Last Updated on May 19, 2025 3:20, AM by Pawan
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस साल 23 मई को सरकार को 3 लाख करोड़ रुपये का मोटा डिविडेंड दे सकता है। टॉप इकोनॉमिस्ट्स को लेकर किए गए CNBC-TV18 के सर्वे में यह बात सामने आई है। मॉनेटरी और फिस्कल पॉलिसी पर बारीकी से नजर रखने वाले लागों का मानना है कि यह भी हो सकता है कि डिविडेंड का वास्तविक आंकड़ा इस सर्वे के आंकड़े से भी ज्यादा हो।
3 लाख करोड़ रुपये के तगड़े डिविडेंड का अंदाज कैसे लगाया गया। इसके पीछे कुछ कैलकुलेशंस हैं। सबसे पहले बात करते हैं इनकम की। तो RBI की इनकम में शामिल है-डॉलर की बिक्री से प्रॉफिट, विदेशी सिक्योरिटीज पर ब्याज, भारतीय सरकार के बॉन्ड पर ब्याज, सोने की रीवैल्यूएशन पर प्रॉफिट, केंद्रीय बैंक के पास मौजूद सिक्योरिटीज में किसी भी तरह का वैल्यूएशन गेन।
अब इसमें से केंद्रीय बैंक घटाता है…
- इसके चालू खर्च, जो बहुत ज्यादा नहीं हैं
- इसके पास मौजूद सिक्योरिटीज पर मार्क-टू-मार्केट लॉस
- रिवर्स रेपो और SDF जमा पर बैंकों को दिया गया ब्याज
- कंटिन्जेंसी बफर (अचानक आ खड़ी होने वाली किसी परिस्थिति के लिए) की राशि जालान समिति द्वारा निर्धारित 5.5-6.5% से कम होने पर, इसमें ट्रांसफर की जाने वाली कोई भी राशि
अब जानते हैं कि RBI की आय और खर्च का हाल कैसा है…
डॉलर की बिक्री से प्रॉफिट
इस वर्ष डॉलर की बिक्री से बहुत ज्यादा प्रॉफिट होने की उम्मीद है, क्योंकि RBI ने बहुत ज्यादा डॉलर बेचे हैं। RBI बुलेटिन के डेटा से पता चलता है कि अप्रैल 2024 से लेकर फरवरी 2025 तक RBI ने 371.55 अरब डॉलर बेचे। एक अनुमान यह है कि इसने मार्च में 45 अरब डॉलर और बेचे। इसका मतलब है कि वित्त वर्ष 2024-25 में RBI की ग्रॉस डॉलर सेल्स 415 अरब डॉलर रही। वित्त वर्ष 2024 में यह केवल 153 अरब डॉलर थी।
जब RBI डॉलर बेचता है, तो वह परचेज प्राइस की कैलकुलेशन ऐतिहासिक रूप से खरीदे गए सभी डॉलर के एवरेज प्राइस के रूप में करता है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ऐतिहासिक प्राइस शायद प्रति डॉलर ₹78 के आसपास है। लेकिन सेल प्राइस कम से कम प्रति डॉलर ₹84.5 रहा होगा। इसलिए प्रभावी रूप से, केंद्रीय बैंक ने शायद बेचे गए हर डॉलर पर ₹6.5 का मुनाफा कमाया। वित्त वर्ष 2025 में 415 अरब डॉलर की बिक्री से RBI ने शायद ₹2.7 लाख करोड़ का रेवेन्यू कमाया।
विदेशी सिक्योरिटीज से आय
RBI की आय का एक और बड़ा हिस्सा इसकी भारी फॉरेन करेंसी होल्डिंग्स से आता है। ये अमेरिकी बॉन्ड और ट्रेजरी के रूप में रखे जाते हैं, जबकि थोड़ा सा यूरो, स्विस और येन बॉन्ड के रूप में होता है। RBI के आंकड़ों से पता चलता है कि 31 मार्च, 2025 तक विदेशी सिक्योरिटीज की रुपये में वैल्यू लगभग ₹48.6 लाख करोड़ थी। वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की औसत ब्याज दर 4.33% और 5.33% के बीच रही। यह मानते हुए कि केंद्रीय बैंक ने ₹48.6 लाख करोड़ के बॉन्ड पोर्टफोलियो पर 3% औसत भी कमाया, तो इसे हासिल ब्याज ₹1.5 लाख करोड़ होगा।
