Last Updated on November 14, 2024 7:57, AM by
शेयर बाजार रेगुलेटर सेबी ने एंजेल फंड नियमों में बदलाव का प्रस्ताव पेश किया है। मार्केट रेगुलेटर ने लोगों की टिप्पणियों के लिए कंसल्टेशन पेपर पेश किया है। इसमें कहा गया है कि मौजूदा रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की समीक्षा करने पर ऑपरेशनल मामलों में स्पष्टता का अभाव दिखता है। सेबी के प्रस्तावों में हर एंजेल फंड के द्वारा की जाने वाली निवेश की अधिकतम सीमा को 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये करने और निवेश की न्यूनतम सीमा को 25 लाख रुपये से घटाकर 10 लाख रुपये करना शामिल हैं।
इस प्रस्ताव का मकसद ज्यादा से ज्यादा निवेशकों को इस ओर आकर्षित करना है, ताकि स्टार्ट अप को और ज्यादा फंड्स मिल सकें। इसके अलावा, हर फंड में निवेशकों की संख्या, किसी एक वेंचर में अधिकतम निवेश की सीमा को लेकर भी नियमों में बदलाव के प्रस्ताव किए गए हैं।
एंजेल फंड्स के जरिये स्टार्टअप्स को पूंजी मुहैया कराया जाता है। फंड एजेंल इनवेस्टर्स उपलब्ध कराते हैं। इस एसेट् क्लास में लोगों की दिलचस्पी बढ़ रही है। एजेंल फंड्स और उनके निवेश में इस तरह का ट्रेंड देखा जा सकता है। हालांकि, पेपर में कहा गया है कि मौजूदा नियमों और निवेश के माहौल में ज्यादा लचीलेपन और ऑपरेशंस को आसान बनाने की जरूरत है।
सेबी का कहना है, ‘ इन बातों और बजट में एंजेल टैक्स को खत्म करने के ऐलान को ध्यान में रखते हुए यह सवाल उठता है कि क्या एंजेल फंड्स के स्ट्रक्चर का रेगुलेशन जारी रखना जरूरी है।’ पेपर का मकसद रेगुलेटेड स्ट्रक्चर के जरिये एंजेल इनवेस्टर पूल से पूंजी उपलब्ध कराने के सिस्टम को लेकर लोगों से राय लेना है। पेपर में एंजेल फंड्स के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को बेहतर बनाने के प्रस्तावों पर भी राय मांगी गई है, जिसका मकसद फंड जुटाने की प्रक्रिया को तर्कसंगत बनाना, डिस्क्लोजर सिस्टम और गवर्नेंस से जुड़ी शर्तों को मजबूत बनाना, ऑपरेशन संबंधी स्पष्टीकरण मुहैया कराना और निवेश में लचीलेपन के लिए गुंजाइश बनाना है।
