ट पर सख्ती की थी. इस राहत से भारत की ऑटो और ऑटो एंसिलरी कंपनियों को फायदा होगा. खासकर Tata Motors, Motherson, Bharat Forge जैसी कंपनियों के लिए यह पॉजिटिव संकेत है क्योंकि ये कंपनियां वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में शामिल हैं और तकनीकी सपोर्ट की निर्भरता अमेरिका-चीन जैसे बड़े बाजारों पर रहती है.
2. क्रूड में ईरान से फिर टेंशन?
ईरान ने IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) को अपने परमाणु ठिकानों की जांच करने से मना कर दिया है. इस फैसले ने कच्चे तेल के बाजार में हलचल मचा दी है, जिसके चलते क्रूड की कीमतों में 3% की तेजी आई और यह $69 प्रति बैरल तक पहुंच गया. हालांकि इस बढ़त को लेकर ज्यादा चिंता की बात नहीं है क्योंकि बाजार की धारणा यह है कि क्रूड लंबे समय तक ऊपर टिक नहीं पाएगा. अनिल सिंहवी का मानना है कि यह हल्की निगेटिव खबर जरूर है, लेकिन इसका व्यापक असर बाजार पर नहीं दिखेगा.
3. US-वियतनाम ट्रेड डील
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका और वियतनाम के बीच नई ट्रेड डील की घोषणा की है. इस डील के तहत अमेरिका ने वियतनाम से आने वाले इंपोर्ट पर 20% की ड्यूटी लगा दी है, जबकि वियतनाम ने अमेरिकी इंपोर्ट पर पूरी तरह से ड्यूटी फ्री छूट दी है. यह डील व्यापारिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है, लेकिन इसका भारतीय बाजार पर प्रत्यक्ष असर सीमित रहेगा.
क्या FIIs की तीसरे दिन बिकवाली बढ़ाएगी दबाव?
बीते तीन कारोबारी सत्रों से विदेशी निवेशकों (FIIs) द्वारा कैश सेगमेंट में लगातार बिकवाली देखी जा रही है. हालांकि यह बिकवाली हल्की रही है, लेकिन इंडेक्स और फ्यूचर्स को मिलाकर देखा जाए तो यह मीडियम साइज की रही है. बाजार के एकतरफा तेजी के बाद अब वैल्यूएशन काफी महंगे हो गए हैं, जिससे FIIs खरीदारी में थोड़ी सावधानी बरत रहे हैं. साथ ही घरेलू फंड्स की भी खरीदारी में सुस्ती आई है. अनिल सिंहवी के मुताबिक, FIIs के बिकवाली ट्रेंड में स्पष्टता आने तक निवेशकों को इंतजार करना चाहिए. जब तक बड़े निवेशक खुद आक्रामक खरीदारी नहीं कर रहे, तब तक आम निवेशकों को भी अपनी रफ्तार धीमी रखनी चाहिए.
क्या वीकली एक्सपायरी के दिन बाजार की रेंज टूटने का है खतरा?
तीन दिनों की लगातार बिकवाली के चलते बाजार हल्का जरूर हुआ है, लेकिन तकनीकी रूप से देखें तो निफ्टी का पुट-कॉल रेश्यो घटकर 0.87 पर आ गया है, जो बाजार में हल्की मंदी का संकेत देता है. हालांकि निचले स्तरों से कुछ शॉर्ट कवरिंग और रिकवरी भी दिख रही है. लेकिन जैसे ही बाजार ऊपरी स्तरों पर पहुंचेगा, वहां मुनाफावसूली भी होगी. निफ्टी के लिए 25125 से 25275 का स्तर मजबूत सपोर्ट माना जा रहा है, जबकि 25600 से 25700 की रेंज रेजिस्टेंस के रूप में काम करेगी. इंट्राडे में अगर निफ्टी 25350 और बैंक निफ्टी 56800 के नीचे टिकता है तो कमजोरी और बढ़ सकती है.
सुस्त बाजार में क्या हो स्ट्रैटेजी?
अनिल सिंघवी का मानना है कि अभी बाजार में एकतरफा मूवमेंट नहीं है. बाजार सपोर्ट लेवल के पास बंद हो रहा है, जिससे निवेशकों के लिए तेजी या मंदी दोनों की दिशा तय करना मुश्किल हो रहा है. जब क्लियर ट्रेंड होता है तो ट्रेडिंग आसान हो जाती है, लेकिन मौजूदा माहौल में उल्टा मूव आने की आशंका बनी रहती है. ऐसे में बेहतर है कि जब तक स्थिति स्पष्ट न हो, निवेशक अपनी पोजीशन हल्की रखें. हालांकि लॉन्ग टर्म ट्रेंड अब भी तेजी का ही है क्योंकि निफ्टी ने अभी तक कोई बड़ा सपोर्ट लेवल नहीं तोड़ा है. ऐसे में बेहतर होगा कि रेंज ब्रेक का इंतजार करें और तब तक सेक्टर या स्टॉक स्पेसिफिक एक्शन पर फोकस करें.