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टॉप-10 कंपनियों में 4 की वैल्यू ₹1 लाख करोड़ बढ़ी: LIC का मार्केट कैप सबसे ज्यादा ₹59,234 करोड़ बढ़ा, TCS का ₹17,910 करोड़ कम हुआ

टॉप-10 कंपनियों में 4 की वैल्यू ₹1 लाख करोड़ बढ़ी:  LIC का मार्केट कैप सबसे ज्यादा ₹59,234 करोड़ बढ़ा, TCS का ₹17,910 करोड़ कम हुआ

Last Updated on June 1, 2025 15:04, PM by

 

मुंबई4 मिनट पहले

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मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 4 की वैल्यू बीते हफ्ते के कारोबार में 1,01,370 करोड़ रुपए बढ़ी है। इस दौरान लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी LIC टॉप गेनर रही। कंपनी का मार्केट कैप 59,234 करोड़ रुपए बढ़कर 6.03 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।

 

इसके अलावा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की वैल्यू 19,590 करोड़, एयरटेल की ₹14,084 करोड़ और HDFC बैंक की ₹8,462 करोड़ बढ़ी है। इधर, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) की वैल्यू 17,910 करोड़ रुपए कम होकर 12.53 करोड़ रुपए पर आ गई है। रिलायंस, ICICI बैंक, बजाज फाइनेंस, हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) और इंफोसिस की वैल्यू कंबाइंड रूप से ₹34,853 करोड़ कम हुई है।

पिछले हफ्ते बाजार में रही थी गिरावट

हफ्ते के आखिरी दिन यानी शुक्रवार, 30 मई को सेंसेक्स 182 अंक गिरकर 81,451 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 83 अंक की गिरावट रही, ये 24,751 के स्तर पर बंद हुआ।

सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 25 में गिरावट और 5 में तेजी रही। जोमैटो का शेयर 4.95% चढ़ा। SBI, HDFC बैंक, LT और बजाज फिनसर्व के शेयर भी 2% ऊपर बंद हुए। HCL टेक, टेक महिंद्रा और इंफोसिस समेत 14 शेयरों में 2% तक की गिरावट रही।

निफ्टी के 50 शेयरों में से 7 में तेजी और 43 में गिरावट देखने को मिली। NSE के सरकारी बैंकों का इंडेक्स 2.88% चढ़ा। जबकि, मेटल में 1.69%, IT में 1.15% और ऑटो में 0.98% की गिरावट रही।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?

मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, उनकी वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को उनकी कीमत से गुणा करके किया जाता है।

इसे एक उदाहरण से समझें…

मान लीजिए… कंपनी ‘A’ के 1 करोड़ शेयर मार्केट में लोगों ने खरीद रखे हैं। अगर एक शेयर की कीमत 20 रुपए है, तो कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 करोड़ x 20 यानी 20 करोड़ रुपए होगी।

कंपनियों की मार्केट वैल्यू शेयर की कीमतों के बढ़ने या घटने के चलते बढ़ता-घटता है। इसके और कई कारण हैं…

मार्केट वैल्यू कैसे बढ़ती है?

  • शेयर की कीमत- बाजार में शेयरों का मांग बढ़ने से कॉम्पिटिशन होता है, इसके चलते कीमतें बढ़ती है।
  • मजबूत वित्तीय प्रदर्शन: कंपनी की कमाई, रेवेन्यू, मुनाफा जैसी चीजों में बढ़ोतरी निवेशकों को अट्रैक्ट करती है।
  • पॉजिटीव न्यूज या इवेंट- प्रोडक्ट लॉन्च, अधिग्रहण, नया कॉन्ट्रैक्ट या रेगुलेटरी अप्रूवल से शेयरों की डिमांड बढ़ती है।
  • मार्केट सेंटिमेंट- बुलिश मार्केट ट्रेंड या सेक्टर स्पेसिफिक उम्मीद जैसे IT सेक्टर में तेजी का अनुमान निवेशकों के आकर्षित करता है।
  • हाई प्राइस पर शेयर जारी करना: यदि कोई कंपनी हाई प्राइस पर नए शेयर जारी करती है, तो वैल्यू में कमी आए बिना मार्केट कैप बढ़ जाता है।

मार्केट वैल्यू कैसे घटती है?

  • शेयर प्राइस में गिरावट- मांग में कमी के चलते शेयरों की प्राइस गिरती है, इसका सीधा असर मार्केट कैप पर होता है।
  • खराब नतीजे- किसी वित्त वर्ष या तिमाही में कमाई-रेवेन्यू घटने, कर्ज बढ़ने या घाटा होने से निवेशक शेयर बेचते हैं।
  • नेगेटिव न्यूज- स्कैंडल, कानूनी कार्रवाई, प्रोडक्ट फेल्योर या लीडरशिप से जुड़ी कोई भी नकारात्मक खबर निवेश को कम करता है।
  • इकोनॉमी या मार्केट में गिरावट- मंदी, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और बेयरिश यानी नीचे जाता मार्केट शेयरों को गिरा सकता है।
  • शेयर बायबैक या डीलिस्टिंग: यदि कोई कंपनी शेयरों को वापस खरीदती है या प्राइवेट हो जाती है, तो आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या कम हो जाती है।
  • इंडस्ट्री चैलेंज: रेगुलेटरी चेंज, टेक्नोलॉजिकल डिसरप्शन या किसी सेक्टर की घटती डिमांड के चलते शेयरों की मांग घटती है।

मार्केट कैप कैसे काम आता है?

  • मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
  • किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
  • कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है

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