चूंकि RBI के बॉन्ड इनवेस्टमेंट के मैच्योरिटी पीरियड का पता नहीं है, इसलिए मार्क-टू-मार्केट घाटे के कारण वास्तविक आय कम हो सकती है। यह देखते हुए कि वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 के बीच मौजूद विदेशी सिक्योरिटीज की कुल राशि में बहुत अधिक बदलाव नहीं हुआ, विदेशी सिक्योरिटीज पर ब्याज से आय दोनों वर्षों में समान रही होगी।
घरेलू सरकारी बॉन्ड होल्डिंग्स से आय
आंकड़ों से पता चलता है कि सरकारी सिक्योरिटीज का RBI का स्टॉक मार्च 2024 के ₹13.6 लाख करोड़ से बढ़कर ₹15.6 लाख करोड़ हो गया। लेकिन RBI द्वारा दरों में कटौती के कारण वित्त वर्ष 2025 में इंक्रीमेंटल परचेज पर एवरेज इंट्रेस्ट यील्ड कम रही। हालांकि हो सकता है कि केंद्रीय बैंक ने मार्क-टू-मार्केट प्रॉफिट कमाया हो।
गोल्ड एसेट्स के रीवैल्यूएशन से आय
31 मार्च, 2024 तक सोने की कीमत 2,345 डॉलर प्रति औंस थी। 31 मार्च, 2025 तक यह बढ़कर 3,045 डॉलर प्रति औंस हो गई। RBI डेटा से पता चलता है कि इसी अवधि में केंद्रीय बैंक के गोल्ड एसेट्स ₹4.4 लाख करोड़ से बढ़कर ₹6.6 लाख करोड़ के हो गए। इसका मतलब है ₹2.2 लाख करोड़ का गेन। लेकिन यह केवल रीवैल्यूएशन रिजर्व (या करेंसी और गोल्ड रीवैल्यूएशन अकाउंट (CGRA)) में जा सकता है और आय को प्रभावित नहीं करेगा।
सरल शब्दों में कहें तो भले ही वित्त वर्ष 2025 में RBI की ब्याज आय वित्त वर्ष 2024 के समान ₹1.9 लाख करोड़ रह सकती है, लेकिन डॉलर की बिक्री से इसकी अन्य आय वित्त वर्ष 2024 की आय से ₹1.5 लाख करोड़ अधिक हो सकती है।
खर्च के मामले में एक बड़ी चीज जो नहीं पता है, वह यह है कि RBI कंटिन्जेंसी बफर में कितना अमाउंट ट्रांसफर करता है। इसने वित्त वर्ष 2023 में ₹1.48 लाख करोड़ और वित्त वर्ष 2024 में ₹42,819 करोड़ ट्रांसफर किए थे। जालान समिति ने बैलेंस शीट के 5.5-6.5% के बराबर के कंटिन्जेंसी बफर को अनिवार्य किया था। अगर मान लें कि RBI जालान समिति के 5.5-6.5% के कंटिन्जेंसी बफर पर कायम रहा है और आकस्मिक फंड के लिए कोई बड़ा अतिरिक्त प्रावधान नहीं किया है, तो यह ₹4 लाख करोड़ का सरप्लस भी घोषित कर सकता है।
RBI से हायर डिविडेंड के लिए एक राजनीतिक कारण भी है। सरकार ने RBI और PSU बैंकों से आय के रूप में केवल ₹2.56 लाख करोड़ का बजट रखा है। लेकिन हाल ही में जो युद्ध जैसे हालात पैदा हुए, उनसे सरकार के रक्षा खर्च में बढ़ोतरी होने की सूचना पहले ही मिल चुकी है। CNBC-TV18 ने बताया था कि रक्षा खर्च का बजट ₹6.8 लाख करोड़ था। अब यह ₹7 लाख करोड़ से अधिक हो सकता है।
सबसे आखिर में RBI हाई डिविडेंड देने से उस वक्त बचना चाह सकता है, जब महंगाई ज्यादा हो। चालू वर्ष में खुदरा महंगाई के अनिवार्य 4% के निशान से नीचे रहने का अनुमान है। ऐसे में केंद्रीय बैंक इस वर्ष मोटे डिविडेंड के साथ सहज हो सकता है।