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क्‍या शेयर बाजार में छोटे निवेशकों का पैसा सेफ? राहुल गांधी ने उठाया सवाल तो बीजेपी का आया ये जवाब

नई दिल्‍ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारतीय शेयर बाजार में र‍िटेल इन्‍वेस्‍टमेंट की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। उन्‍होंने कहा है कि मार्केट रेगुलेटर सेबी की पारदर्शिता की कमी और पूंजीवाद का खेल आम निवेशकों को नुकसान पहुंचा रहा है। राहुल गांधी के इस बयान से बाजार में हलचल मच गई। पत्रकार और लेखिका सुचेता दलाल ने भी सेबी की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा है कि पिछले कुछ सालों में बाजार नियामक की कार्यशैली चिंताजनक रही है। उनका मानना है कि सेबी की निष्क्रियता के कारण ही आम निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। दूसरी तरफ, बीजेपी नेता अमित मालवीय ने राहुल गांधी के बयान को बाजार में डर फैलाने वाला बताया है। उनका कहना है कि सीएलएसए और मोतीलाल ओसवाल जैसी ब्रोकरेज फर्म भारतीय बाजार के भविष्य को लेकर आशान्वित हैं। वे लंबी अवधि में तेजी की उम्मीद कर रही हैं।

 

राहुल गांधी ने जारी क‍िया वीडियो

राहुल गांधी ने अपने 8.24 मिनट के वीडियो में सेबी की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि संसद की लोक लेखा समिति (PAC) को सेबी प्रमुख को तलब करने और उनका पक्ष सुनने का पूरा अधिकार है। बता दें कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच संसद की PAC के समक्ष पेश नहीं हुई थीं।

सुचेता दलाल ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि सेबी के किसी भी चीफ ने पहले कभी यह कहने की हिम्मत की होगी कि वह तब तक पेश नहीं होगा जब तक कि कोई इशारा न हो… चिंता न करें, हम इसका ध्यान रखेंगे।’

बिना किसी का नाम लिए दलाल ने कहा कि उनके लिए यह समझना मुश्किल है कि भारतीय पूंजी बाजार की पूरी विश्वसनीयता को जोखिम में क्यों डाला जा रहा है। उन्‍होंने पूछा, ‘आप एक व्यक्ति के लिए ऐसा क्यों करेंगे? आप देश की प्रतिष्ठा, पूंजी बाजार की प्रतिष्ठा और वित्त मंत्रालय की प्रतिष्ठा को सिर्फ एक व्यक्ति के पीछे क्यों डालेंगे?’ दलाल ने कहा कि यह उन्हें तार्किक नहीं लगता।

इस पर गांधी ने पूछा कि सरकार बुच को पद पर बनाए रखने के लिए क्यों अड़ी हुई है। उन्‍होंने पूछा, ‘क्या उन्हें सेबी चीफ को नहीं बदलना चाहिए?’

5.14 ट्रिलियन डॉलर का है भारतीय शेयर बाजार

भारतीय शेयर बाजार 5.14 ट्रिलियन डॉलर का है। ग्‍लोबल मार्केट कैपिटलाइजेशन में इसकी हिस्सेदारी 2013 में 1.6 फीसदी के निचले स्तर से बढ़कर इस महीने 4.3 फीसदी हो गई है। यह इसे उभरते बाजारों में दूसरा सबसे बड़ा बाजार बनाता है।

हालांकि, सेंसेक्स और निफ्टी अपने रिकॉर्ड ऊंचाई से नीचे हैं। लेकिन, वे साल-दर-साल 7-8 फीसदी ऊपर हैं।

MOFSL ने एक स्ट्रेटेजी नोट में सुझाया है कि भारत का बाजार पूंजीकरण अब 1990 के दशक की शुरुआत में अमेरिकी बाजार, 2014 में चीन, 2015 में जापान और 2017 में हांगकांग के स्तर पर पहुंच गया है। इसने कहा कि MSCI EM इंडेक्स में भारत का वेटेज सितंबर में चीन से आगे निकल गया। यह 2014 में 7 फीसदी से बढ़कर 22 फीसदी हो गया।

(डिस्क्लेमर: इस विश्लेषण में दिए गए सुझाव व्यक्तिगत विश्लेषकों या ब्रोकिंग कंपनियों के हैं, stock market news के नहीं। हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि किसी भी निवेश का निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श कर लें क्योंकि शेयर बाजार की परिस्थितियां तेजी से बदल सकती हैं।)

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