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MRF का चौथी-तिमाही में मुनाफा 29% बढ़कर ₹512 करोड़: रेवेन्यू 11% बढ़ा, ₹229 डिविडेंड देगी कंपनी; टॉय-बैलून बनाने से हुई थी शुरुआत

MRF का चौथी-तिमाही में मुनाफा 29% बढ़कर ₹512 करोड़:  रेवेन्यू 11% बढ़ा, ₹229 डिविडेंड देगी कंपनी; टॉय-बैलून बनाने से हुई थी शुरुआत

Last Updated on May 7, 2025 16:24, PM by

 

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  • MRF Q4 Result: MRF Net Profit Rises 29% To ₹512 Crore, RS 229 Dividend Declared

मुंबई3 मिनट पहले

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MRF भारत में टायर बनाने वाली सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी है।

भारत में टायर बनाने वाली कंपनी MRF यानी मद्रास रबर फैक्ट्री को वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में 512 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है। सालाना आधार पर इसमें 29% की बढ़ोतरी हुई है। एक साल पहले की समान तिमाही में यह 396 करोड़ रुपए था।

 

कंपनी के संचालन यानी ऑपरेशन से कॉन्सोलिडेटेड रेवेन्यू की बात करें तो जनवरी-मार्च तिमाही में यह 7,075 करोड़ रुपए रहा है। सालाना आधार पर इसमें 11.4% की बढ़ोतरी हुई है। एक साल पहले की समान तिमाही में कंपनी ने 6,349 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया था। वस्तुओं और सेवाओं को बेचने से मिली राशि को रेवेन्यू या राजस्व कहा जाता है।

तिमाही नतीजों में निवेशकों के लिए क्या?

चौथी तिमाही में नतीजों के साथ MRF ने अपने हर शेयरहोल्डर्स को प्रति शेयर 229 रुपए का अब तक का रिकॉर्ड फाइनल डिविडेंड यानी लाभांश देने का ऐलान किया है। कंपनियां अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा अपने शेयरहोल्डर्स को भी देती हैं, जिसे लाभांश कहा जाता है।

क्या कंपनी के नतीजे उम्मीद से अच्छे हैं?

वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में MRF का मुनाफा मार्केट विश्लेषकों की उम्मीद से बेहतर रहा है, यानी कंपनी ने इस बार बेहतर काम किया है।

बीते एक महीने में 27% चढ़ा MRF का शेयर

नतीजों के बाद MRF का शेयर आज करीब 4% की तेजी के साथ 1,40,240 रुपए के स्तर पर कारोबार कर रहा है। कंपनी का शेयर पिछले एक महीने में 27% और एक साल में 13% चढ़ा है। जबकि 6 महीने में 16% चढ़ा है। कंपनी का मार्केट कैप 59.48 हजार करोड़ रुपए है।

MRF का शेयर 2024 में 1.5 लाख का हो गया था

MRF के शेयर्स ने जनवरी में इतिहास रच दिया था। MRF के स्टॉक ने 17 जनवरी को कारोबारी सत्र में 1.5 लाख रुपए का रिकॉर्ड आंकड़ा पार कर लिया था। इसके साथ ही ऐसा करने वाली MRF भारत की पहली कंपनी बन गई थी। स्टॉक ने ट्रेडिंग सेशन के दौरान 1,50,254.16 रुपए का ऑल टाइम हाई और 52 वीक हाई भी बनाया था।

2016 में 50,000 रुपए का था MRF का शेयर MRF का शेयर साल 2000 में 1000 रुपए का था। वहीं 2012 में यह 10,000 रुपए के स्तर पर पहुंचा। इसके बाद 2014 में इस स्टॉक (शेयर) ने 25,000 रुपए का आंकड़ा छुआ था। फिर ये 2016 में 50,000 रुपए पर पहुंचा। साल 2018 में 75,000 और जून 2022 को MRF के शेयर ने 1 लाख का स्तर पार किया था।

MRF का स्टॉक आखिर इतना महंगा क्यों है?

