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SIP vs Home Loan: घर खरीदें या SIP में लगाएं पैसा? कौन-सा विकल्प है बेहतर

SIP vs Home Loan: घर खरीदें या SIP में लगाएं पैसा? कौन-सा विकल्प है बेहतर

Last Updated on June 12, 2025 7:39, AM by

SIP vs Home Loan: घर खरीदना सही है, या फिर SIP करना? बढ़ती महंगाई, रियल एस्टेट के बदलते रेट और निवेश के बढ़ते विकल्पों के बीच हर किसी के जेहन में कभी कभी न कभी यह सवाल जरूर आता है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ी है। कई लोगों का मानना है कि घर खरीदकर अपनी प्रॉपर्टी बनाना ज्यादा सही है। वहीं, बाकियों की दलील है कि SIP करके ज्यादा वैल्यू बनाई जा सकती है और किराये के घर में रहने से अधिक फ्लेक्सबिलिटी मिलती है।

आइए एक्सपर्ट और डेटा की मदद से समझते हैं कि क्या घर खरीदना फायदेमंद है या SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में निवेश करना ज्यादा समझदारी है?

सोशल मीडिया पर क्या छिड़ी है बहस

 

एक्स (पहले ट्विटर) पर एक यूजर सौरव दत्ता ने पोस्ट किया कि SIP करना घर खरीदने से फायदेमंद है। दत्ता ने लिखा, ‘जब आप ₹1.5 करोड़ का घर सिर्फ ₹40,000 महीने में किराए पर ले सकते हैं, तो फिर खरीदने की जरूरत ही क्या है? मकान मालिक को EMI चुकाने की टेंशन लेने दें और आप आराम से SIP करते रहें।’

दत्ता की पोस्ट पर कई तरह की प्रतिक्रिया आई, ज्यादातर घर खरीदने के पक्ष में। एक यूजर सौरभ जैन ने लिखा, ‘जब प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ती हैं, तो 10–15 साल में ये 2 से 4 गुना तक हो जाती हैं। किराया भी उसी अनुपात में बढ़ता है। मुझे लगता है कि अगले 2 साल में प्रॉपर्टी की कीमतें दोगुनी हो सकती हैं। इसकी वजह है कम ब्याज दर और संभावित विदेशी निवेश (FII) का बढ़ना। FII के शेयर मार्केट में निवेश से बुल रन आ सकता है और लोग स्टॉक बेचकर घर खरीदना शुरू कर देंगे।’

क्या घर ज्यादा बेहतर है?

दत्ता की पोस्ट के रिस्पॉन्स में ज्यादातर लोगों का यही मानना था कि घर खरीदना ज्यादा बेहतर फैसला है। उनकी दलील थी कि अपने घर का मालिक होना भावनात्मक सुरक्षा और स्थिरता देता है। आपको यह डर नहीं रहता कि कल को मकान मालिक बोल देगा कि रूम खाली कर दो। साथ ही, EMI के मुकाबले किराया काफी तेजी से बढ़ता है।

एक यूजर ने लिखा कि रेंट हर साल रॉकेट की तरह बढ़ता है और यह पैसा हवा हो जाता है। वहीं, घर खरीदकर आप एक संपत्ति बनाते हैं, जिसकी वैल्यू समय के साथ लगातार बढ़ती रहती है। सरकारी अंकुश के चलते EMI काफी हद तक स्थिर रहती है। वहीं, किराया मकान मालिक की मर्जी पर रहता है, जिसे वो जब चाहे जितना बढ़ा सकता है।

यूजर ने अपनी मिसाल देते हुए लिखा, ‘मैंने ईस्ट बेंगलुरु में IT Parks के पास 3 BHK लिया। HDFC से होम लोन की ब्याज दर कोविड के समय 2 साल के लिए 6.9% पर फिक्स्ड थी। अब ब्याज दर बढ़कर 7.9% हो गई है क्योंकि लोन MCLR से रेपो रेट पर शिफ्ट हो गया।’ वहीं, किराये के बारे में यूजर ने कहा कि जिस घर का रेंट पहले ₹20,000 था, अब 4 साल में उसका किराया ₹45,000 हो गया।’

SIP करना फायदे का सौदा है?

@GumnaamParindey हैंडल ने SIP को घर खरीदने के मुकाबले ज्यादा फायदे का सौदा बताया। यूजर ने लिखा, ‘जब नौकरी या शहर बदलना होगा, तो क्या हर बार पुराना घर बेचकर नया घर खरीदेंगे? मेरी अब तक की हर नौकरी में मैंने ऑफिस से 2-3 किलोमीटर के दायरे में ही किराये पर रहना चुना है। हां, मकान मालिकों से कुछ परेशानी जरूर हुई, लेकिन जो समय मैंने सफर से बचाया, वो परिवार के साथ बिताने को मिला- वो सबसे बड़ा फायदा था।’

एक अन्य यूजर ने लिखा कि अगर आप बैचलर हैं, तो किराये के घर में रहना अच्छा फैसला हो सकता है। इससे आप कम उम्र में EMI के बोझ के तले बचने से बच जाएंगे। और रेंट पर रहकर आगे घर खरीदने के लिए डाउनपेमेंट लायक रकम भी जुटा लेंगे। हालांकि, शादी और बच्चे होने के बाद जिंदगी में स्थिरता की जरूरत होती है। उस वक्त घर खरीदने का फैसला सही हो सकता है।

