नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NSE) ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. लेटेस्ट इंडस्ट्री डेटा के अनुसार, NSE 1,00,000 से अधिक शेयरधारकों के साथ भारत की सबसे बड़ी नॉन लिस्टेड कंपनी बन गई है. इस उपलब्धि के साथ NSE देश की चुनिंदा कंपनियों में एक बन गई है, जिनमें निवेशकों की संख्या इतनी अधिक है. इसी के साथ NSE की यह उपलब्धि और भी महत्वपूर्ण बन जाती है क्योंकि भारत में बहुत कम लिस्टेड कंपनियां शेयरहोल्डर बेस को लेकर इस उपलब्धि को हासिल कर पाई हैं. शेयरधारकों की संख्या में प्रभावशाली वृद्धि एक्सचेंज में निवेशकों की मजबूत रुचि को दर्शाती है, जो देश के फाइनेंशियल इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
NSE ने भारत के प्रतिभूति बाजार में अपनी महत्वपूर्ण स्थिति के कारण लगातार ध्यान आकर्षित किया है, जो इक्विटी, डेरिवेटिव और अन्य फाइनेंशियल प्रोडक्ट में व्यापार के लिए एक प्रमुख मंच है. इस बीच, 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष के लिए NSE ने कंसोलिडेटेड कुल आय में सालाना आधार पर 17 फीसदी की वृद्धि दर्ज की, जो 19,177 करोड़ रुपए तक पहुंच गई. इसकी फाइलिंग के अनुसार, वित्त वर्ष के लिए शुद्ध लाभ 47 फीसदी बढ़कर 12,188 करोड़ रुपए हो गया. प्रति शेयर आय भी पिछले वित्त वर्ष के 33.56 रुपए से बढ़कर 49.24 रुपए हो गई, जिसमें 4:1 रेश्यो में बोनस इक्विटी शेयर जारी करना शामिल है.
कंपनी ने अपनी फाइलिंग में कहा कि निदेशक मंडल ने 35 रुपए प्रति इक्विटी शेयर के अंतिम लाभांश की सिफारिश की है, जिसमें 11.46 रुपए का विशेष एकमुश्त लाभांश शामिल है. इसके अतिरिक्त, NSE ने सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी), स्टाम्प ड्यूटी, सेबी फीस, आयकर और जीएसटी सहित विभिन्न शुल्कों के माध्यम से वित्त वर्ष 2025 में भारतीय खजाने में 59,798 करोड़ रुपए का योगदान दिया.
इसके अलावा, एक्सचेंज ने हाल ही में स्पष्ट किया कि उसने नियामकीय बाधाओं की अटकलों के बीच अपने लंबे समय से लंबित आईपीओ के बारे में सरकार से संपर्क नहीं किया है. मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन करते हुए, NSE ने कहा कि पिछले 30 महीनों में उसके आईपीओ के संबंध में सरकार को पत्र नहीं भेजे गए हैं. इसने नियामकीय अनुपालन और मजबूत कॉर्पोरेट प्रशासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की.
