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फ्लेक्सी-कैप फंड्स ने 1 साल में दिया 42% का रिटर्न: इसमें निवेश करना थोड़ा रिस्की, यहां जानें इसमें पैसा लगाना कितना सही

फ्लेक्सी-कैप फंड्स ने 1 साल में दिया 42% का रिटर्न:  इसमें निवेश करना थोड़ा रिस्की, यहां जानें इसमें पैसा लगाना कितना सही

Last Updated on December 17, 2024 11:26, AM by Pawan

 

कई लोग फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा रिटर्न के लिए शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं। लेकिन अगर आपको शेयर बाजार के बारे में कम जानकारी है तो आप म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। आप म्यूचुअल फंड के फ्लेक्सी-कैप फंड में निवेश करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इस कैटेगरी ने बीते 1 साल में 42% तक का रिटर्न दिया है। हम आपको आज फ्लेक्सी कैप फंड्स के बारे में बता रहे हैं।

 

सबसे पहले जानें फ्लेक्सी-कैप फंड क्या है? फ्लैक्सी कैप एक इक्विटी म्यूचुअल फंड होता है जिसके पास निवेश करने के लिए लचीलापन होता है। इसमें फंड मैनेजर अपने हिसाब से निवेशक का पैसा स्मॉल, मिड या लार्ज कैप में निवेश करते हैं। इसमें फंड मैनेजर इस बात के लिए बाध्य नहीं रहता है कि उसे किस फंड कैटेगरी में कितना निवेश करना है।

इस स्कीम में किसे करना चाहिए निवेश? यदि आप इक्विटी फंड्स में इन्वेस्ट करना चाहते हैं लेकिन ज्यादा-रिस्की एक्सपोजर लेना नहीं चाहते, तो आप टॉप-रेटेड फ्लेक्सी-कैप फंड्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं। मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से ये फंड्स अच्छी तरह डाइवर्सिफाइड भी होते हैं। ये फंड्स, मार्केट के स्थिर रहने पर, स्मॉल और मिड-कैप फंड्स की तुलना में कम रिटर्न दे सकते हैं, लेकिन अस्थिर मार्केट कंडीशन में ये फंड्स कम रिस्की होते हैं। इसलिए, यदि आप एक ऐसा फंड चाहते हैं जिसमें कम रिस्क हो तो आप फ्लेक्सी कैप फंड में निवेश कर सकते हैं।

इनमें लम्बे समय के लिए निवेश करना सही पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट और ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के संस्थापक व CEO पंकज मठपाल कहते हैं कि इन स्कीमों में कम से कम 5 साल के टाइम पीरियड को ध्यान में रख कर निवेश करना चाहिए। हो सकता है कम अवधि में कैटेगिरी का प्रदर्शन अच्छा न हो, लेकिन लम्बी अवधि में ये आपको बेहतर रिटर्न दे सकते हैं।

SIP के जरिए निवेश करना रहेगा बेहतर एक्सपर्ट्स के अनुसार म्यूचुअल फंड में एक साथ पैसा लगाने की बजाए सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP द्वारा निवेश करना चाहिए। SIP के जरिए आप हर महीने एक निश्चित अमाउंट इसमें लगाते हैं। इससे रिस्क और कम हो जाता है, क्योंकि इस पर बाजार के उतार चढ़ाव का ज्यादा असर नहीं पड़ता।

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