ग्रो ने आईपीओ पेश करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है। उसने 26 मई को सेबी के प्री-फाइलिंग मैकेनिज्म के तहत स्टॉक मार्केट में एंट्री के लिए पहला औपचारिक कदम बढ़ाया। मनीकंट्रोल ने 15 मई को अपनी खबर में ग्रो की वैल्यूएशन 7-8 अरब डॉलर रहने का अनुमान जताया था। इस वैल्यूएशन के आधार पर अगर 10-15 फीसदी इक्विटी डायल्यूशन होता है तो ग्रो का आईपीओ करीब 7,728 करोड़ रुपये का हो सकता है।
Groww का हेडक्वार्टर बेंगलुरु है। यह एक्टिव इनवेस्टर्स के लिहाज से देश की सबसे बड़ी स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी है। कंपनी की शुरुआत 2016 में हुई थी। रेवेन्यू के लिहाज से देखा जाए तो जीरोधा (Zerodha) देश की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म है। पिछले साल हुरुन की रिपोर्ट में जीरोधा की वैल्यूएशन करीब 7.7 अरब डॉलर लगाई गई थी। हालांकि, जीरोधा ने खुद अपनी वैल्यू 3.6 अरब डॉलर लगाई थी।
ग्रो सही समय पर आईपीओ पेश करने की तैयारी कर रही है। हालांकि, ब्रोकिंग फर्मों को इस वित्त वर्ष में ट्रेडिंग पर ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा। पिछले वित्त वर्ष के मध्य से ही एक्सचेंजों से मिलने वाला उनका रिबेट घटा है। पिछले साल ही उन्हें रिटेल फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग पर कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, FY25 की दूसरी छमाही में ज्यादातर ब्रोकिंग फर्मों के रेवेन्यू में 30-50 फीसदी गिरावट देखने को मिल सकती है।
एक इनवेस्टमेंट फर्म के एक सीनियर एग्जिक्यूटिव ने कहा, “ग्रो की वैल्यूएशन के बारे में कोई फैसला लेने से पहले हम उन रेगुलेटरी बदलावों के असर को देखने के लिए इंतजार करना चाहेंगे, जिसके चलते F&O ट्रेडिंग में कमी आई है।” उन्होंने कहा कि कंपनी के DRHP से हमें इस साल कंपनी के अर्निंग्स पर पड़ने वाले असर का अंदाजा मिल सकता है। Angel One के मार्च तिमाही के प्रॉफिट में 49 फीसदी गिरावट देखने को मिली है।
एक दूसरे स्टॉक ब्रोकिंग फर्म के फाउंडर ने कहा कि कई बिजनेसेज को साइक्लिकल बदलावों का सामना करना पड़ता है। इंडिया की इकोनॉमी बढ़ रही है, जिससे आगे इनवेस्टर्स सेंटीमेंट बेहतर रहने की उम्मीद है। इसका फायदा ब्रोकरेज कंपनियों को मिलेगा। पिछले 5 सालों में शेयरों के निवेशकों की संख्या चार गुना से ज्यादा हो गई है। सूत्रों का कहना है कि ग्रो 7-8 अरब डॉलर की वैल्यूएशन चाहती है, जिसे किसी न्यू इकोनॉमी कंपनी के लिए ज्यादा नहीं माना जाएगा।
