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भारत के Share Market में पैसा लगाने वालों की चांदी, मिला दुनियाभर के बाजारों से ज्यादा रिटर्न, जानिए कितनी बढ़ गई दौलत! | Zee Business

भारत के Share Market में पैसा लगाने वालों की चांदी, मिला दुनियाभर के बाजारों से ज्यादा रिटर्न, जानिए कितनी बढ़ गई दौलत! | Zee Business

 

भारतीय शेयर बाजार ने पिछले पांच सालों में शानदार प्रदर्शन किया है, जिससे अमेरिकी डॉलर में 18 प्रतिशत का वार्षिक रिटर्न मिला है, जो वैश्विक बाजारों में सबसे अधिक है. यानी 5 साल में भारतीय शेयर बाजार ने निवेश की रकम को दोगुने से भी अधिक कर दिया. यह जानकारी शुक्रवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में दी गई. बंधन म्यूचुअल फंड की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का दीर्घकालिक बेहतर प्रदर्शन दुनिया और विकसित बाजारों द्वारा दिए गए 12 प्रतिशत रिटर्न को पार कर गया है और यह अन्य उभरते बाजारों की तुलना में चार गुना अधिक है.

इसके विपरीत मई 2025 में चीन के बाजारों में 2 प्रतिशत की गिरावट आई, जिससे यह महीने के अंत में नुकसान में रहने वाले कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बाजारों में से एक बन गया. भारत की ग्रोथ स्टोरी में स्मॉल-कैप शेयरों ने अग्रणी भूमिका निभाई है, पिछले तीन महीनों, पांच वर्षों या मार्च 2020 में महामारी के निचले स्तरों के बाद से सभी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन किया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बाद मिड-कैप शेयरों ने अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि लार्ज-कैप शेयर प्रदर्शन में सबसे पीछे रहे. यह ट्रेंड जोखिम उठाने की बढ़ती प्रवृत्ति और बाजार के सभी क्षेत्रों में घरेलू निवेशकों की बढ़ती भागीदारी को दिखाता है. मार्च से मई 2025 के बीच भारतीय इक्विटी में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो उभरते बाजारों में 5 प्रतिशत की वृद्धि और विकसित और विश्व बाजारों में केवल 2 प्रतिशत की वृद्धि से कहीं आगे है.

रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अनिश्चितताओं और प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारत का बाजार निवेशकों को आकर्षित करने में सफल रहा. मई में औद्योगिक, पूंजीगत सामान और दूरसंचार क्षेत्र शीर्ष प्रदर्शन करने वाले रहे, जिन्हें मजबूत आय और नीतिगत अनुकूलताओं से सपोर्ट मिला.

इसके विपरीत एफएमसीजी, स्वास्थ्य सेवा और आईटी जैसे क्षेत्रों में मामूली तेजी दर्ज की गई. हालांकि, मेटल शेयरों में मामूली गिरावट देखी गई. आर्थिक मोर्चे पर भारत की सर्विस पीएमआई मई में बढ़ी, जो सर्विस सेक्टर में सुधार का संकेत है. हालांकि, मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में थोड़ी गिरावट आई, जो औद्योगिक उत्पादन में मामूली मंदी की ओर इशारा करती है.

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