देश के प्रमुख फंड एसबीआई म्यूचुअल फंड (SBI Mutual Fund) ने क्वांट फंड लॉन्च किया है। इसके तहत शेयरों के चुनाव के लिए मल्टी-फैक्टर आधारित निवेश का तरीका अपनाया जाता है। यह स्कीम निवेश से जुड़े फैसलों के लिए नियम और डेटा आधारित विश्लेषण का सहारा लेगी। एसबीआई क्वांट फंड (SBI Quant Fund) सब्सक्रिप्शन के लिए 4 दिसंबर को खुला।
फंड का क्या है ऑफर?
क्वांट फंड्स या क्वांटिटिव म्यूचुअल फंड्स निवेश से जुड़े फैसलों के लिए क्वांटिटिव एनालिसिस का इस्तेमाल करते हैं। एसबीआई क्वांट फंड इन हाउस मल्टी-फैक्टर मॉडल का इस्तेमाल करता है, जिसमें मोमेंटम, वैल्यू, क्वॉलिटी और ग्रोथ जैसे फैक्टरों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न मार्केट साइकल में परफॉर्मेंस को ऑप्टिमाइज किया जाता है।
एसबीआई फंड मैनेजमेंट के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर और ज्वाइंट सीईओ डीपी सिंह ने बताया, ‘ तमाम अहम इक्विटी फैक्टर्स को एक साथ जोड़कर और हर फैक्टर की रिस्क/रिटर्न प्रोफाइल को ध्यान में रखते हुए फंड का इरादा अधिकतम रिस्क एडजस्टेड रिटर्न देना है।’ जहां तक शेयरों के चुनाव का सवाल है, तो फंड का निवेश मार्केट कैपिटल के लिहाज से टॉप 200 कंपनियों में से होता है। फ्रेमवर्क के आधार पर 200 में से सभी कंपनियों की रैकिंग मोमेंटम, क्वॉलिटी, वैल्यू और ग्रोथ फैक्टर्स के आधार पर तय होती है। मोमेंटम मेट्रिक तहत फंड स्टॉक के नियर टर्म और मीडियम टर्म की परफॉर्मेंस को देखेगा।
क्या होगी इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी?
एसबीआई क्वांट की इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी डायनामिक होगी और स्कीम के तहत सभी 4 फैक्टर्स की परफॉर्मेंस पर गौर किया जाएगा। इसके बाद उस फैक्टर के आधार पर वेट को बढ़ाया या घटाया जाएगा, जिसकी परफॉर्मेंस बेहतर होगी। फ्रेमवर्क में किसी खास फैक्टर के आउटपरफॉर्मेंस या अंडरपरफॉर्मेंस के लिए एक्सट्रीम लिमिट भी तय किया गया है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
एसबीआई क्वांट फंड को चार फैक्टर्स के आधार पर तय किया गया है और यह एक्टिव म्यूचुअल फंड और पैसिव इंडेक्स ट्रैकिंग स्पेस के बीच के गैप को खत्म करने की कोशिश करता है। यह ऐसे निवेशकों के लिए उपयुक्त है, जो एक्टिव फंड में मौजूद जोखिम से बचना चाहते हैं। साथ ही, पूरी तरह से पैसिव इंडेक्स ट्रैकिंग सेगमेंट में भी माइग्रेट नहीं करना चाहते। भारत में एक्टिव क्वांट फंड कैटेगरी में 10 मौजूदा स्कीम हैं। शेयरों के चुनाव और इन्हें हटाने के सबके मॉडल अलग-अलग हैं।