Last Updated on February 25, 2025 3:35, AM by Pawan
IT Stocks: इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) सेक्टर की कंपनियों में आज 24 फरवरी को भारी गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी इकोनॉमी में सुस्ती की चिंताओं के चलते इनमें जमकर बिकवाली देखने को मिली। भारत की अधिकतर आईटी कंपनियां अपने सर्विस एक्सपोर्ट्स के लिए अमेरिका पर निर्भर है। ऐसे में वहां की इकोनॉमी लडखड़ाने का असर इनपर सीधा देखने को मिलता है। सुबह 10.45 बजे के करीब, निफ्टी आईटी इंडेक्स 2.5 फीसदी तक लुढ़क गया था। यह सभी सेक्टोरल इंडेक्स के बीच सबसे बड़ी गिरावट थी। निफ्टी आईटी इंडेक्स में शामिल सभी 10 इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। सबसे अधिक गिरावट L&T टेक्नोलॉजी सर्विसेज और परसिस्टेंट सिस्टम्स में देखने को मिली, जो करीब 5.5 फीसदी तक टूट गए।
शुक्रवार 21 फरवरी को जारी आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका का कंज्यूमर सेंटीमेंट फरवरी में 15-महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रस्तावित टैरिफ पॉलिसी के चलते वहां महंगाई दर के लंबे समय तक ऊंचे बनी रहने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। इस बीच अमेरिका में बिजनेस गतिविधियों में गिरावट देखी गई है। इन सब फैक्टर्स ने निवेशकों की चिंताओं को बढ़ा दिया है।
अमेरिका का लॉन्ग-टर्म इंफ्लेशन टारगेट अब बढ़कर 3.5 फीसदी हो गया है, जो पहले 3.5 फीसदी था। इसके चलते एक्सपोर्ट्स आधारित आईटी शेयरों में खासतौर से गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी इकोनॉमी में सुस्ती के चलते निवेशक अब भारतीय आईटी कंपनियों की ग्रोथ संभावनाओं को लेकर आशंकित हो गए हैं।
इसके अलावा सबसे बड़ी चिंता यह है कि अमेरिकी इकोनॉमी के अब स्टैगफ्लेशन (stagflation) में जाने की आशंका जताई जाने लगी है। अगर ऐसा होता है तो इससे ग्लोबल ग्रोथ पर दबाव पर पड़ सकता है, जो पहले से ही धीमी बनी है। स्टैगफ्लेशन एक ऐसी स्थिति जिसमें आर्थिक ग्रोथ धीमी होती है, लेकिन महंगाई बढ़ती जाती है।
दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी में स्टैगफ्लेशन आने से विदेशी निवेशकों की भारत समेत दूसरे इमर्जिंग मार्केट्स में दिलचस्पी और घट सकती है। वे ऐसी स्थिति में गोल्ड और यूएस ट्रेजरी जैसे निवेश के सुरक्षित विकल्पों की ओर बढ़ सकते हैं। विदेशी निवेशक अब तक शेयर बाजार से 36,977 करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके हैं। हालांकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने इस दौरान 42,601 करोड़ रुपये की खरीदारी की है।
