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तनाव लंबा खिंचा तो टूट सकता है बाजार

तनाव लंबा खिंचा तो टूट सकता है बाजार

 

विश्लेषकों का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ अगर युद्ध/तनाव लंबे समय तक चलता रहा तो बाजारों में गिरावट आ सकती है। पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर जवाबी हमला किया है। लेकिन उनका कहना है कि अगर इस तरह की कार्रवाई केवल चुनिंदा लक्ष्यों तक ही सीमित रही और तनाव नहीं बढ़ता है तो समय के साथ बाजारों में सुधार देखने को मिल सकता है।

क्वेस्ट इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के मुख्य निवेश अधिकारी अनिरुद्ध सरकार ने कहा कि अतीत बताता है कि भारतीय बाजारों ने पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान और उसके बाद भी अधिकांश समय अच्छा प्रदर्शन किया है। इस बार भी स्थिति अलग नहीं है।

सरकार ने कहा, ‘हालांकि पिछले दो सप्ताह से भू-राजनीतिक चिंताएं बनी हुई हैं। फिर भी विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का हमारे बाजारों में निवेश बरकरार रहा जिनसे इन अल्पावधि सीमा संघर्षों के प्रति हमारी आर्थिक मजबूती का पता चलता है। ऐसे किसी भी सैन्य अभियान का हमारी अर्थव्यवस्था या बाजार पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा, जो चुनिंदा लक्ष्यों तक सीमित होगा और कुछ दिनों या हफ्तों में समाप्त हो जाएगा।

लेकिन अगर टकराव लंबे समय तक चला (जिसकी आशंका फिलहाल नहीं दिख रही) तो इसका निवेशक धारणा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि वे जोखिम से बचना पसंद करेंगे।’

22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने 6 और 7 मई की मध्य रात पाकिस्तान और पाकिस्तानी कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में आतंकवादी ठिकानों का निशाना बनाया। पहलगाम के आतंकी हमले में 26 से ज्यादा नागरिक मारे गए थे। ऐतिहासिक रूप से, भारतीय शेयर बाजार आमतौर पर अल्पावधि में भू-राजनीतिक तनावों के प्रति तीव्र प्रतिक्रिया करते रहे हैं।

लेकिन अनिश्चितताएं कम होते ही तेजी से उबर जाते हैं। उदाहरण के लिए, भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 के मध्य में करगिल संघर्ष के दौरान बाजारों में बड़ी गिरावट आई थी। हालांकि, जब यह स्पष्ट हो गया कि लड़ाई लंबी नहीं चलेगी तो बाजारों ने मजबूती से वापसी की। स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा का भी मानना है कि अगर ऑपरेशन सिंदूर लक्षित हमलों के साथ एक दायरे/क्षेत्र के भीतर ही सीमित रहता है और जल्द समाप्त हो जाता है तो बाजार में अच्छी रिकवरी देखने को मिल सकती है।

उन्होंने कहा, ‘अगर मौजूदा संघर्ष बढ़ता है तो अनिश्चितता बाजार को डुबो देगी। फिलहाल तो यह इंतजार करो और देखो की रणनीति होगी। बालाकोट के बाद भी हमने बाजारों में तेजी देखी।’ अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक और निदेशक यू आर भट का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर के बारे में अभी तक उपलब्ध जानकारी को बाजार ने पचा लिया है। उनका मानना है कि बाजारों की स्थिरता के लिए इस बारे में ज्यादा जानकारी की जरूरत है कि पाकिस्तान इन घटनाक्रम पर किस तरह प्रतिक्रिया करेगा।

इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक और शोध प्रमुख जी चोकालिंगम ने कहा कि बाजार सेगमेंटों के भीतर स्मॉल और मिडकैप का प्रदर्शन लार्जकैप की तुलना में कमजोर रह सकता है क्योंकि भूराजनीतिक घटनाक्रम की वजह से खुदरा निवेशकों की भागीदारी कमजोर पड़ सकती है। चोकालिंगम का कहना है, ‘जब तक सीमा पर तनाव कम नहीं हो जाता, तब तक हम लार्जकैप, खासकर सेंसेक्स और निफ्टी शेयरों की ओर कुछ झुकाव की सलाह देंगे। लेकिन अगर पाकिस्तान के साथ कोई टकराव या युद्ध हुआ तो लार्ज-कैप सहित पूरे बाजार में खासी गिरावट देखने को मिल सकती है।’

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