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अगर आपके पास भी है SGB तो ऐसे कर सकते हैं समय से पहले निकासी, मिल रहा 200% से अधिक का रिटर्न!

अगर आपके पास भी है SGB तो ऐसे कर सकते हैं समय से पहले निकासी, मिल रहा 200% से अधिक का रिटर्न!

Sovereign Gold Bond: गोल्ड में इन्वेस्ट करने वाले निवेशकों के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) एक जबरदस्त ऑप्शन साबित हो रहे है। हाल के कुछ सालों में सोने के दाम में हुई बढ़ोतरी ने निवेशकों को मालामाल कर दिया है। बता दें कि यह एक डिजिटल गोल्ड होता है जिसे सरकार समय-समय पर जारी करती है और एक निश्चित अवधि के लिए इसमें इन्वेस्टमेंट जाता है। हाल ही में RBI ने SGB की समय-पूर्व निकासी के लिए प्रक्रियाओं को निर्धारित किया है, जिससे निवेशकों को निर्धारित अवधियों के दौरान इस निवेश से बाहर निकलने का एक व्यवस्थित विकल्प मिलता है।

कैसे होती है समय से पहले निकासी, कितना मिला रिटर्न?

SGB को जारी होने के पांचवें वर्ष के बाद ही समय-पूर्व निकाला जा सकता है। इसके लिए एक निष्कीट डेट तय की जाती है जो हर छह महीने में आती हैं। SGB को भजाने का अगला मौका 2019-20 सीरीज के लिए 11 जून को निर्धारित है। इससे पहले SGB 2017-18 सीरीज X के लिए अंतिम समय-पूर्व निकासी विंडो 4 जूनको बंद हुई थी, जिसमें निवेशकों को प्रति यूनिट ₹9,630 प्राप्त हुए। यह राशि इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड (IBJA) द्वारा रिपोर्ट की गई 30 मई, 2 जून और 3 जून के लिए 999 शुद्धता वाले सोने की औसत कीमत पर आधारित थी।

आपको बता दें कि SGB 2017-18 सीरीज X को 4 दिसंबर, 2017 को ₹2,961 प्रति ग्राम की कीमत पर जारी किया गया था। निवेशकों को इसके ₹9,630 प्रति यूनिट के भाव से भुगतान किया गया है। यानी आठ साल से भी कम समय में 225% से अधिक का रिटर्न मिला है, जिसमें बॉन्ड के अंकित मूल्य पर दी जाने वाली 2.5% वार्षिक ब्याज दर शामिल नहीं है।

कैसे तय होता है रिडेम्प्शन मूल्य?

इन बॉन्डों के लिए रिडेम्प्शन मूल्य की गणना पिछले सप्ताह के सोने के क्लोजिंग मूल्य के एक औसत के रूप में की जाती है, जैसा कि इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित किया जाता है। निवेशक अपने नामित बैंक, डाकघर या स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से रिडेम्प्शन प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं जहां SGB को खरीदा गया था। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने रिटर्न को भुनाने के लिए रिडेम्प्शन कीमतों के संबंध में RBI की घोषणाओं के बारे में सूचित रहें।

 

SGB बनाम अन्य गोल्ड इनवेस्टमेंट

SGB को नवंबर 2015 में लॉन्च किए गया था। फिलहाल ये निवेशकों को काफी अच्छा रिटर्न दे चुके है। मौजूदा 59 सीरीज में से 49 ने पांच साल पूरे कर लिए हैं और समय-पूर्व रिडेम्प्शन के लिए योग्य हैं। RBI ने ऐसी 131 रिडेम्प्शन प्रक्रियाओं को आसान बनाया है, जो शुरुआती निकासी चाहने वाले निवेशकों के लिए एक अच्छी पहल को दर्शाता है। RBI एक अर्ध-वार्षिक रिडेम्प्शन कैलेंडर भी जारी करता है, जिसमें अगले छह महीनों के लिए पात्र सीरीज सूचीबद्ध होती हैं।

SGB अन्य सोने के निवेश जैसे गोल्ड ETF और भौतिक सोने पर विशिष्ट लाभ प्रदान करते हैं:

निश्चित ब्याज दर: SGB आमतौर पर 2.5% से 2.75% की निश्चित वार्षिक ब्याज दर प्रदान करते हैं, जो अन्य सोने के विकल्पों के साथ उपलब्ध नहीं है।

टैक्स एफिशिएंट: SGB परिपक्वता तक रखे जाने पर या RBI की समय-पूर्व रिडेम्प्शन विंडो के माध्यम से भुनाए जाने पर अधिक टैक्स एफिशिएंट होते हैं, क्योंकि इन परिदृश्यों में कैपिटल गेन टैक्स से छूट मिलती है। हालांकि, SGB से प्राप्त ब्याज आय आयकर स्लैब के अनुसार कर के दायरे में आती है।

एक्सपेंस रेशियो का अभाव: गोल्ड ETF जैसे वैकल्पिक सोने के निवेश के तरीकों में SGBs की निश्चित ब्याज और टैक्स बेनिफिट्स की कमी होती है और इनमें एक्सपेंस रेशियो होता है जो रिटर्न को कम कर सकता है।

RBI निवेशकों को रिडेम्प्शन के अवसरों पर नजर रखने के लिए प्रोत्साहित करता है, क्योंकि कई बार समय-पूर्व रिडेम्प्शन भी फायदेमंद हो सकता है। एक्स्पर्ट्स के मुताबिक, निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो का 10-15% निवेश सोने में करना चाहिए। यह जो इंफ्लेशन और आर्थिक अनिश्चितता के समय एक बचाव के रूप में कार्य करता है। हालांकि, परिपक्वता तक इन्वेस्टेड रहना अक्सर अधिक लाभ प्रदान करता है, क्योंकि बॉन्ड के ब्याज भुगतान और टैक्स में छूट मिलती है।

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