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निवेशकों को 1.84 लाख करोड़ रुपये की चपत, क्यों आई बाजार में गिरावट? जानिए छह प्रमुख कारण

निवेशकों को 1.84 लाख करोड़ रुपये की चपत, क्यों आई बाजार में गिरावट? जानिए छह प्रमुख कारण

Last Updated on June 3, 2025 15:55, PM by

नई दिल्ली: मंगलवार को शेयर बाजार में गिरावट आई। वित्तीय, IT और ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में कमजोरी के कारण बाजार नीचे गया। यह गिरावट RBI की नीतिगत घोषणा से पहले और वैश्विक व्यापार तनाव और अमेरिकी वित्तीय जोखिमों के बीच आई है। कारोबार के दौरान सेंसेक्स करीब 800 अंक तक गिरा जबकि 24500 अंक तक लुढ़क गया। दोपहर बाद 3 बजे बीएसई सेंसेक्स 584.28 अंक यानी 0.72% की गिरावट के साथ 80,789.47 अंक पर था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी50 इंडेक्स भी 156.75 अंक यानी 0.63% गिरावट के साथ 24,559.85 अंक पर ट्रेड कर रहा था। इस गिरावट से BSE में लिस्टेड सभी कंपनियों का कुल मार्केट कैप 1.84 लाख करोड़ रुपये घटकर 443.66 लाख करोड़ रुपये हो गया। आज बाजार में गिरावट के छह मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

1. वैश्विक व्यापार तनाव बढ़ा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर टैरिफ को दोगुना करके 50% करने की योजना की घोषणा की है। यह नियम 4 जून, 2025 से लागू होगा। इस खबर से निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है। इस कदम से टाटा स्टील, हिंडाल्को और जेएसडब्ल्यू स्टील जैसे भारतीय धातु निर्यातकों के लिए चिंता बढ़ गई है। भारत ने FY25 में अमेरिका को 4.5 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य की धातुओं का निर्यात किया था। हालांकि इसका तत्काल प्रभाव सीमित हो सकता है, लेकिन टैरिफ में वृद्धि से वैश्विक अनिश्चितता बढ़ गई है।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का स्टील और एल्यूमीनियम पर 50% टैरिफ एक स्पष्ट संदेश है कि टैरिफ और व्यापार परिदृश्य अनिश्चित और अशांत रहेगा। इसका मतलब है कि आगे भी व्यापार को लेकर स्थिति डांवाडोल रहेगी। बाजार ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित बातचीत पर भी बारीकी से नजर रख रहे हैं। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार तनाव अभी भी जारी है।

2. कमजोर वैश्विक आर्थिक डेटा

हाल के आंकड़ों से पता चला है कि अमेरिकी विनिर्माण में लगातार तीसरे महीने गिरावट आई है। चीन में भी, फैक्टरी गतिविधि में आठ महीनों में पहली बार गिरावट आई है। इससे पता चलता है कि अमेरिकी टैरिफ वैश्विक मांग और आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित करने लगे हैं। इन घटनाओं का असर अमेरिकी और एशियाई बाजारों पर पड़ा है। नैस्डैक और एसएंडपी 500 वायदा कारोबार में भी शुरुआती कारोबार में 0.3% से अधिक की गिरावट आई।

3. RBI नीतिगत निर्णय से पहले सावधानी

ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील क्षेत्र जैसे बैंक, वित्तीय संस्थान, ऑटो और उपभोक्ता स्टॉक दबाव में आ गए। निवेशक शुक्रवार को RBI की मौद्रिक नीति के नतीजे का इंतजार कर रहे हैं। व्यापक रूप से 25-आधार-अंक की दर में कटौती की उम्मीद है, लेकिन केंद्रीय बैंक की टिप्पणी और भविष्य के मार्गदर्शन को लेकर अनिश्चितता के कारण मुनाफावसूली हो रही है। निफ्टी बैंक और वित्तीय सेवा सूचकांक लगभग 0.8% नीचे थे जबकि ऑटो और FMCG में भी 0.5% तक की गिरावट आई। निवेशक सोच रहे हैं कि RBI क्या फैसला लेगा, इसलिए वे थोड़ा डरे हुए हैं।

4. बढ़ता अमेरिकी ऋण और बॉन्ड यील्ड

बाजार इस खबर पर भी प्रतिक्रिया दे रहे हैं कि अमेरिकी सीनेट एक नए $3.8 ट्रिलियन के कर और व्यय विधेयक पर चर्चा शुरू करेगी। यह ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिकी संघीय ऋण पहले ही $36.2 ट्रिलियन को पार कर चुका है। सरकारी उधार बढ़ने की संभावना ने दीर्घकालिक अमेरिकी बॉन्ड यील्ड को महत्वपूर्ण 5% स्तर के करीब धकेल दिया है, जिससे दुनिया भर के इक्विटी बाजारों पर दबाव बढ़ रहा है। इसका मतलब है कि अमेरिका पर कर्ज बढ़ रहा है, जिससे शेयर बाजार में डर का माहौल है।

5. तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव

भू-राजनीतिक तनाव और उम्मीद से कम आपूर्ति के कारण कच्चे तेल की कीमतें अस्थिर बनी हुई हैं। ब्रेंट क्रूड 64.75 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कारोबार कर रहा था, जबकि WTI 62.72 डॉलर पर कारोबार कर रहा था। ओपेक+ ने जुलाई में उत्पादन में 411,000 बैरल प्रति दिन की वृद्धि को बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की है। यह कुछ लोगों की आशंका से कम है और पिछले दो महीनों में हुई वृद्धि के अनुरूप है। इसके बाद दोनों अनुबंधों में पिछले सत्र में लगभग 3% की वृद्धि हुई।

6. अमेरिका में दर में कटौती की उम्मीदें

पहले, फेड गवर्नर क्रिस्टोफर वालर ने सुझाव दिया था कि इस साल भी दर में कटौती हो सकती है, जो आगामी आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर करती है। बाजार वर्तमान में सितंबर में दर में कटौती की 75% संभावना मान रहे हैं, लेकिन फेड की ओर से अभी तक कोई ठोस संकेत नहीं आया है, जिससे अनिश्चितता बढ़ रही है। इसका मतलब है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरें कम कर सकता है, लेकिन अभी कुछ भी पक्का नहीं है। इससे बाजार में थोड़ा डर बना हुआ है।

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