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11 से 15 मार्च के बीच ये 4 कंपनियां करने जा रहीं स्टॉक स्प्लिट, 1 शेयर बंट जाएगा 10 हिस्सों में

11 से 15 मार्च के बीच ये 4 कंपनियां करने जा रहीं स्टॉक स्प्लिट, 1 शेयर बंट जाएगा 10 हिस्सों में

Last Updated on March 11, 2025 10:22, AM by Pawan

इस हफ्ते चार कंपनियां अपने शेयरों का स्टॉक स्प्लिट करने जा रही हैं, जिससे उनके शेयर अधिक किफायती हो जाएंगे। स्टॉक स्प्लिट का मुख्य उद्देश्य छोटे निवेशकों के लिए शेयरों को सस्ता बनाना और बाजार में तरलता (लिक्विडिटी) बढ़ाना है। इससे ज्यादा निवेशक इन कंपनियों के शेयर खरीदने के लिए आकर्षित होंगे।

IOL केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स ने अपने स्टॉक को ₹10 प्रति शेयर से घटाकर ₹2 प्रति शेयर करने का फैसला किया है। कंपनी ने इसके लिए 11 मार्च 2025 को रिकॉर्ड डेट तय की है। इसका मतलब है कि जो निवेशक इस तारीख तक कंपनी के शेयर होल्ड करेंगे, उन्हें स्प्लिट के अनुपात में अतिरिक्त शेयर मिलेंगे।

मेहाई टेक्नोलॉजी ने भी अपने शेयरों का स्टॉक स्प्लिट करने की घोषणा की है। इस कंपनी के शेयर ₹10 से ₹1 प्रति शेयर किए जाएंगे। इसका एक्स-डेट 13 मार्च और रिकॉर्ड डेट 14 मार्च 2025 तय की गई है। इसी तरह, शालीमार एजेंसिस भी अपने स्टॉक का विभाजन कर रही है। इसके शेयर भी ₹10 से ₹1 प्रति शेयर हो जाएंगे। इसका एक्स-डेट और रिकॉर्ड डेट भी 13 और 14 मार्च को तय किया गया है।

इसके अलावा, शंगार डेकोर अपने शेयरों को ₹5 से ₹1 प्रति शेयर करने जा रही है। इस कंपनी के स्टॉक स्प्लिट के लिए भी एक्स-डेट 13 मार्च और रिकॉर्ड डेट 14 मार्च 2025 तय की गई है।

स्टॉक स्प्लिट क्यों किया जाता है?

स्टॉक स्प्लिट का मतलब होता है कि कंपनी अपने मौजूदा शेयरों को छोटे हिस्सों में विभाजित कर देती है। इससे शेयर की कीमत घट जाती है, लेकिन कंपनी का कुल बाजार मूल्य वही बना रहता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी कंपनी ने 1:5 स्टॉक स्प्लिट किया है, तो पहले जो एक शेयर ₹100 का था, वह अब पांच हिस्सों में बंट जाएगा और प्रत्येक शेयर की कीमत ₹20 होगी। हालांकि, निवेशकों के कुल शेयरों का मूल्य ₹100 ही रहेगा।

स्टॉक स्प्लिट का निवेशकों को क्या फायदा होता है?

स्टॉक स्प्लिट से छोटे निवेशकों के लिए शेयरों को खरीदना आसान हो जाता है। जब किसी कंपनी के शेयर बहुत महंगे हो जाते हैं, तो खुदरा निवेशकों के लिए उन्हें खरीदना मुश्किल हो जाता है। इसलिए कंपनियां स्टॉक स्प्लिट करके उन्हें सस्ता बनाती हैं, जिससे ज्यादा लोग उनमें निवेश कर सकें। इसके अलावा, शेयर बाजार में लिक्विडिटी बढ़ती है और ट्रेडिंग एक्टिविटी में इजाफा होता है। इससे कंपनी के शेयरों की मांग बढ़ सकती है और उनके बाजार में प्रदर्शन में सुधार हो सकता है।

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