इसके पीछे की वजह है कंपनी के शेयर्स का कभी स्प्लिट ना करना। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1975 के बाद से ही MRF ने अभी तक अपने शेयर्स को कभी स्प्लिट नहीं किया है। वहीं, साल 1970 में 1:2 और 1975 में 3:10 के रेश्यो में MRF ने बोनस शेयर इश्यू किए थे।

MRF दुनिया के 75 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट करती है

भारत में टायर इंडस्ट्री का मार्केट करीब 60,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का है। जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड और सिएट टायर्स MRF के कॉम्पिटिटर हैं। MRF के भारत में 2,500 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर्स हैं। इतना ही नहीं, ये कंपनी दुनिया के 75 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट भी करती है।

MRF की टॉय-बैलून बनाने से हुई थी शुरुआत

चेन्नई बेस्ड MRF कंपनी का पूरा नाम मद्रास रबर फैक्ट्री है। इस कंपनी की शुरुआत 1946 में टॉय बैलून बनाने से हुई थी। 1960 के बाद से कंपनी ने टायर बनाना शुरू कर दिया था। अब यह कंपनी भारत में टायर की सबसे बड़ी मैन्युफैक्चरर है।

  • के. एम मैमन मापिल्लई MRF के फाउंडर हैं। वे पहले गुब्बारा बेचते थे। केरल में एक ईसाई परिवार में जन्मे मापिल्लई के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। आजादी की लड़ाई के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
  • पिता के जेल जाने के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी मापिल्लई के कंधों पर आ गई, उनके 8 भाई-बहन थे। परिवार चलाने के लिए उन्होंने सड़कों पर गुब्बारे बेचने का काम शुरू किया। 6 साल तक गुब्बारे बेचने के बाद 1946 में उन्होंने रबर का बिजनेस करने का फैसला किया।
  • मापिल्लई ने इसके बाद बच्चों के लिए खिलौने बनाने का काम शुरू किया। साल 1956 आते-आते उनकी कंपनी रबर के कारोबार की बड़ी कंपनी बन चुकी थी। धीरे-धीरे उनका झुकाव टायर इंडस्ट्री की ओर बढ़ा।
  • साल 1960 में उन्होंने रबर और टायरों की एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई। बाद में कारोबार बढ़ाने के लिए उन्होंने अमेरिका की मैन्सफील्ड टायर एंड रबर कंपनी के साथ समझौता किया।
  • साल 1979 तक कंपनी का कारोबार देश-विदेश में फैल चुका था। इसके बाद अमेरिकी कंपनी मैन्सफील्ड ने MRF में अपनी हिस्सेदारी बेच दी और कंपनी का नाम MRF लिमिटेड कर दिया गया।
  • साल 2003 में 80 साल की उम्र में मापिल्लई का निधन हो गया। मापिल्लई के निधन के बाद उनके बेटों ने बिजनेस संभाला और जल्द ही उनकी कंपनी नंबर-1 बन गई। टायर बनाने वाली कंपनी ने स्पोर्ट्स में भी काफी रुचि दिखाई।
  • MRF रेसिंग फॉर्मूला 1, फॉर्मूला कार, MRF मोटोक्रॉस जैसे सेक्टर में कंपनी नंबर-1 बनी। देश-विदेश में बिजनेस करने वाली इस कंपनी की ज्यादातर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट केरल, पुडुचेरी, गोवा और तमिलनाडु में है।
  • MRF कंपनी टायर, ट्रेड्स, ट्यूब्स, कन्वेयर बेल्ट्स, पेंट्स, खिलौने के अलावा स्पोर्ट्स गुड्स बनाती है। साल 2007 में कंपनी ने 1 अरब डॉलर के टर्नओवर को पार कर लिया था।

 

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