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आप अनलिस्टेड शेयरों में इनवेस्ट करते हैं? तो आप जीरोधा के नितिन कामत की यह सलाह जरूर जान लीजिए

आप अनलिस्टेड शेयरों में इनवेस्ट करते हैं? तो आप जीरोधा के नितिन कामत की यह सलाह जरूर जान लीजिए

Last Updated on June 27, 2025 18:04, PM by

पिछले कुछ सालों में अनलिस्टेड शेयरों में रिटेल इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ी है। खासकर एनएसई, एमएसएमआई और चेन्नई सुपर किंग्स में रिटेल निवेशक काफी निवेश कर रहे हैं। लेकिन, जीरोधा के को-फाउंडर नितिन कामत ने इस बारे में इनवेस्टर्स को आगाह किया है। उन्होंने कहा है कि यह उतना आसान नहीं है, जितना लगता है। दरअसल कामत ने इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट किया है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कामत ने अपने पोस्ट में लिखा है कि एक वेल्थ मैनेजर ने हाल में जीरोधा से संपर्क कर कुछ अनलिस्टेड कंपनियों में से एक कंपनी के शेयरों को खरीदने की गुजारिश की। उनका कहना था कि इसे बेचने पर 50 फीसदी मुनाफा होगा। कामत ने कहा कि इससे पता चलता है कि कैसे आईपीओ से पहले शेयरों में निवेश करने के लिए रिटेल इनवेस्टर्स से बड़े वादे किए जाते हैं।

कामत ने पोस्ट में लिखा, “ज्यादातर निवेशकों को लगता है कि वे उन कंपनियों के शेयरों में आईपीओ से पहले निवेश कर मोटा मुनाफा बना सकते हैं, जो आईपीओ पेश करने वाली हैं और जिनके शेयरों पर अच्छी लिस्टिंग गेंस की उम्मीद होती है। लेकिन, यह उतना आसान नहीं है, जितना देखने में लगता है।” दरअसल अनलिस्टेड कंपनियों के शेयर ऐसे प्लेटफॉर्म के जरिए बेचे जाते हैं, जिनमें पारदर्शिता का अभाव होता है।

 

उन्होंने कहा कि चूंकि ये प्लेटफॉर्म्स अनरेगुलेटेड हैं, जिससे इनके जरिए ट्रांजेक्शन पर इनवेस्टर्स को किसी तरह की कानूनी सुरक्षा नहीं मिलती है। इसके अलावा फीस भी काफी ज्यादा है। उन्होंने HDB Financial Services का उदाहरण दिया। इस एनबीएफसी ने अनलिस्टेड मार्केट्स में अपने शेयरों की अंतिम कीमत से 40 फीसदी कम आईपीओ में शेयरों का प्राइस बैंड रखा है।

अनलिस्टेड स्टॉक्स में निवेश में कई दूसरे रिस्क भी हैं। कंपनी का प्लान आईपीओ पेश करने का होता है। लेकिन, इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि कंपनी कब आईपीओ पेश करेगी। कई बार तो कंपनी के आईपीओ पेश करने में कई सालों की देर हो जाती है। कुछ कंपनियां तो कभी लिस्ट ही नहीं होती हैं। उन्होंने NSE का भी उदाहरण दिया, जिसकी लिस्टिंग की चर्चा काफी समय से चल रही है। लेकिन, वह अब तक लिस्ट नहीं हुई है।

एक दूसरी बड़ी दिक्कत यह है कि अनलिस्टेड कंपनियां बहुत कम या नहीं के बराबर फानेंशियल डिसक्लोजर्स करती हैं। इससे इनवेस्टर्स के लिए कंपनी के कामकाज के बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल होता है। अनलिस्टेड कंपनियों के शेयरों की कीमत तय करने के लिए किसी तरह का स्टैंडर्ड मैकेनिज्म नहीं है। एक जैसी कंपनियां अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर अलग-अलग वैल्यूएशन डिमांड कर सकती हैं।

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