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भारतीय बाजार से क्यों गायब हो रहा है पैसा? जनवरी में तो कोहराम ही मच गया

भारतीय बाजार से क्यों गायब हो रहा है पैसा? जनवरी में तो कोहराम ही मच गया

Last Updated on January 27, 2025 11:16, AM by Pawan

नई दिल्ली: शेयर बाजार में इस समय कोहराम मचा हुआ है। सेंसेक्स में पिछले कई महीनों से गिरावट बनी हुई है। स्थिति यह है कि पिछले एक साल में सेंसेक्स का रिटर्न मात्र 5 फीसदी ही रहा है। वहीं मार्केट में गिरावट इस साल भी पीछा नहीं छोड़ रही है। जनवरी में अभी तक सेंसेक्स 3.50 फीसदी से ज्यादा गिर गया है। सोमवार को भी मार्केट खुलते ही इसमें बड़ी गिरावट आई। मार्केट में गिरावट के कारण पैसा गायब हो रहा है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) बड़ी मात्रा में अपना पैसा निकाल रहे हैं।एफपीआई की ओर से मार्केट से पैसा निकालने का सबसे बड़ा कारण रुपये में गिरावट है। वहीं दूसरी ओर दिसंबर तिमाही में कंपनियों की रिजल्ट बहुत अच्छा नहीं रहा है। साथ ही अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में मजबूती आई है। इन सबके चलते विदेशी निवेशकों ने इस साल जनवरी में ही बड़ी मात्रा में पैसा निकाल लिया है। एफपीआई ने जनवरी में अब तक 64,156 करोड़ रुपये (7.44 बिलियन डॉलर) निकाले हैं

निवेश के बाद बदली धारणा!

डिपॉजिटरी के डेटा के अनुसार, दिसंबर में 15,446 करोड़ रुपये के निवेश के बाद यह इसमें गिरावट आई और पैसे की निकासी हुई। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर (मैनेजर रिसर्च) हिमांशु श्रीवास्तव बताते हैं कि भारतीय रुपये में लगातार गिरावट विदेशी निवेशकों पर काफी दबाव डाल रही है। इससे वे भारतीय इक्विटी बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं।

ट्रंप की नीतियां भी जिम्मेदार

जानकार भारतीय मार्केट में गिरावट का कारण अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को भी मान रहे हैं। हिमांशु के अनुसार हाल ही में हुए सुधारों, कमजोर आय सीजन की उम्मीद और व्यापक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद भारतीय शेयर मार्केट की हाई वैल्यूएशन निवेशकों को सतर्क कर रही है। उन्होंने कहा कि ट्रंप की नीतियों के कारण भी निवेशक जोखिम भरे निवेश से दूर रहते हुए सावधानी से कदम उठा रहे हैं।

कब-कब निकाला पैसा?

एफपीआई ने इस महीने (24 जनवरी तक) भारतीय इक्विटी में 64,156 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। एफपीआई ने इस महीने 2 जनवरी को छोड़कर सभी दिन शेयरों की बिक्री की। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी. के. विजयकुमार ने कहा कि डॉलर के मजबूत होने और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में तेजी के कारण एफपीआई ने शेयर बेचे। जब तक डॉलर इंडेक्स 108 से ऊपर बना रहता है और 10 साल के अमेरिकी बॉन्ड यील्ड 4.5% से ऊपर रहते हैं, तब तक बिक्री जारी रह सकती है।

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