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Muthoot Finance Share Price: लगातार 8 दिनों की तेजी, शेयर पहुंचे रिकॉर्ड हाई पर, अभी और कितना बचा है दम?

Muthoot Finance Share Price: लगातार 8 दिनों की तेजी, शेयर पहुंचे रिकॉर्ड हाई पर, अभी और कितना बचा है दम?

Last Updated on June 10, 2025 15:21, PM by

Muthoot Finance Share Price: गोल्ड लोन देने वाली दिग्गज कंपनी मुथूट फाइनेंस के शेयर लगातार आठ कारोबारी दिनों की तेजी के साथ आज रिकॉर्ड हाई पर चले गए। इन आठ दिनों में मुथूट फाइनेंस के शेयर करीब 25% ऊपर चढ़े और इसका मार्केट कैप ₹1 लाख करोड़ के पार चला गया। फिलहाल बीएसई पर इसके शेयर 0.53% की बढ़त के साथ ₹2553.45 पर हैं। हालांकि इंट्रा-डे में यह 1.20% उछलकर ₹2570.65 के रिकॉर्ड हाई पर चला गया था। पिछले साल 23 जुलाई 2024 को यह एक साल के निचले स्तर ₹1665 पर था। इसके शेयरों को RBI की तरफ से छोटे गोल्ड लोन को लेकर नियमों में राहत से भी सपोर्ट मिला है। जानिए कि आरबीआई ने कैसी राहत दी है और शेयरों में निवेश को लेकर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

Gold Loan पर RBI ने दी कैसी राहत?

मुथूट फाइनेंस समेत अन्य गोल्ड लोन मुहैया कराने वाली कंपनियों के शेयरों में यह तेजी छोटे गोल्ड लोन से जुड़े नियमों में ढील पर आई है। शुक्रवार को आरबीआई ने गोल्ड लोन से जुड़े निर्देश जारी किए जिसमें ₹2.5 लाख से कम के लोन पर लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेश्यो को 75% से 85% कर दिया। हालांकि ₹5 लाख से ऊपर के लोन पर यह रेश्यो 75% पर बना हुआ है।

 

क्या कहना है एक्सपर्ट्स का?

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट अविनाश सिंह का कहना है कि रिन्यूअल से जुड़े नियमों को कड़ा कर दिया है और अब रिन्यूअल या टॉप-अप से पहले ब्याज चुकाना होगा और क्रेडिट जांच पूरी करनी होगी। अविनाश का कहना है कि लेंडर्स को सभी चार्जेज के बारे में स्पष्ट रूप से लोन डॉक्यूमेंट्स में खुलासा करना चाहिए और इससे गोल्ड लोन मुहैया कराने वाली कंपनियों को ही फायदा होगा।

जेफरीज की बात करें तो गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों में इसकी टॉप पिक मुथूट फाइनेंस है। ब्रोकरेज फर्म ने इसका टारगेट प्राइस ₹2,660 फिक्स किया है। जेफरीज का मानना है कि नियामकीय राहत से ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा और ऑपरेशनल खर्च कम होगा। इससे प्रमुख चिंताएं कम होंगी और मार्जिन को भी सपोर्ट मिलेगा। हालांकि रिस्क की बात करें तो गोल्ड की कीमत में गिरावट, सुस्त ग्रोथ और नेट इंटेरेस्ट मार्जिन पर अधिक दबाव और क्रेडिट लॉस में बढ़ोतरी जैसे रिस्क हैं।

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