FII vs DII: विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने लगातार आठवें सत्र में भारतीय शेयर बाजार में खरीदारी जारी रखी, इस बार ₹8,250 करोड़ की शुद्ध खरीदारी के साथ। यह 27 मार्च के बाद सबसे बड़ा एक दिन का इनफ्लो रहा। इसके उलट, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने मुनाफा वसूलते हुए ₹534 करोड़ के शेयर बेचे।
विदेशी निवेशक अब फिर से बुलिश
दिनभर के आंकड़ों के मुताबिक, FII ने कुल ₹24,089 करोड़ के शेयर खरीदे और ₹15,838 करोड़ के शेयर बेचे। इसका मतलब कि उनका शुद्ध निवेश ₹8,250 करोड़ रहा। वहीं, DII की खरीद ₹13,452 करोड़ और बिक्री ₹13,986 करोड़ रही, जिससे वे ₹534 करोड़ के शुद्ध विक्रेता बने।
अगर पूरे कैलेंडर वर्ष 2025 की बात करें, तो अब तक FII ₹1.45 लाख करोड़ के शुद्ध विक्रेता रहे हैं, जबकि DII ने ₹1.97 लाख करोड़ की शुद्ध खरीदारी की है। यह ट्रेंड घरेलू निवेशकों की लगातार मौजूदगी और विदेशी निवेशकों की हालिया वापसी का संकेत है।
FII की खरीदारी का बाजार पर असर
हालांकि FII की मजबूत खरीदारी के बावजूद, 24 अप्रैल को बाजार में तेजी नहीं रह सकी। निफ्टी 50 और सेंसेक्स दोनों ने सात सत्रों की लगातार तेजी के बाद गिरावट दर्ज की। इसका प्रमुख कारण वायदा सौदों की एक्सपायरी से पहले की अस्थिरता और FMCG सेक्टर के कमजोर नतीजे रहे।
FMCG सेक्टर ने दिनभर की सबसे खराब परफॉर्मेंस दी, इंडेक्स 1% से ज्यादा टूटा। Hindustan Unilever, Nestle India और Tata Consumer Products जैसी दिग्गज कंपनियों के उम्मीद से कमजोर नतीजों ने दबाव बढ़ाया। इसके उलट Nifty Pharma Index करीब 1% चढ़ा। Natco Pharma, Divi’s Laboratories और Ajanta Pharma जैसे स्टॉक्स में 10-12% तक की तेजी दर्ज की गई।
FII की बदली रणनीति पर एक्सपर्ट की राय
HDFC Securities के रिसर्च हेड देवरश वकील के मुताबिक, “FII अब कैश मार्केट में आक्रामक खरीदार बन चुके हैं। 7 अप्रैल के बाद से ₹21,000 करोड़ की शुद्ध खरीदारी इसका सबूत है। साथ ही, वे इंडेक्स फ्यूचर्स में अपनी शॉर्ट पोजिशन धीरे-धीरे कवर कर रहे हैं। हालांकि अभी भी 67% नेट शॉर्ट पोजिशन बरकरार है, लेकिन यह बदलाव संकेत देता है कि गिरावट पर बाजार को सपोर्ट मिल सकता है।”