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इस हफ्ते रिलायंस की मार्केट वैल्यू ₹1.65 लाख करोड़ बढ़ी: शेयरों की खरीदारी बढ़ने से टॉप-10 कंपनियों में 7 का मार्केट कैप ₹2.31 लाख करोड़ बढ़ा

इस हफ्ते रिलायंस की मार्केट वैल्यू ₹1.65 लाख करोड़ बढ़ी:  शेयरों की खरीदारी बढ़ने से टॉप-10 कंपनियों में 7 का मार्केट कैप ₹2.31 लाख करोड़ बढ़ा

Last Updated on May 3, 2025 21:15, PM by Pawan

 

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में ₹2.69 लाख करोड़ की कमाई की है। वहीं 19,407 करोड़ रुपए का मुनाफा दर्ज किया है।

देश की सबसे बड़ी प्राइवेट सेक्टर कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की मार्केट वैल्यू इस हफ्ते के कारोबार के बाद 1.65 लाख करोड़ रुपए बढ़ी है। अब कंपनी का मार्केट कैप 19.24 करोड़ रुपए हो गई है।

 

रिलायंस के अलावा, टेलिकॉम कंपनी भारती एयरटेल की वैल्यू 20,756 करोड़ रुपए बढ़कर 10.56 लाख करोड़ रुपए हो गई है। वहीं, ICICI बैंक ₹19,382 करोड़, HDFC की 11,515 करोड़ और इंफोसिस की 10,902 करोड़ रुपए बढ़ी है।

बजाज फाइनेंस, HUL और TCS की वैल्यू गिरी

वहीं, बजाज फाइनेंस की वैल्यू इस दौरान 15,471 करोड़ रुपए घटकर ₹5.51लाख करोड़, हिंदुस्तान यूनिलीवर की ₹1,985 करोड़ घटकर ₹5.46 लाख करोड़ और टाटा कंसल्टेंसी कंपनी यानी TCS की वैल्यू ₹1,284 करोड़ घटकर ₹12.46 लाख करोड़ पर आ गई है।

इस हफ्ते 1200 अंक से ज्यादा चढ़ा शेयर बाजार

हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार, 2 मई को शेयर बाजार में तेजी रही। सेंसेक्स 260 अंक चढ़कर 80,502 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 12 अंक की तेजी रही, ये 24,347 के स्तर पर बंद हुआ।

हफ्तेभर के कारोबार में सेंसेक्स 1290 अंक चढ़ा है। पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी 25 अप्रैल को यह 79,212 के स्तर पर था, जो 2 मई को 80,502 के स्तर पर बंद हुआ।

सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 17 चढ़कर बंद हुए। अडाणी पोर्ट्स का शेयर 4.11%, बजाज फाइनेंस का 2.70%, SBI का 1.51% ऊपर रहे। इंडसइंड बैंक, टाटा मोटर्स, ITC, टाटा स्टील और मारुति सुजुकी 1% ऊपर बंद हुए। नेस्ले इंडिया, NTPC और कोटक बैंक के शेयर में 1% से ज्यादा की गिरावट रही।

निफ्टी के 50 शेयरों में से 32 में गिरावट रही। NSE के सेक्टोरल इंडाइसेज में मेटल, रियल्टी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में सबसे ज्यादा गिरावट रही। जबकि, IT, मीडिया और बैंकिंग शेयर में मामूली तेजी देखने को मिली।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?

मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, उनकी वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को उनकी कीमत से गुणा करके किया जाता है।

इसे एक उदाहरण से समझें…

मान लीजिए… कंपनी ‘A’ के 1 करोड़ शेयर मार्केट में लोगों ने खरीद रखे हैं। अगर एक शेयर की कीमत 20 रुपए है, तो कंपनी की मार्केट वैल्यू 1 करोड़ x 20 यानी 20 करोड़ रुपए होगी।

मार्केट कैप कैसे काम आता है?

  • मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
  • किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
  • कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?

मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।

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