Last Updated on March 14, 2025 3:37, AM by Pawan
फरवरी में घरेलू म्युचुअल फंडों की सबसे ज्यादा बिकवाली में इंडसइंड बैंक के शेयर शामिल रहे। उन्होंने महीने के दौरान 1,600 करोड़ रुपये के 1.6 करोड़ शेयर बेचे। संकट में फंसे बैंक में अपनी हिस्सेदारी कम करने वाले फंड हाउस में कोटक, टाटा और पीपीएफएएस म्युचुअल फंड शामिल हैं। डेरिवेटिव में निवेश के कारण बैंक को होने वाले नुकसान की चिंता के बीच इस महीने इंडसइंड बैंक के शेयरों में अब तक 32 फीसदी की गिरावट आई है।
बैंक में घरेलू संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी दिसंबर 2023 की तिमाही के अंत के 24.53 फीसदी से बढ़कर दिसंबर 2024 की तिमाही के अंत में 39.65 फीसदी हो गई थी। देसी संस्थागत निवेशकों की लगभग 30.31 फीसदी हिस्सेदारी फंडों के पास है। इसी तरह भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और अन्य वैयक्तिक निवेशकों ने भी पिछले एक साल में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। दिलचस्प यह है कि एफपीआ) ने अपनी हिस्सेदारी में आक्रामक रूप से कटौती की है और उनकी हिस्सेदारी दिसंबर 2023 के अंत के 40.51 फीसदी से घटकर दिसंबर 2024 के अंत में 24.41 फीसदी रह गई थी।
पिछले एक साल में बैंक में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी काफी हद तक अपरिवर्तित रही है। लेकिन सीईओ सुमंत कठपालिया और डिप्टी सीईओ अरुण खुराना द्वारा हिस्सेदारी बिक्री को लेकर चिंता जताई जा रही है। मई 2023 और जून 2024 के बीच कठपालिया ने 134 करोड़ रुपये के लगभग 9,50,000 शेयर बेचे जबकि खुराना ने 82 करोड़ रुपये मूल्य के 5,50,000 शेयर बेचे, जो उनकी कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन योजना का हिस्सा थे।
इस बीच, एचडीएफसी एमएफ ने एक्सचेंजों को गुरुवार को बताया कि इंडसइंड बैंक में उसकी हिस्सेदारी 5 फीसदी के पार निकल गई है। साथ ही, मंगलवार को 27 फीसदी की गिरावट के बाद एक्सचेंजों ने इंडसइंड बैंक के शेयर को अल्पावधि के लिए अतिरिक्त निगरानी के दायरे में रख दिया है।
