Last Updated on April 26, 2025 10:44, AM by
इनकम टैक्स की नई और पुरानी रीजीम को लेकर कई टैक्सपेयर्स कनफ्यूज्ड हैं। सरकार ने इनकम टैक्स की नई रीजीम को डिफॉल्ट रीजीम बना दी है। इसका मतलब है कि नौकरी करने वाला कोई व्यक्ति अगर अपने एंप्लॉयर के फाइनेंस डिपार्टमेंट को यह नहीं बताता है कि वह ओल्ड रीजीम का इस्तेमाल करना चाहता है तो यह मान लिया जाएगा कि नई रीजीम उसकी चॉइस है। नई रीजीम और पुरानी रीजीम के बीच सबसे बड़ा फर्क डिडक्शन और टैक्स स्लैब के मामले में है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
नई रीजीम किसके लिए फायदेमंद है?
नई रीजीम में टैक्स के रेट्स कम हैं, लेकिन ज्यादातर डिडक्शन का फायदा नहीं मिलता है। यह रीजीम उन लोगों के लिए सही है जो टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट नहीं करते हैं। अगर आप इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी, सेक्शन 80डी और सेक्शन 24बी के तहत मिलने वाले डिडक्शन का पूरा फायदा नहीं उठाते हैं तो फिर इनकम टैक्स की नई रीजीम आपके लिए फायदेमंद है। इसमें टैक्स का कैलकुलेशन भी आसान है। इसमें 4 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगता है।
नई रीजीम में टैक्स के रेट्स क्या हैं?
नई रीजीम में 4 से 8 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स 5 फीसदी है। 8 से 12 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स 10 फीसदी है। 12 से 16 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स 15 फीसदी है। 16 से 20 लाख रुपये की इनकम पर टैक्स 20 फीसदी है। 20 से 24 लाख की इनकम पर टैक्स 25 फीसदी है। 24 लाख रुपये से ज्यादा इनकम पर टैक्स 30 फीसदी है।
नई रीजीम में कितने तरह के डिडक्शन मिलते हैं?
नई रीजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन 75,000 रुपये है। दूसरा अगर एंप्लॉयर एंप्लॉयी के एनपीएस अकाउंट में कंट्रिब्यूशन करता है तो उस पर डिडक्शन मिलता है। यह ध्यान में रखना होगा कि यह दोनों डिडक्शन नौकरी करने वाले लोगों को उपलब्ध हैं। अगर कोई व्यक्ति नौकरी नहीं करता है तो उसे इन दोनों डिडक्शन का लाभ नहीं मिलेगा। इससे यह साफ हो जाता है कि नौकरी करने वाले लोगों के लिए नई रीजीम फायदेमंद है।
क्या नई रीजीम में 12 लाख तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगेगा?
1 फरवरी, 2025 को पेश बजट में सरकार ने सालाना 12 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स-फ्री कर दी है। इसका फायदा सिर्फ नई रीजीम का इस्तेमाल करने वाले टैक्सपेयर्स को मिलेगा। अगर कोई व्यक्ति नौकरी करता है तो इसका मतलब है कि 12.75 लाख रुपये तक की इनकम पर उसे कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि चूंकि सरकार ने पिछले कई सालों में इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम के टैक्स स्लैब और डिडक्शन में कोई बदलाव नहीं किया है, जिससे नई रीजीम अब ज्यादा अट्रैक्टिव हो गई है।
पुरानी रीजीम का इस्तेमाल सिर्फ डिडक्शन के लिए करते हैं टैक्सपेयर्स?
ओल्ड रीजीम का इस्तेमाल ज्यादातर इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स सिर्फ डिडक्शन का फायदा उठाने के लिए करते हैं। खासकर सेक्शन 8सी, सेक्शन 80डी, सेक्शन 24बी और एचआरए का फायदा उठाने में टैक्सपेयर्स की ज्यादा दिलचस्पी होती है। लेकिन, इसके लिए काफी डॉक्युमेंट्स देने पड़ते हैं। इसके अलावा व्यक्ति को सिर्फ उन इनवेस्टमेंट ऑप्शंस में निवेश करने को मजबूर होना पड़ता है, जिसमें डिडक्शन मिलता है। इससे वह ज्यादा रिटर्न वाले निवेश के मौके का लाभ नहीं उठा पाता है।