Last Updated on May 19, 2025 21:05, PM by Pawan
अदाणी पावर, टाटा पावर, वेदांता ग्रुप, JSW एनर्जी और टोरेंट पावर जैसी प्राइवेट कंपनियां कम से कम 5 साल के गैप के बाद थर्मल पावर सेक्टर में वापसी कर रही हैं। सरकार का अनुमान है कि 2031-32 तक भारत में कम से कम 80 गीगावाट (जीडब्ल्यू) कोयला बेस्ड नई बिजली उत्पादन क्षमता की जरूरत होगी। दिलचस्प यह है कि कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) जैसी सरकारी कंपनियां जिनका पहले बिजली उत्पादन से कोई लेनादेना नहीं था, अब थर्मल पावर कारोबार में उतर रही हैं।
CIL ने 21 अप्रैल को कहा था कि वह झारखंड में दामोदर वैली कॉरपोरेशन के साथ मिलकर 1,600 मेगावाट का अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल पावर प्लांट लगाएगी। इससे पहले CIL ने मध्य प्रदेश और ओडिशा में 2 थर्मल पावर प्लांट्स की घोषणा की थी।
कोयला बेस्ड प्रोजेक्ट्स की बढ़ती मांग, सरकारी कंपनी BHEL की ऑर्डरबुक में भी दिखती है। यह कंपनी थर्मल पावर प्लांट्स के लिए इक्विपमेंट्स को डिजाइन और मैन्युफैक्चर करेन के साथ—साथ उन्हें इंस्टॉल भी करती है। बिजली क्षेत्र में BHEL की ऑर्डरबुक वित्त वर्ष 2025 में 63 प्रतिशत बढ़कर 1,57,922 करोड़ रुपये हो गई। वित्त वर्ष 2024 में यह 96,731 करोड़ रुपये थी।
अदाणी पावर का क्या है प्लान
अदाणी पावर ने 30 अप्रैल को अपने निवेशकों को इनफॉर्म किया कि कंपनी की योजना वित्त वर्ष 2032 तक 13.12 गीगावाट थर्मल पावर को एड करके 30.67 गीगावाट तक पहुंचने की है। वर्तमान में कंपनी की क्षमता 17.5 गीगावाट है। कंपनी ने जनवरी-मार्च 2025 तिमाही के लिए अपने इनवेस्टर प्रेजेंटेशन में कहा, “थर्मल पावर बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए बेस लोड सप्लाई प्रदान करना जारी रखेगी। यह भारत की पीक डिमांड को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। पीक डिमांड वित्त वर्ष 2032 तक 388 गीगावाट तक पहुंच सकती है।”
टाटा पावर के CEO और मैनेजिंग डायरेक्टर प्रवीर सिन्हा का कहना है कि कंपनी का कोयला बेस्ड बिजली उत्पादन क्षमता से बाहर निकलकर पूरी तरह से क्लीन एनर्जी सोर्सेज पर फोकस करने के फैसले पर फिर से सोचना वक्त और देश की जरूरत से अधिक जुड़ा हुआ है। उनके मुताबिक, “वर्ष 2031-32 तक, चौबीसों घंटों के लिए रिन्यूएबल एनर्जी की ग्रोथ देश की बढ़ती ऊर्जा मांग के अनुरूप रहने की संभावना नहीं है। इसलिए, थर्मल पावर एक बीच के स्थिर स्रोत के रूप में जरूरी है, एक ऐसा स्त्रोत जो ग्रिड को संतुलित करने के लिए आवश्यक होगा।”
Vedanta, JSW Energy और Torrent Power किस तैयारी में
जेएसडब्ल्यू एनर्जी ने पिछले महीने पश्चिम बंगाल के सालबोनी में अपने सबसे बड़े ग्रीनफील्ड पावर प्लांट का निर्माण शुरू किया। इसकी कुल क्षमता 1,600 मेगावाट है। इसी तरह वेदांता आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अपने 2 प्लांट्स में चालू वित्त वर्ष के अंत तक कुल 1,300 मेगावाट क्षमता चालू कर सकती है। टोरेंट पावर ने जनवरी में घोषणा की थी कि वह मध्य प्रदेश में 1,600 मेगावाट का कोयला बेस्ड पावर प्लांट तैयार करेगी।
देश में बढ़ रही है बिजली की मांग
क्रिसिल रेटिंग्स के डायरेक्टर गौतम शाही का कहना है कि हमारी जैसी बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए 24×7 बिजली आपूर्ति की क्षमता महत्वपूर्ण है क्योंकि मांग लगातार बढ़ रही है। सरकार ने वित्त वर्ष 2032 तक पर्याप्त थर्मल पावर क्षमता वृद्धि का अनुमान लगाया है। रिन्यूएबल एनर्जी में निवेश जारी रहेगा और कुल बिजली उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी बढ़ेगी।
