Last Updated on May 2, 2025 7:44, AM by
पूंजी बाजार नियामक SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने IPO से पहले शेयरों की सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए एक नया प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव के तहत, डायरेक्टर्स, सीनियर मैनेजमेंट, कर्मचारी और अन्य अहम शेयरधारकों को अपने शेयर डीमैट फॉर्म में रखने होंगे, तभी कोई कंपनी IPO के लिए दस्तावेज फाइल कर सकेगी.
किसे करना होगा डीमैट?
SEBI के प्रस्ताव के मुताबिक, यह नियम निदेशक (Directors), प्रमुख प्रबंधकीय कार्मिक (KMP), वरिष्ठ प्रबंधन, मौजूदा कर्मचारी, बिक्री शेयरधारक (Selling shareholders), क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs),प्रमोटर समूह के सदस्य, विशेष अधिकार वाले घरेलू शेयरधारक, स्टॉकब्रोकर, NBFC (गैर-सिस्टमेटिक), और अन्य विनियमित संस्थाएं को मानना होगा, अगर उनके पास ऐसे शेयर हों.
SEBI क्यों लाया है ये प्रस्ताव?
SEBI का कहना है कि अभी तक केवल प्रमोटर्स के लिए डिमैट अनिवार्य था, लेकिन बाकी अहम शेयरधारक अब भी फिजिकल शेयर रखते हैं. इससे IPO प्रक्रिया में कई तरह की गड़बड़ियां और देरी हो सकती हैं, जैसे- शेयर सर्टिफिकेट का चोरी या गुम हो जाना, ट्रांसफर में समय लगना, फोर्जरी और धोखाधड़ी की आशंका. डिमैट फॉर्म में शेयर होने से यह सारी समस्याएं खत्म हो सकती हैं और IPO प्रक्रिया अधिक साफ-सुथरी और सुरक्षित बनेगी. SEBI ने इस प्रस्ताव पर 20 मई तक जनता से सुझाव और प्रतिक्रिया मांगी है. इसके बाद फाइनल फैसला लिया जाएगा.
ऑनलाइन ओपिनियन ट्रेडिंग पर भी आई चेतावनी
इसके साथ ही SEBI ने ऑनलाइन ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स को लेकर कड़ी चेतावनी जारी की है. ये वे प्लेटफॉर्म हैं जहां लोग “हाँ या ना” जैसे सवालों पर ट्रेड करते हैं — जैसे कि कोई टीम जीतेगी या कोई राजनीतिक फैसला होगा या नहीं. SEBI ने स्पष्ट किया कि ये प्लेटफॉर्म SEBI के रेगुलेशन के दायरे में नहीं आते. इनमें निवेशकों की कोई सुरक्षा नहीं होती, ऐसे में सलाह है कि ऐसे ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स से दूरी बनाए रखें.