Last Updated on September 21, 2024 21:24, PM by Pawan
NCLAT (नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल) ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) से बकाया टैक्स का दावा करने वाली राज्य कर विभाग की याचिका को खारिज कर दिया है। कंपनी के खिलाफ बकाया का दावा दिवाला कार्यवाही शुरू होने के बाद किए गए असेसमेंट पर बेस्ड था। NCLAT की दो सदस्यीय पीठ ने NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल) की मुंबई पीठ के आदेश को बरकरार रखा, जिसने राज्य कर विभाग के 6.10 करोड़ रुपये के दावे को खारिज कर दिया था।
रिलायंस कम्युनिकेशंस के खिलाफ कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) 22 जून, 2019 को शुरू की गई थी। इसके बाद राज्य कर विभाग ने दो दावे दायर किए थे। पहला दावा 24 जुलाई, 2019 को 94.97 लाख रुपये के लिए और दूसरा दावा 15 नवंबर, 2021 को 6.10 करोड़ रुपये के लिए था। दूसरा दावा 30 अगस्त, 2021 के असेसमेंट ऑर्डर पर बेस्ड था। NCLT ने पहला दावा मंजूर कर लिया था, जिसे CIRP की शुरुआत से पहले पास किया गया था। NCLT ने दूसरे दावे को मंजूर नहीं किया, जो 2021 में पास असेसमेंट ऑर्डर पर बेस्ड था।
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर में प्रमोटर लगाएंगे 1100 करोड़
एक खबर यह भी है कि अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को प्रमोटर्स से 1,100 करोड़ रुपये और मुंबई की दो निवेश कंपनियों से 1,910 करोड़ रुपये का निवेश मिलने वाला है। कंपनी के बोर्ड ने 19 सितंबर को 6,000 करोड़ रुपये का फंड जुटाने की योजना को मंजूरी दी थी। इसमें से 3,014 करोड़ रुपये शेयरों के प्रिफरेंशियल अलॉटमेंट और 3,000 करोड़ रुपये संस्थागत खरीदारों को शेयर जारी करके जुटाए जाएंगे।
पहले चरण में कंपनी 3,014 करोड़ रुपये का प्रिफरेंशियल इश्यू ला रही है, जिसके तहत 240 रुपये प्रति शेयर के इश्यू प्राइस पर 12.56 करोड़ शेयर या कनवर्टिबल डिबेंचर जारी किए जाएंगे। इसमें से 1,104 करोड़ रुपये रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की प्रमोटर कंपनी Risee Infinity Private Limited के जरिए निवेश किए जाएंगे। इस इश्यू में हिस्सा लेने वाले दो अन्य निवेशक मुंबई स्थित फॉर्च्यून फाइनेंशियल एंड इक्विटीज सर्विसेज और फ्लोरिंट्री इनोवेशन एलएलपी हैं।
