Last Updated on October 28, 2024 9:27, AM by
बाजार पिछले कुछ हफ्तों के लगातार गिर रहा है। ये गिरावट थम नहीं रही। बाजार एक के बाद एक गिरावट की कोई न कोई वजह ढूंढ़ ले रहा है। इस माहौल में बाजार की आगे की दशा और दिशा पर बात करते हुए सीएनबीसी-आवाज़ के मैनेजिंग एडिटर अनुज सिंघल ने कहा कि उतार-चढ़ाव बाजार का मूल स्वभाव है। बाजार के बारे में अक्सर ये कहा जाता है कि यह सीढ़ियों से ऊपर जाता है और एलीवेटर से नीचे आता है। इस समय बाजार का एलीवेटर चल रहा है। मार्केट अब तक काफी चल चुका था। जब बाजार बहुत ज्यादा चल जाता है और हर किसी को लगता है कि बाजार बहुत ज्यादा भाग चुका है तो उसके बाद गिरावट की वजह कुछ भी हो सकती है।
यह एक बुलिश मार्केट का करेक्टिव फेज
अनुज सिंघल का कहना है कि बाजार में समय-समय पर करेक्शन आना जरूरी होता है। इससे बाजार हेल्दी होता है। लेकिन इस बार का करेक्शन लोगों को इसलिए ज्यादा चुभ रहा है क्योंकि निवेशकों ने कई साल से करेक्शन देखा नहीं है। 2003 से 2007 के बीच मार्केट में ऐसे करेक्शन सामान्य थे और कई बार आए थे। लेकिन हालिया करेक्शन तो चार साल में पहली बार आया है। इससे लोग थोड़ा सा डर गए हैं। इसके अलावा अब तक हमारे बाजारों में जो करेक्शन आए थे वे प्राइस वाइज भले ही बड़े रहे हों लेकिन टाइम वाइज ये बहुत छोटी अवधि के रहे हैं। इसके साथ ही ज्यादातर हम ग्लोबल फैक्टर की वजह से गिरे थे। लेकिन इस बार बाजार घरेलू फैक्टर्स की वजह से गिरे हैं। एफआईआई की लगातार बिकवाली और छोटे-मझोले शेयरों के महंगे वैल्यूशन, ये सब बाजार की गिरावट की वजह हैं। बाजार काफी समय से करेक्शन के लिए तैयार हो रहा था। वहीं, अब हमें देखने को मिल रहा है। ये एक बुलिश मार्केट का करेक्टिव फेज है।
मार्केट और इकोनॉमी के फंडामेंटल्स मजबूत
Roha Asset Managers के इक्विटीज हेड दलजीत सिंह कोहली का कहना है कि बाजार का ये दर्द कहां रुकेगा ये तो मार्केट के डाइनेमिक्स ही बताएंगे। लेकिन इस माहौल में आपको सोचना ये है कि जो स्टॉक्स आपने खरीदे हैं उनमें अर्निग ग्रोथ की संभावना है कि नहीं है, उसमें कैश फ्लो है कि नहीं है। अगर ये दोनों चीजें कायम हैं तो फिर आपके लिए ये टेंपरेरी फॉल है। यही नहीं ये आपके लिए खरीदारी का एक मौका भी है। लेकिन अगर आपने कोई शेयर भेंड़चाल में लिया है तो फिर आपके लिए मुश्किल हो सकती है।
यह गिरावट बाजार की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। मार्केट और इकोनॉमी के फंडामेंटल्स मजबूत बने हुए हैं। इस तरह की गिरावट में आपको बीच-बीच में खरीदारी के मौके मिलते रहेंगे।
अभी और करेक्शन मुमकिन
Capgrow Capital के पार्टनर अरुण मल्होत्रा का कहना है कि बाजार में अभी भी वैल्यूएशन महंगा है साथ अर्निंग्स में भी कमजोरी आ रही है। ये बाजार के लिए चिंता की बात है। जिन शेयरों में वैल्यूएशन बहुत महंगे हैं और अर्निंग्स पर भी दबाव है वहां अभी और करेक्शन या सकता है या अगले 1 साल में इनमें बहुत ही मामूली रिटर्न मिलेगा।
क्या करें रिटेल निवेशक?
बाजार जानकारों का कहना है कि इस स्थिति में निवेशक अपने पसंदीदा शेयरों की लिस्ट बनाएं। इन कंपनियों के नतीजों को देखें। अगर नतीजे अच्छे हैं तो गिरावट में खरीदारी करें। अच्छे शेयरों को गिरावट पर खरीदें। लंबी अवधि के नजरिए से निवेश करें। SIP करना नहीं भूलें
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