Last Updated on November 27, 2024 11:40, AM by Pawan
महाराष्ट्र चुनावों के नतीजों से पहले स्टॉक मार्केट में आई गिरावट की कई वजहें थीं। इनमें एक बड़ी वजह विदेशी निवेशकों की बिकवाली थी। एफआईआई ने दो महीने से कम समय में करीब 14 अरब डॉलर की बिकवाली की है। शायद ही पहले कभी उन्होंने इतने कम समय में इतनी बिकवाली की है। उसके बाद सितंबर तिमाही में कंपनियों की खराब अर्निंग्स ग्रोथ ने मार्केट का सेंटिमेंट खराब कर दिया। रुपये के मुकाबले डॉलर में मजबूती का असर भी स्टॉक मार्केट पर पड़ा।
इंडियन मार्केट्स की वैल्यूएशन काफी बढ़ गई थी
इस गिरावट से पहले मार्केट और स्टॉक्स की वैल्यूएशन ज्यादा थी। प्राइस टू अर्निंग मल्टीपल, प्राइस टू बुक मल्टीपल और मार्केट कैपिटलाइजेशन और जीडीपी के रेशियो सहित करीब हर मानक पर इंडियन मार्केट्स की वैल्यूएशन ज्यादा थी। जब वैल्यूएशन ज्यादा होती है तो मार्केट में गिरावट की संभावना बढ़ जाती है। तब कोई छोटी सी वजह मार्केट में बड़ी गिरावट का सबब बन जाती है। इस बार यह काम FIIs की बिकवाली ने किया। अगर ज्यादा वैल्यूएशन वाले मार्केट में करेक्शन आता है तो उसे अच्छा माना जाता है।
इंडिया में काम करने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा
यह ध्यान में रखने की जरूरत है कि इंडिया दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी है। न सिर्फ इंडिया की जीडीपी की ग्रोथ सबसे ज्यादा है बल्कि इसकी प्रति व्यक्ति जीडीपी ग्रोथ भी दुनिया में सबसे ज्यादा है। दूसरा, इंडिया ऐसा देश है, जिसमें काम करने वाले लोगों की आबादी सबसे ज्यादा है। इंडिया में कंपनियों की EPS ग्रोथ दुनिया में सबसे तेज है। कंज्यूमर स्पेंडिंग भी इंडिया के लिए फेवरेबल है। दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी इंडिया में है। इस आबादी की इनकम बढ़ रही है, जिससे खर्च करने की उसकी ताकत भी बढ़ रही है। इसका कॉर्पोरेट सेक्टर की ग्रोथ में बड़ा हाथ है।
इंडियन मार्केट में कितना है FIIs का निवेश?
विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बाजार में गिरावट शुरू हुई। लेकिन, इंडियन मार्केट के कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन में विदेशी निवेशकों की करीब 17 फीसदी हिस्सेदारी है। इसका मतलब है कि इंडियन स्टॉक मार्केट की करीब 83 फीसदी ओनरशिप इंडियन इनवेस्टर्स के पास है। इसका मतलब है कि इंडियन मार्केट विदेशी निवेशकों पर निर्भर नहीं है। मजेदार बात यह है कि रोजाना मार्केट में नए निवेशकों की संख्या बढ़ रही है। इंडिया में डीमैट अकाउंट की संख्या बढ़कर 17 करोड़ हो गई है। म्यूचुअल फंडों के 5 करोड़ यूनिट-होल्डर्स हैं।
ग्लोबल इवेंट्स का इंडियन मार्केट्स पर पड़ता है असर
इंडियन मार्केट में भले ही भारतीय निवेशकों का ज्यादा निवेश है, लेकिन ग्लोबल इवेंट्स पर इसका असर पड़ता है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अगर टैरिफ वॉर शुरू होता है तो उसका इंडियन मार्केट्स पर असर पड़ेगा। यह असर अच्छा होगा या बुरा होगा, यह ट्रंप की पॉलिसी पर निर्भर करेगा। साथ ही ट्रंप की पॉलिसी का असर क्रूड ऑयल की कीमतों पर पड़ने की संभावना है। अगले साल क्रूड में नरमी दिख सकती है। यह इंडिया के लिए अच्छी बात होगी। ऐसे में लंबी अवधि के निवेशकों को किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है। इंडियन मार्केट की ग्हरोथ स्टोरी को लेकर कोई संदेह नहीं है। अभी निवेश करने पर लंबी अवधि में अच्छा मुनाफा मिल सकता है।
