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निफ्टी के इस इंडेक्स ने किया आउटपरफॉर्म, साल के पहले 6 महीनों में दिया ताबड़तोड़ रिटर्न | Zee Business

निफ्टी के इस इंडेक्स ने किया आउटपरफॉर्म, साल के पहले 6 महीनों में दिया ताबड़तोड़ रिटर्न | Zee Business

Last Updated on June 28, 2025 11:49, AM by

 

निफ्टी के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, निफ्टी फाइनेंशियल सर्विस इंडेक्स में इस वर्ष अब तक लगभग 15.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस वृद्धि के साथ भारतीय फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर 2025 की पहली छमाही में शीर्ष प्रदर्शन करने वाला क्षेत्र बन गया है. यह मजबूत रैली दूसरे सेक्टोरल इंडेक्स से आगे निकल गई. यह वृद्धि इस क्षेत्र की मजबूती और आर्थिक स्थितियों में सुधार के प्रति निवेशकों के बढ़ते विश्वास को दिखाती है.

शुक्रवार के कारोबारी दिन इंट्रा-डे ट्रेडिंग के दौरान इंडेक्स 27,305.6 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो इसके 52-सप्ताह के निचले स्तर 22,320.85 से लगभग 22.19 प्रतिशत की वृद्धि को दिखाता है.

किन वजहों से आई तेजी?

भू-राजनीतिक तनाव कम होने, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और यूएस डॉलर इंडेक्स में नरमी के कारण गुरुवार के सत्र में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि ने इंडेक्स की ऊपर की गति को बढ़ावा दिया.

ये कारक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भारतीय बाजारों की ओर आकर्षित कर रहे हैं. घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने भी तेजी को समर्थन देने में अहम भूमिका निभाई है. वित्त वर्ष 2026 की अप्रैल-जून तिमाही में मजबूत कॉर्पोरेट आय की उम्मीदों से भी खासकर बैंकिंग, बीमा और अन्य फाइनेंशियल सर्विस में निवेशकों की धारणा में सुधार हो रहा है.

पिछले एक वर्ष में निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज इंडेक्स ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है और 15.4 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है. पिछले चार महीनों में ही जून में इंडेक्स में 3 प्रतिशत, मई में 1.3 प्रतिशत, अप्रैल में 6.5 प्रतिशत और मार्च में 9.2 प्रतिशत की तेजी आई है. जनवरी में इंडेक्स में 1.7 प्रतिशत और फरवरी में 0.6 प्रतिशत की मामूली गिरावट आई थी.

RBI के इस फैसले से भी मिला बूस्ट

हाल के आशावाद का एक बड़ा कारण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रोजेक्ट फाइनेंस पर जारी अंतिम दिशानिर्देश हैं. केंद्रीय बैंक ने अपने पहले के ड्राफ्ट मानदंडों को नरम किया, जिससे एसेट क्वालिटी को लेकर चिंताएं कम हुईं.

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (एमओएसएल) के अनुसार, नए नियमों के तहत निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स के लिए ऋणदाताओं को अलग से रखी जाने वाली राशि कम कर दी गई है. साथ ही, ये दिशा-निर्देश पुराने ऋणों पर लागू नहीं होंगे, जहां वित्तीय समापन पहले ही हो चुका है. एमओएसएल ने कहा कि नए नियमों के तहत, ऐसे ऋणों के लिए मानक प्रावधान को पहले प्रस्तावित 5 प्रतिशत से घटाकर लगभग 1-1.25 प्रतिशत कर दिया गया है.

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