Last Updated on June 15, 2025 15:47, PM by
एक तरफ रियल एस्टेट सेक्टर में गर्मी बढ़ रही है, तो दूसरी तरफ शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों का जोश कुछ ठंडा सा पड़ गया है. प्रॉपर्टी फर्स्ट रियल्टी के CEO भावेश कोठारी के मुताबिक, 2025 में घरों की कीमतें 6 से 6.5% और शहरी किराए 7 से 10% तक बढ़ सकते हैं. इसके पीछे कारण हैं बढ़ती मांग, कम रेडी टू मूव इनवेंट्री और कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में तेजी. उनका कहना है कि अगर कोई घर या प्रॉपर्टी खरीदने का सोच रहा है, तो अब देरी करना महंगा पड़ सकता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
भावेश कोठारी कहते हैं कि अब शहरों में रहने वालों के लिए न किराए पर रहना सस्ता रहा है और न घर खरीदना आसान. खासकर मेट्रो शहरों में यह असर ज्यादा दिख रहा है. रेंटल यील्ड यानी किराए से मिलने वाला रिटर्न भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है. ऐसे में इंवेस्टर्स के लिए यह एक पॉजिटिव सिग्नल है, लेकिन एंड यूजर्स के लिए यह जेब पर भारी पड़ सकता है.
दूसरी तरफ, शेयर बाजार में हम देख रहे हैं कि खुदरा निवेशक एक्टिव ट्रेडिंग से दूरी बना रहे हैं. Mehta Equities की रिसर्च एनालिस्ट वीएलए अंबाला के मुताबिक, खुदरा निवेशक बाजार पर नज़र तो बनाए हुए हैं, लेकिन ट्रांजैक्शन कम कर रहे हैं. इसकी बड़ी वजह है – ग्लोबल अनिश्चितता, ब्याज दरों में बदलाव की चर्चाएं, और कुछ सेक्टरों के कमजोर नतीजे. निवेशकों में डर है कि अगर उन्होंने गलत टाइमिंग की तो नुकसान हो सकता है.
क्यों उलझन में है निवेशक?
मार्केट में आई हाल की करेक्शन और IT व फाइनेंशियल सेक्टर के कमजोर आंकड़ों ने भी उत्साह को कम किया है. खुदरा निवेशक अब हाई रिस्क सेक्टर जैसे IT और ऑयल-गैस से हटकर म्यूचुअल फंड, ETF और SIP जैसे लॉन्ग टर्म और कम रिस्क विकल्पों की ओर शिफ्ट हो रहे हैं. SIP आज खुदरा निवेशकों का सबसे पसंदीदा माध्यम बन चुका है.
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वहीं, कुछ ऐसे निवेशक भी हैं जो अब क्रिप्टो या गोल्ड जैसे वैकल्पिक एसेट क्लास की तलाश कर रहे हैं. इससे यह समझ आता है कि निवेशक पूरी तरह बाजार से बाहर नहीं हुए हैं, लेकिन वे अब ज्यादा सोच-समझकर चलना चाह रहे हैं.
दिलचस्प बात यह है कि बाजार अब ऑल टाइम हाई के करीब है, इसलिए भी कई निवेशक नई एंट्री के लिए सही समय का इंतजार कर रहे हैं. महामारी के समय जो नए निवेशक मार्केट में आए थे, उनमें से कई अब पैसे की कमी के चलते केवल अपने पुराने निवेश को होल्ड कर रहे हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि एक ओर प्रॉपर्टी की कीमतें और किराए बढ़ने से आम आदमी की जेब पर असर पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर बाजार की अनिश्चितता और महंगाई के डर से रिटेल निवेशकों की कमाई भी नहीं हो पा रही है.