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जिला उपभोक्ता आयोग ने हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ सुनाया फैसला, कंपनी को 3.67 लाख पेमेंट करने का निर्देश दिया

Last Updated on November 9, 2024 15:26, PM by

केरल में एक जिला उपभोक्ता आयोग ने हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी और ग्राहक से जुड़े एक मामले में फैसला ग्राहक के पक्ष में सुनाया है। आयोग ने हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को ग्राहक को 3,67,849 रुपये का पेमेंट करने को कहा है। हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने ग्राहक के क्लेम को रिजेक्ट कर दिया था। उसने कहा था कि चूंकि ग्राहक ने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते वक्त अपने हेल्थ कंडिशन के बारे में जानकारी छुपाई थी, जिससे क्लेम खारिज किया जाता है। आयोग ने हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के क्लेम खारिज करने के फैसले को सही नहीं माना। आइए इस मामले के बारे में विस्तार से जानते हैं।

उपभोक्ता ने 2018 में खरीदी थी हेल्थ पॉलिसी

केरल में एर्नाकुलम जिले के एलुवा में रहने वाले के पी रणदीप ने हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी स्टार हेल्थ एंड अलॉयड इंश्योरेंस कपनी से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी थी। उन्होंने 2018 में Star Health का हेल्थ ऑप्टिमा इंश्योरेंस प्लान खरीदा था। बाद में उन्हें एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एरोटिक वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी करानी पड़ी। इस पर कुल 3,07,849 रुपये का खर्च आया। उन्होंने इसका क्लेम बीमा कंपनी से किया। लेकिन, बीमा कंपनी ने उनका क्लेम खारिज कर दिया।

 

कंपनी ने हेल्थ कंडिशन छुपाने को बनाया था आधार

रणदीप ने क्लेम खारिज होने के बाद स्टार हेल्थ की शिकायत एर्नाकुलम डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिसप्यूट्स कमीशन में किया। कमीशन ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस मामले में फैसला रणदीप के पक्ष में दिया। बीमा कंपनी ने कहा कि शिकायतकर्ता ने पॉलिसी खरीदने के वक्त पहले से चले आ रहे अपने हेल्थ कंडिशन के बारे में सही जानकारी नहीं दी थी। उसने यह भी कहा था कि इस पॉलिसी में पहले दो साल के दौरान प्री-एग्जिस्टिंग इलनेस कवर नहीं होता है।

उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी के खिलाफ सुनाया फैसला

कमीशन के चेयरमैन डीबी बिनू और सदस्य वी रामचंद्रन और टीएन श्रीविद्या की बेंच ने कहा कि बीमा कंपनी ने बगैर स्पष्ट सूबत और बगैर प्रॉपर कम्युनिकेश के उपभोक्ता का क्लेम रिजेक्ट किया है। इससे बीमा कंपनी और उपभोक्ता के बीच के विश्वास के रिश्ते को चोट पहुंची है। बेंच ने कहा कि बीमा कंपनी का इस तरह से क्लेम खारिज करना ठीक नहीं है। कमीशन ने बीमा कंपनी को 30 दिन के अंदर पूरा पेमेंट करने को कहा। साथ ही उसे बतौर मुआवजा 50,000 रुपये और कानूनी प्रक्रिया पर खर्च की भरपाई के लिए अतिरिक्त 10,000 रुपये का भी पेमेंट करने को कहा।

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