Last Updated on June 25, 2025 17:02, PM by
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर अब बिजली में भी फ्यूचर्स ट्रेडिंग का रास्ता खुल गया है. SEBI से मंजूरी मिलने के बाद आने वाले 1-2 हफ्तों में NSE पर Electricity Futures की ट्रेडिंग शुरू हो जाएगी. इस नए फाइनेंशियल प्रोडक्ट के तहत बिजली की डिलीवरी नहीं होगी, बल्कि यह एक कैश सेटलमेंट वाला फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट होगा. यानी निवेशक या हेजर कीमतें पहले से तय करके भविष्य में मुनाफा या घाटा बुक कर सकेंगे. अगर बिजली की स्पॉट कीमत बढ़ती है, तो Futures खरीदने वाले को फायदा होगा.
फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स की बात करें तो यह मंथली होंगे, यानी हर महीने के लिए नया सौदा. हर एक कॉन्ट्रैक्ट 50 MWh (50,000 यूनिट बिजली) का होगा. NSE इस कॉन्ट्रैक्ट की सेटलमेंट, ट्रेडिंग और मार्जिनिंग की जिम्मेदारी खुद लेगा और सभी आंकड़े, जैसे प्राइसिंग और ओपन इंटरेस्ट, NSE की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होंगे.
इस नए मार्केट से न केवल डिस्कॉम, बिजली उत्पादक कंपनियां, इंडस्ट्रीज और ट्रेडर्स को फायदा होगा, बल्कि रिटेल निवेशक भी इसमें ब्रोकर्स के ज़रिए हिस्सा ले सकेंगे. यह उत्पाद उन्हें एक नया एसेट क्लास देता है, जिससे वे बाजार में उतार-चढ़ाव के मुकाबले प्राइस हेजिंग कर सकते हैं.
Electricity Futures में प्राइस इंडेक्स PXIL (Power Exchange India Ltd) के पूरे महीने के औसत प्राइस पर आधारित होगा. Power Exchange में जहां फिजिकल डिलीवरी होती है, वहीं NSE Futures में सिर्फ फाइनेंशियल सेटलमेंट किया जाएगा.
Power Exchange के यूजर्स को अगर NSE में ट्रेडिंग करनी है, तो उन्हें अलग से रजिस्ट्रेशन कराना होगा. जबकि NSE Futures की खास बात यह है कि इसे हर महीने रोल ओवर किया जा सकता है. आगे चलकर इसमें Quarterly, Annual और Contract-for-Difference (CfD) जैसे विकल्प भी लाए जाएंगे.
इस कदम से भारत भी उन देशों की कतार में शामिल हो जाएगा, जहां बिजली का डेरिवेटिव मार्केट काफी मैच्योर है. शुरुआत बड़े खिलाड़ियों से होगी, लेकिन रिटेल निवेशकों के लिए भी भविष्य में बड़े अवसर पैदा हो सकते हैं.