SIP vs Home Loan पर एक्सपर्ट की राय

सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर और फाइनेंशियल एडवाइजर कंपनी Hum Fauji Initiatives के सीईओ कर्नल संजीव गोविला (रिटायर्ड) का कहना है कि भारत में पीढ़ियों से घर खरीदना सफलता का प्रतीक रहा है। लेकिन आज के बदलते आर्थिक माहौल में सही सवाल ये है, क्या आप घर में रहने के लिए खरीद रहे हैं या निवेश के लिए? क्योंकि आपका उद्देश्य बदलते ही इस सवाल का सही जवाब भी बदल जाता है।

अगर आप खुद के रहने के लिए घर खरीद रहे हैं और आपके पास इमरजेंसी फंड और फैमिली इंश्योरेंस है, तो घर खरीदना समझदारी भरा फैसला हो सकता है। घर का मालिक होना भावनात्मक सुरक्षा, स्थिरता और स्थायी पहचान देता है। खासकर, उन परिवारों के लिए जो एक ही जगह स्थायी रूप से बस चुके हैं।

क्या घर निवेश के लिए नहीं है?

गोविला का कहना है कि निवेश के लिहाज रियल एस्टेट अक्सर उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता। क्योंकि लागत बहुत अधिक होती है। किराये से मिलने वाला रिटर्न केवल 2–3% होता है। साथ ही, इसे बेचना आसान नहीं होता, यानी तरलता (liquidity) की कमी। रियल एस्टेट से किसी एक जगह बंधे रहने की मजबूरी भी हो जाती है। अगर आपने घर खरीदने के लिए भारी कर्ज (EMI) लिया है, तो जोखिम और बढ़ जाता है।

गोविला का मानना है कि घर में निवेश के बजाय SIP में ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है। इसे आप छोटी रकम से शुरू कर सकते हैं और धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं। जरूरत पड़ने पर पैसा निकालना भी आसान होता है। आपको लॉन्ग टर्म में 12–15% तक का सालाना रिटर्न मिल सकता है। इसमें कोई झंझट नहीं, पूरा लचीलापन है। SIP आज की तेजी से बदलती, मोबाइल और अनिश्चित दुनिया के लिए बिल्कुल फिट बैठता है। आपका पैसा चुपचाप बढ़ता रहता है, और आप अपनी जिंदगी पर फोकस कर सकते हैं।

समझदारी की रणनीति क्या है?

आप SIP करने या फिर घर खरीदने फैसला आपको अपनी जरूरत और सहूलियत के हिसाब से करना चाहिए। गोविला के मुताबिक, आपको उम्र के 20वें और 30वें दशक में SIP से संपत्ति बनानी चाहिए। जब वित्तीय रूप से मजबूत हो जाएं, तब घर खरीदने पर विचार कीजिए- रहने के लिए या विरासत के लिए। उनका कहना है कि अपने सपनों का घर SIP से बनी दौलत से खरीदिए, न कि EMI से बंधकर। क्योंकि रियल एस्टेट स्टेटस बनाता है, लेकिन SIP असली दौलत बनाता है।

क्या कहता है आंकड़ों का गणित?

अब मान लीजिए कि आपने ₹1.5 से ₹2 करोड़ का घर खरीदा है। इसकी EMI हर महीने ₹50,000 जा रही है। या फिर आप SIP में ₹50,000 निवेश कर रहे हैं। ऐसे में 20 साल बाद दोनों विकल्पों की अनुमानित स्थिति कुछ ऐसी हो सकती है:

पैरामीटर घर खरीदना

SIP (12% अनुमानित रिटर्न)

मासिक खर्च ₹50,000 (EMI) ₹50,000 (SIP)
अवधि 20 साल 20 साल
अनुमानित वैल्यू ₹1.5 से ₹2 करोड़ (लोकेशन पर निर्भर) ₹5 से ₹6 करोड़ तक
लिक्विडिटी कम ज्यादा
टैक्स छूट हां (होम लोन पर) फंड पर निर्भर

वित्तीय सलाह देने वाली रोइनट सॉल्यूशन के एमडी और फाउंडर समीर माथुर का कहना है कि घर खरीदने और SIP के मकसद और फायदे अलग हैं, लेकिन हर विकल्प की अपनी अहमियत है।

उन्होंने कहा, ‘भारतीय संस्कृति में रोटी, कपड़ा और मकान सिर्फ जरूरत नहीं बल्कि सामाजिक और भावनात्मक स्थिरता का प्रतीक है। घर का मालिक होना अब भी एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। वहीं SIP एक स्ट्रक्चर्ड और लचीला तरीका है वित्तीय संपत्ति बनाने का। समझदारी इसी में है कि हर किसी को अपनी आय, जरूरत और उम्र के पड़ाव को ध्यान में रखते हुए संतुलित फैसला करे।’

फैसला आपकी सहूलियत पर निर्भर

अगर आपकी स्थिरता, परिवार के लिए घर और इमोशनल सिक्योरिटी, तो घर खरीदने से बेहतर विकल्प कुछ नहीं हो सकता। हालांकि, घर खरीदने से पहले आपको यह तय करना लेना चाहिए कि आप इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं। लेकिन, अगर आपको बार-बार नौकरी के चलते शहर बदलना पड़ता है, तो आप रेंट पर रहने का विकल्प चुन सकते हैं। इससे आपको SIP करने की सहूलियत मिल सकती है।

एक्सपर्ट के मुताबिक, कई लोग दोनों के बीच संतुलन भी साध लेते हैं। जैसे कि एक किफायती या छोटा घर खरीदकर बेसिक जरूरत पूरी करते हैं और बची इनकम को SIP में लगाते हैं। कुल मिलाकर, फैसला आपको अपनी सहूलियत के हिसाब से लेना है।

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